गिरिडीह: नौकरी दिलाने के नाम पर पांच दर्जन लोगों से 40 लाख की ठगी के मामले में गिरिडीह पुलिस ने जिला शिक्षा कार्यालय के प्रधान लिपिक को जेल भेज दिया है. वहीं इस कांड को दर्ज करवाने वाले वादी भी अभी पुलिस गिरफ्त में हैं. अब इस मामले में कई लोग पुलिसिया जांच के दायरे में हैं.
दरअसल ठगी मामले के मुख्य अभियुक्त मनोज कुमार की रांची से गिरफ्तारी होने के बाद जब पुलिस ने पूछताछ किया तो कई अहम खुलासे हुए. इसके बाद डीईओ कार्यालय के प्रधान लिपिक कौशल और ठगी मामले के वादी उत्तम कुमार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और पूछताछ शुरू की.
पूछताछ के बाद गुरुवार को कोविड और मेडिकल जांच के बाद मुफस्सिल पुलिस ने प्रधान लिपिक कौशल और वादी उत्तम को अदालत में प्रस्तुत किया. अदालत ने प्रधान लिपिक कौशल को न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारा गिरिडीह भेज दिया. वहीं वादी को न्यायिक हिरासत में न भेजकर अदालत ने वापस थाना लौटा दिया. मुफस्सिल थाना प्रभारी रत्नेश मोहन ठाकुर ने बताया कि प्रधान लिपिक को जेल भेज दिया गया है.
अनुसंधान में उजागर हुए कई तथ्य
ठगी के इस मामले में मुफस्सिल पुलिस द्वारा किए जा रहे अनुसंधान में प्रधान लिपिक को सीधे तौर पर ठगी में शामिल होने का तथ्य मिलने के बाद अब पुलिस अन्य कर्मियों के साथ-साथ अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है.
मुख्य साजिशकर्ता की गिरफ्तारी के बाद जागा शिक्षा विभाग
इधर इस प्रकरण के सामने आने के बाद बुधवार को डीईओ कार्यालय से आनन-फानन में नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवायी गई थी. मनोज की गिरफ्तारी के बाद डीईओ कार्यालय की ओर से एफआईआर दर्ज करवाने से भी कई सवाल उठे रहे हैं. चूंकि इस एफआईआर व इससे पहले डीईओ ने साफ कहा कि मार्च में यह मामला संदिग्ध प्रतीत होने के बाद उन्होंने अपने कार्यालय आदेश ज्ञापांक- 922 दिनांक 07.03.2020 की ओर से अपने पूर्व के ज्ञापांक- 76 दिनांक- 08.01.2020 के की ओर से निर्गत काार्यलय आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया था.
ऐसे अभ्यर्थियों से काम न लिये जाने और उपस्थिति नहीं दर्ज कराने का आदेश निर्गत किया था. डीईओ का यह कथन भी सवाल पैदा कर रहा है कि जब मार्च में ही नौकरी देने का दावा कर रही संस्था की गतिविधियां संदिग्ध प्रतीत हो रही थी तो उस वक्त ही एफआईआर दर्ज क्यूं नहीं करवाया गया था.
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झांसे में डालने का आरोप
नगर थाना में डीईओ ने दर्ज कराए गए प्राथमिकी में कहा है कि नेशनल बोर्ड ऑफ स्कॉलरशीप एंड स्किल डवलपमेंट कार्यालय के निदेशक एवं उप निदेशक (नाम अज्ञात) और अन्य की ओर से नियमों का विचलन कर फर्जी तरीके से उन्हें दिग्भ्रमित कर अभ्यर्थियों का चयन कर अनावश्यक रूप से योगदान कराने का कार्य किया है.
डीईओ ने प्राथमिकी में कहा है कि स्किल एडुकेशन एंड ट्रेनिंग नेशनल प्रोजेक्ट भारत सरकार नई दिल्ली और कैंप ऑफिस प्रोजेक्ट भवन रांची की ओर से निदेशक एनबीएसएसडी के पत्रांक- 2754(एनबी) दिनांक 03.12.2019 जो जिला शिक्षा पदाधिकारी गिरिडीह को संबोधित है, ईमेल के माध्यम से दिनांक 05.12.2019 को प्राप्त हुआ.
पत्रानुसार उन्हें जिले के प्रोजेक्ट बालिका विद्यालय और बालिका उच्च विद्यालय सहित 75 विद्यालयों का चयन करना था. उक्त में बतौर प्रशिक्षक सह शिक्षक की नियुक्ति एनबीएसएसडी की ओर से किया जाना अंकित था. पत्र में यह भी कहा गया था कि डीईओ गिरिडीह दक्ष प्रशिक्षकों का अन्तर्वीक्षा के आधार पर चयन कर अंतिम सूची तैयार करेंगे. तदनुसार डीईओ एवं डिप्टी डायरेक्टर एनबीएसएसडी संयुक्त रूप से अग्रेतर कार्रवाई करेंगे.
संस्था ने सीधे ही पांच का चयन कर पत्र के साथ भेज दी सूची
डीईओ ने प्राथमिकी में कहा है कि एनबीएसएसडी संस्था की ओर से सीधे ही बगैर उनके कार्यालय के कोई प्रक्रिया के बिना ही पांच अभ्यर्थियों का चयन कर लिया. संस्था ने विनोद पंडित का उउवि बजटो, उमेश कुमार का प्रोजेक्ट बालिका उवि बेंगाबाद, सिम्पी कुमारी बर्णवाल का उउवि मंगरोडीह, लक्ष्मी कुमारी का प्रोजेक्ट बालिका उवि बेंगाबाद एवं अफताब अंसारी का प्लस टू उवि चरघरा में चयन कर पत्र के साथ सूची संलग्न कर अग्रेतर कार्रवाई हेतु संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य को निदेशित करने के लिए ईमेल के माध्यम से उनके पास भेज दिया.
छात्र हित में किया उक्त पत्र का अनुपालन
डीईओ ने प्राथमिकी में कहा है कि संस्था के ईमेल के उक्त पत्र का अनुपालन छात्र हित में उन्हें किया जाना आवश्यक लगा. इसलिए कार्यालय ज्ञापाक- 76 की ओर से सभी कोटि के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को योगदान संबंधी निर्देश निर्गत किए गए, परंतु बाद में पुन: ईमेल के जरिए अन्य कई अभ्यर्थियों का सीधे एनबीएसएसडी की ओर से चयन कर विद्यालय में योगदान के लिए उनके कार्यालय का सिलसिलेवार ढंग से नियुक्ति पत्र भेजा जाने लगा. तब उन्हें यह प्रतीत हुआ कि संस्था की ओर से अनियमित तरीके से नियुक्ति पत्र भेजा जा रहा है.
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तत्कालीन आरडीडीई की भूमिका पर भी सवाल
ठगी के इस मामले में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल हजारीबाग के तत्कालीन आरडीडीई शिवनारायण साहू की भूमिका भी सवालों के घेरे में है. जांच का दायरा इन तक पहुंच सकता है. इस मामले को लेकर आरडीडीई की ओर से डीईओ गिरिडीह को शोकॉज किया गया था. यह शोकॉज अभ्यर्थियों को योगदान से संबंधित था. इसके अलावा कई बार आरडीडीई ने इस मामले को लेकर डीईओ को फोन भी किया था.
योगदान पर रोक का विरोधी था प्रधान लिपिक
ठगी के इस मामले में यह भी खुलासा हुआ है कि डीईओ कार्यालय के प्रधान लिपिक कौशल किशोर वर्मा इस मामले में काफी दिलचस्पी ले रहा था. वह नहीं चाहता था कि अभ्यर्थियों के योगदान पर रोक लगे. डीईओ ने जब स्थगित करने का पत्र जारी किया गया तो उस वक्त भी उसने आपत्ति की थी. इस फाइल को कौशल किशोर ही देख रहा था. बहरहाल इस पूरे प्रकरण में परत दर परत जिस तरह की बातें आ रही है उससे अधिकारियों व शिक्षा विभाग के कर्मियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठ रहा है.