गिरिडीहः जैन तीर्थस्थल मधुबन स्थित कई संस्थाओं पर सरकारी जमीन के साथ-साथ सीएनटी जमीन पर कब्जा जमाने का आरोप लगा है. यह आरोप गिरिडीह के सदर विधायक सुदिव्य कुमार ने लगाया है. सदर विधायक ने इस मामले की शिकायत भू-राजस्व सचिव से की थी और पिछले महीने भू-राजस्व सचिव गिरिडीह भी गए थे. संबंधित अंचलाधिकारी को उन सभी संस्थाओं के जमीन की जांच करने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के बाद पीरटांड़ के अंचलाधिकारी ने संस्थाओं को कागजात जमा करने का नोटिस भी दिया है. इस मामले में जांच को गति देने का प्रयास सदर विधायक सुदिव्य कुमार ने किया. विधायक सुदिव्य ने इस मसले पर ईटीवी भारत से बात की है और पूरे मामले की जानकारी दी है.
सख्त कदम उठाए विभाग
विधायक सुदिव्य ने कहा कि वैसे तो भू अभिलेख सरकार के पास है और जमीन की प्रकृति क्या है यह सरकार बता सकती है, लेकिन इन सब के बीच मधुबन और उसके समीप बसे लोगों से बात की गई तो यह साफ हो गया की मधुबन की कई कोठियां ने अपने विस्तार के लिए जिन जमीनों पर कब्जा किया है. वह तमाम जमीन वैसी हैं जो कानूनी रूप से कोठियों की नहीं होनी चाहिए. संस्थाओं ने सीएनटी की जमीन, गैरमजरूआ आम जो गोचर भूमि होती है और सरकार की भूमि होती है उसका भी अधिग्रहण किया है. सर्वे में जो नाला है उसका भी इन लोगों ने अतिक्रमण किया है. वन भूमि के तौर पर जो भूमि चिंहित है उसका भी अतिक्रमण किया गया है.
इन तमाम विषयों को जब नजदीक से देखा और यह भी देखा कि जिला के पदाधिकारियों से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. शिकायत के बाद भी भू अभिलेखों में गड़बड़ी कर दी जाती है. मधुबन के कोठियों की गड़बड़ी को लेकर भू राजस्व सचिव से वह मिले और इस पूरे मामले से अवगत कराया. विधायक ने कहा कि उन्होंने बड़े बेबाक और स्पष्ठ शब्दों में सचिव को पूरे मामले की जानकारी दी. विधायक ने कहा कि कहीं न कहीं हेराफेरी करके धोखाधड़ी करके स्थानीय लोगों से जो जमीन खरीदी गई है वह वापस होनी चाहिए.
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मधुबन थाना के सामने लगेगी पंचायत
विधायक ने कहा कि उन्होंने एक जांच टीम की मांग रखी है. पूरा प्रयास है कि जांच टीम मधुबन पहुंचे और यहां थाना के सामने तीन घंटे तक बड़े पदाधिकारी बैठे. जनता से आह्वान रहेगा कि वह इस पंचायत में पहुंचे और अपनी जमीन से जुड़ी सारी परेशानियों को रखे, जिसके बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी. जेएमएम विधायक ने कहा कि इस मसले को उठाया है तो इसे अंजाम तक भी पहुंचाया जाएगा और यह प्रयास मधुबन की जनता के हित में होगा.
सेवा के नाम पर व्यवसाय
विधायक ने कहा कि मधुबन में कई संस्था धर्मादा सेवार्थ के नाम पर शुद्ध रूप से व्यवसायिक गतिविधियां चला रही है. इसके साथ ही कहा कि यदि यहां की संस्था और कोठियां धर्मार्थ है तो अपने कमरों का मूल्य निर्धारण नहीं कर सकती. यदि ये संस्थाएं यह मूल्य निर्धारण करती है कि कमरा का किराया इतना है तो ऐसी स्थिति में आवश्यक सेवा और जीएसटी के तहत इन संस्थाओं को आना चाहिए. अगर वह सरकार को पैसे नहीं दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि धर्म के नाम पर सरकार के राजस्व की चोरी की जा रही हैं. उन्होंने इस मामले की जानकारी डीसी को दी थी. इस पर एक कमिटी भी बनी थी. इसके साथ ही विधायक ने कहा कि स्थानीय लोगों की बेहतरी के लिए जिस दिन यह लोग कम करेंगे तो मैं भी इनके पक्ष में खड़ा रहूंगा.