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मजदूर दिवस विशेष: झारखंड सरकार के लिए पलायन रोकना बड़ी चुनौती, गिरिडीह में हर साल गई मजदूर गंवा देते हैं जान - Giridih workers died

गिरिडीह जिले के बगोदर प्रखंड और आसपास के क्षेत्रों के प्रवासी मजदूर विदेशों और महानगरों में महफूज नहीं दिख रहे हैं. प्रवासी मजदूरों की समस्या सालों भर सामने आती रहती है. पलायन करने वाले मजदूरों की कहीं हादसे में मौत तो कहीं फंसने और ठगी का शिकार होने का मामला हर साल सामने आता रहता है.

Giridih Labour Day News
गिरिडीह में मजदूर को पलायन से रोकना एक बड़ी चुनौती
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Published : May 1, 2023, 5:09 PM IST

Updated : May 1, 2023, 5:53 PM IST

देखें पूरी खबर

गिरिडीह: सोमवार (1 मई) को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर मजदूरों के हक अधिकार और सुरक्षा की गारंटी किए जाने की वकालत की जा रही है. मजदूरों को हक अधिकार और सुरक्षा की गारंटी आवश्यक भी है. मजदूरों का विश्व के विकास भी महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में अगर बगोदर इलाके के प्रवासी मजदूरों की बात करें, समस्या इनके जीवन में बनी ही रहती है. सरकार के लिए मजदूरों को पलायन से रोकना एक बड़ी चुनौती है.

ये भी पढ़ें: मजदूर दिवस विशेष: रांची में हर दिन सजता है मजदूरों का बाजार, जानिए किस तरह झेलनी पड़ती है परेशानी

मजदूरों को झेलनी पड़ती यातनाएं: स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव में मजदूर महानगरों और विदेशों में पलायन करते है. पेट के लिए उन्हें पलायन करना पड़ता है. कोरोना के समय में इन मजदूरों की पीड़ा से हम सभी परिचित है. इस दौरान न जाने कितने मजदूर काल की गाल में समा गए. इसके अलावा भी आए दिन अखबारों या अन्य मीडिया के माध्यम से इनके अनहोनी की खबरे आती रहती है. कई मजदूरों की हादसों में मौत हो जाती है तो कुछ की सामान्य स्थिति में मौत हो जाती है. मजदूरों को बंधक बनाए जाने और जेल की यातनाएं सहनी पड़ती है. इसके अलावा बड़ी संख्या में मजदूर ठगी का शिकार हो जाते हैं. ऐसे स्थिति में इनके आश्रितों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. पलायन में जान गांवा देने के बाद इनके ऊपर खूब राजनीति होती है. इससे मजदूरों के हालात बदले हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है.

इन प्रवासी मजदूरों ने गंवाई जान: मजदूर दिवस के ठीक एक सप्ताह पूर्व एक प्रवासी मजदूर की तबीयत बिगड़ने पर ट्रेन में ही मौत हो जाती है. अलगडीहा के प्रवासी मजदूर इम्तियाज अंसारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बेटा की शादी करवाने आ रहे थे, इसी दौरान ट्रेन में ही उसकी मौत हो जाती है. पिछले महीने के आंकड़े पर गौर करें तब बगोदर प्रखंड के आधे दर्जन प्रवासी मजदूरों की मौत विभिन्न हादसों में हो चुकी है. बरांय के संजय मंडल, दामा के तापेश्वर महतो, खेतको के महेंद्र महतो, माहुरी गांव के युसूफ अंसारी, घाघरा के धनेश्वर महतो बरवाडीह के रोहित पंडित, अटका के दिनेश्वर दास की मौत विदेशों एवं महानगरों में हो चुकी है.

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गिरिडीह: सोमवार (1 मई) को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर मजदूरों के हक अधिकार और सुरक्षा की गारंटी किए जाने की वकालत की जा रही है. मजदूरों को हक अधिकार और सुरक्षा की गारंटी आवश्यक भी है. मजदूरों का विश्व के विकास भी महत्वपूर्ण योगदान है. ऐसे में अगर बगोदर इलाके के प्रवासी मजदूरों की बात करें, समस्या इनके जीवन में बनी ही रहती है. सरकार के लिए मजदूरों को पलायन से रोकना एक बड़ी चुनौती है.

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मजदूरों को झेलनी पड़ती यातनाएं: स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव में मजदूर महानगरों और विदेशों में पलायन करते है. पेट के लिए उन्हें पलायन करना पड़ता है. कोरोना के समय में इन मजदूरों की पीड़ा से हम सभी परिचित है. इस दौरान न जाने कितने मजदूर काल की गाल में समा गए. इसके अलावा भी आए दिन अखबारों या अन्य मीडिया के माध्यम से इनके अनहोनी की खबरे आती रहती है. कई मजदूरों की हादसों में मौत हो जाती है तो कुछ की सामान्य स्थिति में मौत हो जाती है. मजदूरों को बंधक बनाए जाने और जेल की यातनाएं सहनी पड़ती है. इसके अलावा बड़ी संख्या में मजदूर ठगी का शिकार हो जाते हैं. ऐसे स्थिति में इनके आश्रितों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है. पलायन में जान गांवा देने के बाद इनके ऊपर खूब राजनीति होती है. इससे मजदूरों के हालात बदले हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है.

इन प्रवासी मजदूरों ने गंवाई जान: मजदूर दिवस के ठीक एक सप्ताह पूर्व एक प्रवासी मजदूर की तबीयत बिगड़ने पर ट्रेन में ही मौत हो जाती है. अलगडीहा के प्रवासी मजदूर इम्तियाज अंसारी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बेटा की शादी करवाने आ रहे थे, इसी दौरान ट्रेन में ही उसकी मौत हो जाती है. पिछले महीने के आंकड़े पर गौर करें तब बगोदर प्रखंड के आधे दर्जन प्रवासी मजदूरों की मौत विभिन्न हादसों में हो चुकी है. बरांय के संजय मंडल, दामा के तापेश्वर महतो, खेतको के महेंद्र महतो, माहुरी गांव के युसूफ अंसारी, घाघरा के धनेश्वर महतो बरवाडीह के रोहित पंडित, अटका के दिनेश्वर दास की मौत विदेशों एवं महानगरों में हो चुकी है.

Last Updated : May 1, 2023, 5:53 PM IST
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