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सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी का सबसे गरीब जिलाध्यक्ष, मनरेगा में मजदूरी करता है परिवार

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Published : May 29, 2021, 7:47 AM IST

Updated : May 29, 2021, 9:51 AM IST

देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बीजेपी के जिलाध्यक्ष महादेव मनरेगा मजदूर हैं. उनके साथ उनके दोनों पुत्र, भाई और बहन भी मजदूरी करते हैं. बीजेपी जिलाध्यक्ष मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले गुलाबी कार्ड का भी लाभ ले रहे हैं. वहीं जिलाध्यक्ष महादेव दुबे ने मनरेगा के तहत मिलने वाले किसी लाभ को लेने से साफ इंकार किया है.

mahafev dube
महादेव दुबे

गिरिडीह: देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के जिलाध्यक्ष मनरेगा मजदूर हैं. सुनने में तो चौंकाता जरूर है लेकिन सच है. दरअसल हम बात कर रहे हैं गिरिडीह के देवरी के रहने वाले महादेव दुबे की, जो वर्तमान में तो बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं लेकिन इससे पहले वे मनरेगा मजदूर के रूप में काम कर चुके हैं. न केवल सिर्फ महादेव दुबे बल्कि उनके दोनों बेटे, भाई अब भी मनरेगा में मजदूरी का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं बीजेपी जिलाध्यक्ष जिनका शहर के सिरसिया में दो मंजिला मकान है, अब भी मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले गुलाबी कार्ड का लाभ ले रहे हैं.

मनरेगा जॉब कार्ड में नाम होने पर क्या बोले महादेव दुबे, देखें पूरा वीडियो

ये भी पढ़ें- गिरिडीह: राजस्व विभाग के कर्मचारी संग मारपीट, रिवॉल्वर की नोंक पर LPC बनाने का बनाया दबाव


सरकारी वेबसाइट पर दर्ज है महादेव का नाम
मनरेगा की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के मुताबिक महादेव दुबे ने साल 2019 में 38 दिनों तक अपनी पंचायत में संचालित मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में मजदूरी की है. साइट के मुताबिक कोसगोदिंघी में रामानंद राय घर से बेलाटांड़ सीमाना तक मिट्टी मौरम कार्य ग्राम पेंटहंडी में जमुनिया आहार की मरम्मती, संजय बेसरा के जमीन पर टीसीएच निर्माण एवं में मजदूरी की है. इन योजनाओं में महादेब दुबे ने 38 दिन मजदूरी की है और 6 हजार 498 रुपए मजदूरी भी प्राप्त की.

Mahadev Dubey's name also registered on MNREGA job card
मनरेगा जॉब कार्ड पर महादेव दुबे का नाम दर्ज

महादेव दुबे के बेटे हैं मनरेगा मजदूर
सरकारी साइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक महादेब दुबे के दोनों बेटों ने भी मनरेगा में मजदूरी का कार्य किया है. उनके बेटे कुंदन कुमार दुबे ने अगस्त 2019 से फरवरी 2021 तक लगभग 91 दिन मनरेगा में मजदूरी की जिसके बदले में उन्होंने 17 हजार 654 रुपए मजदूरी का भुगतान मिला. उनके दूसरे पुत्र राहुल कुमार दुबे ने भी अप्रैल 2019 से मार्च 2021 तक 95 दिन मनरेगा के तहत मजदूरी किया, जिसे 18 हजार 430 रुपए मजदूरी का भुगतान किया गया.

गुलाबी कार्ड का भी ले रहे हैं लाभ
बीजेपी के जिलाध्यक्ष मनरेगा में मिलने वाले गुलाबी कार्ड का भी लाभ ले रहे हैं, जानकारी के मुताबिक महादेव दुबे के भाई दिनेश दुबे के नाम से गुलाबी कार्ड (पीएच) है. इनके डीलर भुनेश्वर हाजरा है और इस राशन कार्ड का नंबर 202006721253 है, जिसमें परिवार के 8 सदस्यों के नाम दर्ज हैं, कार्ड में दिनेश दुबे, महादेव दुबे, मंजू देवी, पारो देवी, पप्पू कुमार दुबे, रीना देवी और राहुल कुमार का नाम दर्ज है. इनमें से मंजू महादेव की पत्नी हैं जबकि कुंदन और राहुल उनके पुत्र हैं. बता दें की इस कार्ड से परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्रत्येक माह 5 किलो चावल और गेहूं एक रुपए की दर से दिया जाता है. इसके अलावा नमक और कैरोसिन तेल भी दिया जाता है.

चारपहिया वाहन पर चलते हैं महादेव
मनरेगा कार्ड में नाम होने के बावजूद महादेव दुबे एक चार पहिया वाहन से चलते हैं , जो उनके पुत्र राहुल कुमार दुबे के नाम से रजिस्टर्ड है. गाड़ी का नंबर जेएच11एडी/2013 है जिस पर बीजेपी जिलाध्यक्ष गिरिडीह का बोर्ड भी लगा हुआ है. इतना सब होने के बावजूद मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले गुलाबी कार्ड में उनका नाम होना कई सवाल खड़े कर रहा है.

महादेव दुबे का आरोपों से इंकार

मनरेगा जॉब कार्ड में नाम सामने आने के बाद सवालों के घेरे में आ चुके महादेव दुबे ने ईटीवी भारत के संवाददाता अमरनाथ सिन्हा से बातचीत के दौरान सभी आरोपों से इंकार किया और कहा कि मैं पूरे दावों के साथ कहता हूं कि मैने मजदूरी की है. उन्होंने अपने बेटे के मजदूर होने पर गर्व जताया और कहा मेरा बेटा एमए करके समय मिलने पर अब भी मजदूरी करता है, वो रॉबरी नहीं करता है, छिनतई नहीं करता है, वो अपने जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी कर रहा है तो इसमें गलत क्या है.

बेटे के नाम पर गाड़ी होने के सवाल पर अपना बचाव किया और मनरेगा के नियमों का हवाला देते हुए सही ठहराया. उन्होंने बताया कि आज से दो साल पहले वे मनरेगा से अपने परिवार का नाम हटाने के लिए आवेदन दे चुके हैं और वे दो साल से अनाज नहीं उठा रहे हैं. उन्होंने उनके भाई के अनाज उठाने की बात स्वीकार किया और कहा ये उनका हक है.

गिरिडीह: देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के जिलाध्यक्ष मनरेगा मजदूर हैं. सुनने में तो चौंकाता जरूर है लेकिन सच है. दरअसल हम बात कर रहे हैं गिरिडीह के देवरी के रहने वाले महादेव दुबे की, जो वर्तमान में तो बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं लेकिन इससे पहले वे मनरेगा मजदूर के रूप में काम कर चुके हैं. न केवल सिर्फ महादेव दुबे बल्कि उनके दोनों बेटे, भाई अब भी मनरेगा में मजदूरी का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं बीजेपी जिलाध्यक्ष जिनका शहर के सिरसिया में दो मंजिला मकान है, अब भी मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले गुलाबी कार्ड का लाभ ले रहे हैं.

मनरेगा जॉब कार्ड में नाम होने पर क्या बोले महादेव दुबे, देखें पूरा वीडियो

ये भी पढ़ें- गिरिडीह: राजस्व विभाग के कर्मचारी संग मारपीट, रिवॉल्वर की नोंक पर LPC बनाने का बनाया दबाव


सरकारी वेबसाइट पर दर्ज है महादेव का नाम
मनरेगा की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के मुताबिक महादेव दुबे ने साल 2019 में 38 दिनों तक अपनी पंचायत में संचालित मनरेगा की विभिन्न योजनाओं में मजदूरी की है. साइट के मुताबिक कोसगोदिंघी में रामानंद राय घर से बेलाटांड़ सीमाना तक मिट्टी मौरम कार्य ग्राम पेंटहंडी में जमुनिया आहार की मरम्मती, संजय बेसरा के जमीन पर टीसीएच निर्माण एवं में मजदूरी की है. इन योजनाओं में महादेब दुबे ने 38 दिन मजदूरी की है और 6 हजार 498 रुपए मजदूरी भी प्राप्त की.

Mahadev Dubey's name also registered on MNREGA job card
मनरेगा जॉब कार्ड पर महादेव दुबे का नाम दर्ज

महादेव दुबे के बेटे हैं मनरेगा मजदूर
सरकारी साइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक महादेब दुबे के दोनों बेटों ने भी मनरेगा में मजदूरी का कार्य किया है. उनके बेटे कुंदन कुमार दुबे ने अगस्त 2019 से फरवरी 2021 तक लगभग 91 दिन मनरेगा में मजदूरी की जिसके बदले में उन्होंने 17 हजार 654 रुपए मजदूरी का भुगतान मिला. उनके दूसरे पुत्र राहुल कुमार दुबे ने भी अप्रैल 2019 से मार्च 2021 तक 95 दिन मनरेगा के तहत मजदूरी किया, जिसे 18 हजार 430 रुपए मजदूरी का भुगतान किया गया.

गुलाबी कार्ड का भी ले रहे हैं लाभ
बीजेपी के जिलाध्यक्ष मनरेगा में मिलने वाले गुलाबी कार्ड का भी लाभ ले रहे हैं, जानकारी के मुताबिक महादेव दुबे के भाई दिनेश दुबे के नाम से गुलाबी कार्ड (पीएच) है. इनके डीलर भुनेश्वर हाजरा है और इस राशन कार्ड का नंबर 202006721253 है, जिसमें परिवार के 8 सदस्यों के नाम दर्ज हैं, कार्ड में दिनेश दुबे, महादेव दुबे, मंजू देवी, पारो देवी, पप्पू कुमार दुबे, रीना देवी और राहुल कुमार का नाम दर्ज है. इनमें से मंजू महादेव की पत्नी हैं जबकि कुंदन और राहुल उनके पुत्र हैं. बता दें की इस कार्ड से परिवार के प्रत्येक सदस्य को प्रत्येक माह 5 किलो चावल और गेहूं एक रुपए की दर से दिया जाता है. इसके अलावा नमक और कैरोसिन तेल भी दिया जाता है.

चारपहिया वाहन पर चलते हैं महादेव
मनरेगा कार्ड में नाम होने के बावजूद महादेव दुबे एक चार पहिया वाहन से चलते हैं , जो उनके पुत्र राहुल कुमार दुबे के नाम से रजिस्टर्ड है. गाड़ी का नंबर जेएच11एडी/2013 है जिस पर बीजेपी जिलाध्यक्ष गिरिडीह का बोर्ड भी लगा हुआ है. इतना सब होने के बावजूद मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले गुलाबी कार्ड में उनका नाम होना कई सवाल खड़े कर रहा है.

महादेव दुबे का आरोपों से इंकार

मनरेगा जॉब कार्ड में नाम सामने आने के बाद सवालों के घेरे में आ चुके महादेव दुबे ने ईटीवी भारत के संवाददाता अमरनाथ सिन्हा से बातचीत के दौरान सभी आरोपों से इंकार किया और कहा कि मैं पूरे दावों के साथ कहता हूं कि मैने मजदूरी की है. उन्होंने अपने बेटे के मजदूर होने पर गर्व जताया और कहा मेरा बेटा एमए करके समय मिलने पर अब भी मजदूरी करता है, वो रॉबरी नहीं करता है, छिनतई नहीं करता है, वो अपने जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी कर रहा है तो इसमें गलत क्या है.

बेटे के नाम पर गाड़ी होने के सवाल पर अपना बचाव किया और मनरेगा के नियमों का हवाला देते हुए सही ठहराया. उन्होंने बताया कि आज से दो साल पहले वे मनरेगा से अपने परिवार का नाम हटाने के लिए आवेदन दे चुके हैं और वे दो साल से अनाज नहीं उठा रहे हैं. उन्होंने उनके भाई के अनाज उठाने की बात स्वीकार किया और कहा ये उनका हक है.

Last Updated : May 29, 2021, 9:51 AM IST
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