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गिरिडीह: समेकित खेती कर मिसाल पेश कर रहे किसान, कम संसाधनों से कृषि क्षेत्र में जुटे हैं लोग - गिरिडीह में समेकित खेती

गिरिडीह के मुंडरो पंचायत के पेसरा टोला में किसानों ने समेकित खेती कर मिसाल पेश की है. यहां किसान सीमित संसधान में खेती कर रहे हैं. ग्रामीण चेक डैम निर्माण की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सिंचाई की सुविधा के अभाव में कुछ जमीन खाली रह जाती है.

integrated farming in Mundro village of Giridih
गिरिडीह के मुंडरो गांव में समेकित खेती कर रहे किसान.
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Published : Jan 20, 2021, 4:42 PM IST

Updated : Jan 21, 2021, 7:36 PM IST

गिरिडीह: राजधानी रांची से करीब 180 किलोमीटर दूर गिरिडीह जिले के मुंडरो पंचायत में एक टोला है पसरा. यहां ग्रामीणों ने सिंचाई के कम संसाधनों के बीच समेकित खेती कर मिसाल पेश की है. ज्यादातर परिवार खेती पर ही आश्रित हैं. करीब 25 साल पहले लोग साल भर में सिर्फ एक ही फसल उगाते थे. तत्कालीन मुखिया अनंतलाल महतो ने लोगों को कृषि के लिए प्रेरित किया था. इसके बाद लोगों की खेती में जागरुकता बढ़ी. अब लोग सालों भर खेत से फसल ले रहे हैं. किसान जितेंद्र महतो बताते हैं कि एक फसल के बाद खेत की जुताई करके सरसों, चना और सब्जी उगाते हैं.

देखिये स्पेशल रिपोर्ट

जानवर ने फसल बर्बाद किया तो देना पड़ता है हर्जाना

जितेंद्र महतो बताते हैं कि पहले लोग अपने जानवरों को खुला छोड़ देते थे. इससे फसलों को काफी नुकसान होता था. फिर ग्रामीणों ने मिलकर एक समझौता किया. अब कोई जानवर फसल बर्बाद करता है तो मालिक को हर्जाना देना पड़ता है. सभी लोग अपने जानवरों को बांधकर रखते हैं.

मेहनत की बदौलत बदली गांव की तस्वीर

किसान प्रेमचंद महतो का कहना है कि गांव में सिंचाई के लिए कोई संसाधन नहीं है. बिजली की भी व्यवस्था नहीं है. यहां गांव के बगल से एक नाला बहता है और उसी पानी से खेतों में पटवन किया जाता है. ग्रामीण चेक डैम निर्माण की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सिंचाई की सुविधा के अभाव में कुछ जमीन खाली रह जाती है. पसरा टोला के किसानों यह तो साबित कर दिया कि लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो तकदीर और तस्वीर दोनों बदली जा सकती है.

गिरिडीह: राजधानी रांची से करीब 180 किलोमीटर दूर गिरिडीह जिले के मुंडरो पंचायत में एक टोला है पसरा. यहां ग्रामीणों ने सिंचाई के कम संसाधनों के बीच समेकित खेती कर मिसाल पेश की है. ज्यादातर परिवार खेती पर ही आश्रित हैं. करीब 25 साल पहले लोग साल भर में सिर्फ एक ही फसल उगाते थे. तत्कालीन मुखिया अनंतलाल महतो ने लोगों को कृषि के लिए प्रेरित किया था. इसके बाद लोगों की खेती में जागरुकता बढ़ी. अब लोग सालों भर खेत से फसल ले रहे हैं. किसान जितेंद्र महतो बताते हैं कि एक फसल के बाद खेत की जुताई करके सरसों, चना और सब्जी उगाते हैं.

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जानवर ने फसल बर्बाद किया तो देना पड़ता है हर्जाना

जितेंद्र महतो बताते हैं कि पहले लोग अपने जानवरों को खुला छोड़ देते थे. इससे फसलों को काफी नुकसान होता था. फिर ग्रामीणों ने मिलकर एक समझौता किया. अब कोई जानवर फसल बर्बाद करता है तो मालिक को हर्जाना देना पड़ता है. सभी लोग अपने जानवरों को बांधकर रखते हैं.

मेहनत की बदौलत बदली गांव की तस्वीर

किसान प्रेमचंद महतो का कहना है कि गांव में सिंचाई के लिए कोई संसाधन नहीं है. बिजली की भी व्यवस्था नहीं है. यहां गांव के बगल से एक नाला बहता है और उसी पानी से खेतों में पटवन किया जाता है. ग्रामीण चेक डैम निर्माण की मांग कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि सिंचाई की सुविधा के अभाव में कुछ जमीन खाली रह जाती है. पसरा टोला के किसानों यह तो साबित कर दिया कि लगन और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो तकदीर और तस्वीर दोनों बदली जा सकती है.

Last Updated : Jan 21, 2021, 7:36 PM IST
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