गांडेय, गिरिडीह: वन विभाग के अधिकारियों पर आरोप लगा है कि उन्होंने वन भूमि बताकर एक गरीब दलित परिवार का मकान तोड़ दिया है. मकान टूटने के बाद गरीब परिवार बेघर हो गया है और सिर छिपाने के लिए एक टूटी झोंपड़ी में ठिकाना बनाए हुए है. जबकि गरीब परिवार को 1987 में ही अनुमंडल पदाधिकारी गिरिडीह ने दो डिसमिल जमीन भूदान के रूप में दिया गया था. जिसपर मकान बनाकर दलित परिवार रह रहा था. पीड़ित परिवार ने डीसी एवं डीएफओ को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है.
1987 में मिला था भूदान
मामला बेंगाबाद प्रखंड के बदवारा पंचायत के कोकरची गांव का है. यहां दलित बेनी तुरी अपने पूरे परिवार के साथ 2 डिसमिल जमीन पर अपना मकान बनाकर रह रहा था. बताया गया कि दलित परिवार को 1987 में ही अनुमंडल पदाधिकारी गिरिडीह के द्वारा 2 डिसमिल जमीन भूदान के रूप में प्राप्त हुआ था. जिसके कागजात भी उनके पास है. मगर बीते 27 सितंबर को वन विभाग के पदाधिकारियों द्वारा उक्त जमीन को वन भूमि बताकर गरीब के घर को उजाड़ दिया गया.
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आरजू मिन्नत करने के बाद भी नहीं सुनी गई फरियाद
पीड़ित परिवार ने बताया कि ढोल बजाकर उनका गुजारा होता है. भूमिहीन होने के कारण वे लोग झुग्गी झोपड़ी में जीवन यापन करते थे. 1987 में इनकी दयनीय स्थिति को देखते हुए अनुमंडल पदाधिकारी ने घर बनाने के लिए भूमि दान दिया गया था. जिसके बाद तत्कालीन सीओ के आदेश पर जमीन का सीमांकन कर गरीब परिवार को जमीन मुहैया करायी गयी थी. तब से दलित परिवार उसी पर झोपड़ी लगाकर पूरे परिवार के साथ रह रहा था. पिछले दो तीन महीने पहले गरीब परिवार ने उक्त जमीन पर ईंट का मकान बनाकर रहना शुरू किया था. 27 सितंबर को जब वह विभाग के पदाधिकारी बेनी तुरी का घर उजाड़ने पहुंचे तो लोगों ने पदाधिकारियों की मिन्नते की लेकिन उशके बाद भी वन विभाग के पदाधिकारियों ने घर तोड़ दिया गया.
'नहीं दिखाया गया कोई कागज'
इस बाबत खुरछुट्टा वन क्षेत्र के रेंजर अजय कुमार ने कहा कि किसी प्रकार का कागजात नहीं दिखाया गया है. वन भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कार्य को हटाया गया. कागजात दिखाए जाने पर विचार किया जा सकता है.