गिरिडीहः शिक्षा विभाग विभाग द्वारा बेंच डेस्क खरीद को लेकर जो गाइडलाइन तैयार की गई थी, उस गाइडलाइन का उल्लंघन कर फर्नीचर की खरीद बिक्री हुई. इस दौरान गुणवत्ता पर सवाल उठाये जाने लगे तो जिला शिक्षा अधीक्षक ने बेंच-डेस्क की क्वालिटी को बेहतर बताया. लेकिन जैसे जैसे मामला बढ़ता गया वैसे वैसे यह भी बात सामने आयी कि मानकों को ताक पर रखते हुए स्कूलों में बेंच डेस्क की आपूर्ति की गई.
ऐसे में सवाल शिक्षा विभाग के मुखिया, प्रबंधन समिति पर उठने लगे हैं. यहां ये बात भी सामने आने लगी है कि नियमों के विरुद्ध आपूर्ति करने वाले कई लोगों ने ज्यादा मार्जिन रखते हुए घटिया क्वालिटी की फर्नीचर सप्लाई की. ऐसे फर्नीचर की आपूर्ति की गई जिसकी लागत लगभग 2500 से 3000 है. इस बीच ऐसा भी आपूर्तिकर्ता मिला, जिसने बेहतर सामान देना चाहा लेकिन इसमें बिचौलियों और गड़बड़ी करने वालों ने आपत्ति कर दी. इन्हें यह कहा गया कि कमजोर क्वालिटी भी चलेगा लेकिन कीमत कम होनी चाहिए. ऐसे ही आपूर्तिकर्ता में से एक हैं ब्रिजेश केडिया. ब्रिजेश केडिया का दावा है कि उनका सामान शिक्षा विभाग के तय मानक को पूरा करता है लेकिन वे कमीशन के खेल में शामिल नहीं हुए.
लाखों का माल ब्लॉक! स्कूल एंड होम के प्रॉपराइटर ब्रिजेश केडिया कहते हैं कि पिछली दफा उन्होंने जिले के लगभग 200 स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण फर्नीचर की आपूर्ति की थी. इस बार भी जब बेंच डेस्क आपूर्ति की बात सामने आयी तो उन्होंने विभाग के तय मानक के अनुसार पाइप और बोर्ड मंगवाया. कोलडीहा 07 नंबर में संचालित फिरोज गेट ग्रिल से बेंच डेस्क बनवाना भी शुरू किया, एक दो स्कूलों में आपूर्ति भी की. जिसका सामान की गुणवत्ता में बढ़िया और सभी से बेहतर हैं लेकिन ब्रिजेश का फर्नीचर इसलिए नहीं खरीदा गया क्यूंकि उसके फर्नीचर की लागत अधिक थी और बाजार में कम वजन का, मानक के विपरीत कम गुणवत्ता वाला फर्नीचर कम दाम पर मिल रहा था. चूंकि कुछ खर्च की मांग की जा रही थी और वे कमीशन देते तो गुणवत्ता से समझौता करना पड़ता. ऐसे में उन्होंने ने गुणवत्ता से ना समझौता करते हुए आपूर्ति नहीं करने का निर्णय लिया.
सभी को पता है कि कैसे हो रही लूटः ब्रिजेश केडिया ने कहा कि शिक्षा विभाग में सामानों की आपूर्ति में लूट मची है, ये बात सभी को पता है, पक्ष-विपक्ष सब जानते है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने कम लागत में गुणवत्ता से समझौता करते हुए सामान बनाया तो वे खर्च निकाल सके और डिमांड को पूरा किया तो उनके सामान की बिक्री हुई. कहा कि उनका सामान ब्लॉक हो गया और लाखों की पूंजी फंस गयी. ब्रिजेश केडिया ने बताया कि वे एक करोड़ का काम करते लेकिन तीन लाख का फर्नीचर ही बेच सके हैं.
लागत कम होगी तो घटिया सामान मिलेगाः जिस फिरोज गेट ग्रिल में ब्रिजेश केडिया फर्नीचर बनाते हैं उस कारीगर के पास भी ईटीवी भारत की टीम पहुंची. यहां फिरोज उन कमरों में ले गए जहां पर बेंच और डेस्क बनाकर रखा हुआ था. फिरोज वहां भी ले गए जहां टन में लोहे का पाइप रखा हुआ था. फिरोज ने बताया कि 22 किलो से अधिक वजन का लोहे का फ्रेम, बेहतर गुणवत्ता वाला बोर्ड लगाकर फर्नीचर बनाने में 3800 से 4000 हजार तक का खर्च आता है. इसके बाद ट्रांसपोर्टिंग का खर्च अलग. ऐसी ही गुणवत्ता पूर्ण फर्नीचर बनाया गया लेकिन इसे खरीदने को लोग तैयार नहीं हुए. कारीगर ने बताया कि दर्जनों फर्नीचर उनके यहां तैयार होकर दो तीन महीने से रखा हुआ है. जिस मालिक ने यह फर्नीचर बनाने दिया उन्होंने बताया कि बेंच डेस्क बिके या नहीं वे गुणवत्ता से समझौता नहीं करेंगे और न ही बेवजह की कमीशन किसी को देंगे. इस बार बेंच डेस्क नहीं बनने से कारीगर और सहयोगी की कमाई भी नहीं हो सकी है.
क्या हैं विभाग के मानकः झारखंड एजुकेशन प्रोजेक्ट काउंसिल रांची ने तीन सीट वाले बेंच डेस्क का आकार, विशिष्टता का साइज और विशिष्टता का मॉडल तैयार करते हुए उसे अप्रूव किया था. तय मानक के अनुसार बेंच-डेस्क का आकार 5 फीट लंबा x 3 फीट चौड़ा x 2 फीट ऊंचा, 6 इंच ऊंचा डेस्क का टॉप, 45 फीट लंबा x 1 फीट 4 इंच चौड़ा. बेंच का सीट 35 फीट लंबा x 1 फीट चौड़ा बेंच का पीठ 15 फीट लंबा x 10 इंच चौड़ा, डेस्क की ऊंचाई 2 फीट 6 इंच ऊंचा, बेंच की ऊंचाई 1 फीट 5 इंच की होगी.
इसकी विशिष्टता (Specification): बेंच का शीर्ष, बैठक, पीठ एवं डेस्क में 18 एमएम मोटाई का एमडीएफ बोर्ड (IS 14587) का बना होना चाहिए. बेंच में 1 इंच स्कॉयर पाइप (14 गेज) (IS 7138) का बना स्टील फ्रेम जिसपर एमडीएफ बोर्ड को फैब्रीकेट कर बैठाया जाएगा. बेंच और डेस्क में इस्तेमाल एमडीएफ बोर्ड का रंग नीला होगा. जिसकी कुल लागत 5000 रुपये की होगी.
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