ETV Bharat / state

दिव्यांग शिक्षक ने समाज में बनाया अलग पहचान, बच्चों को शिक्षित करने का लिया निर्णय - गिरिडीह में दिव्यांग शिक्षक ने समाज में अलग पहचान बनाया

मन में अगर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो शारीरिक बनावटें भी इसमें बाधा नहीं बनती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के घाघरा के रहने वाले दिव्यांग शिक्षक महेश कुमार महतो ने. वह दोनों पैर से लाचार हैं. इसके बावजूद उन्होंने ऊंची स्तर की पढ़ाई पूरी कर बतौर पारा शिक्षक आज समाज में नया इतिहास रचने का काम किया है.

विकलांग शिक्षक ने समाज में बनाया अलग पहचान
Disabled teacher created separate identity in society in Giridih
author img

By

Published : Sep 5, 2020, 10:48 PM IST

गिरिडीह: बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी पारा शिक्षक महेश कुमार महतो अपनी मेहनत के बदौलत समाज में नई पहचान बनाएं हैं. दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने तीन सालों तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिया. बाद में उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ.

देखें पूरी खबर

समाज में नया इतिहास रचने का काम किया

मन में अगर कुछ कर दिखाने का इरादा हो तो शारीरिक बनावटें भी इसमें बाधा नहीं बनती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के घाघरा के रहने वाले दिव्यांग शिक्षक महेश कुमार महतो ने. वह दोनों पैर से लाचार हैं. इसके बावजूद उन्होंने ऊंची स्तर की पढ़ाई पूरी कर बतौर पारा शिक्षक आज समाज में एक मिसाल पेश की है. उन्होंने शिक्षा जगत में 2007 में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. गांव के माहौल को देखते हुए, गांव के बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. आज नतीजा यह है कि कल तक शिक्षा से दूर रहने वाले यहां के बच्चे अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और डॉक्टर और इंजीनियर तक की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-ट्रंप ने की मोदी की तारीफ, कहा- भारत-चीन विवाद में मदद के लिए तैयार

निशुल्क में शिक्षा देने का काम रहा जारी

महेश का कहना है कि स्कूल आवागमन के लिए रास्ता ठीक नहीं होने से बारिश के दिनों में दिक्कत होती है. इस स्थिति में उन्हें कभी-कभी घर से जमीन पर रेंगते हुए ही स्कूल जाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 2007 में उन्होंने गांव में एक पेड़ के नीचे 3 सालों तक बच्चों को निशुल्क में शिक्षा देने का काम किया था. इसी बीच उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ और वे आज घाघरा अंतर्गत भुइया टोली प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

समाज से मिला था तिरस्कार

शिक्षक ने बताया कि उनकी पढ़ाई-लिखाई को गांव वाले पसंद नहीं करते थे. उनके प्रति लोगों की धारणा यह थी कि दिव्यांग है पढ़-लिख कर क्या करेगा. कहीं काम धंधा लगा दो, कुछ पैसा कमाएगा, लेकिन उनके अंदर शिक्षा का जज्बा भरा हुआ था और उन्होंने लोगों की बातों को नजरअंदाज करते हुए अपनी मुकाम तक पहुंचने में कभी पीछे नहीं देखा. उन्होंने कहा कि समाज ने उन्हें तिरस्कार जरूर किया था, लेकिन वही समाज आज उनका सम्मान करते हैं.

गिरिडीह: बगोदर प्रखंड के घाघरा निवासी पारा शिक्षक महेश कुमार महतो अपनी मेहनत के बदौलत समाज में नई पहचान बनाएं हैं. दिव्यांग होने के बावजूद उन्होंने तीन सालों तक बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिया. बाद में उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ.

देखें पूरी खबर

समाज में नया इतिहास रचने का काम किया

मन में अगर कुछ कर दिखाने का इरादा हो तो शारीरिक बनावटें भी इसमें बाधा नहीं बनती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बगोदर प्रखंड के घाघरा के रहने वाले दिव्यांग शिक्षक महेश कुमार महतो ने. वह दोनों पैर से लाचार हैं. इसके बावजूद उन्होंने ऊंची स्तर की पढ़ाई पूरी कर बतौर पारा शिक्षक आज समाज में एक मिसाल पेश की है. उन्होंने शिक्षा जगत में 2007 में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई. गांव के माहौल को देखते हुए, गांव के बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. आज नतीजा यह है कि कल तक शिक्षा से दूर रहने वाले यहां के बच्चे अब शिक्षा के महत्व को समझने लगे हैं और डॉक्टर और इंजीनियर तक की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें-ट्रंप ने की मोदी की तारीफ, कहा- भारत-चीन विवाद में मदद के लिए तैयार

निशुल्क में शिक्षा देने का काम रहा जारी

महेश का कहना है कि स्कूल आवागमन के लिए रास्ता ठीक नहीं होने से बारिश के दिनों में दिक्कत होती है. इस स्थिति में उन्हें कभी-कभी घर से जमीन पर रेंगते हुए ही स्कूल जाना पड़ता है. उन्होंने बताया कि 2007 में उन्होंने गांव में एक पेड़ के नीचे 3 सालों तक बच्चों को निशुल्क में शिक्षा देने का काम किया था. इसी बीच उनका चयन पारा शिक्षक के रूप में हुआ और वे आज घाघरा अंतर्गत भुइया टोली प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं.

समाज से मिला था तिरस्कार

शिक्षक ने बताया कि उनकी पढ़ाई-लिखाई को गांव वाले पसंद नहीं करते थे. उनके प्रति लोगों की धारणा यह थी कि दिव्यांग है पढ़-लिख कर क्या करेगा. कहीं काम धंधा लगा दो, कुछ पैसा कमाएगा, लेकिन उनके अंदर शिक्षा का जज्बा भरा हुआ था और उन्होंने लोगों की बातों को नजरअंदाज करते हुए अपनी मुकाम तक पहुंचने में कभी पीछे नहीं देखा. उन्होंने कहा कि समाज ने उन्हें तिरस्कार जरूर किया था, लेकिन वही समाज आज उनका सम्मान करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.