गिरीडीहः झारखंड में दो ठगों की गिरफ्तारी के बाद देश में लोगों की गोपनीय जानकारी की सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हुए हैं (Data Leak Jharkhand Case). देश के चार लाख लोगों का गोपनीय डेटा बाजार में आ चुका है. इसका खुलासा गिरिडीह में दो ठगों की गिरफ्तारी से हुआ (Cyber criminals arrested in Giridih) है. ये इस गोपनीय वित्तीय डेटा के जरिये लोगों से ठगी किया करते थे. इनके पास मिली फाइनेंशियल डेटा से पता चला है कि एसबीआई कस्टमर, कारोबारी और आईटी कर्मचारी इनके निशाने पर थे. इनके पास से दस हजार कारोबारियों समेत 4 लाख लोगों का संवेदनशील, निजी और वित्तीय डेटा मिला है.
ये भी पढ़ें-Jamtara Part-3! ठगी के लिए तमिल, कन्नड़, मराठी भाषा सीख रहे साइबर अपराधी
जानें क्या मिलाः झारखंड के गिरिडीह में कार में बैठकर साइबर ठगी को अंजाम दे रहे दो ठगों की गिरफ्तारी और इतना बड़ा डेटा इनके पास मिलने के बाद डीएसपी संजय राणा ने प्रेस वार्ता की. इस दौरान डीएसपी ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर साइबर थाना प्रभारी आदिकान्त महतो के नेतृत्व में टीम गठित कर छापेमारी की गई. पुलिस टीम जब बस स्टैंड पहुंची तो चार साइबर अपराधी एक कार में बैठकर लोगों को चूना लगाने की कोशिश कर रहे थे.
हालांकि अपराधियों को पुलिस के पहुंचने से कुछ पहले भनक लग गई. भनक लगते ही दो शातिर कार से निकल कर भागने में सफल हो गए, जबकि दो आरोपी दुलारचंद मंडल और सुजीत कुमार को पुलिस पकड़ने में कामयाब रही. गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि भागने वालों में बबलू मंडल और रूपेश कुमार शामिल हैं. पकड़े गए अपराधियों के पास से 14 हजार 600 रुपये बरामद किए गए हैं, जबकि उनके पास से 7 महंगे फोन, छह एटीएम कार्ड और एक कार जब्त की गई है.
ठगों के मोबाइल में डेटा का जखीराः डीएसपी संजय राणा ने बताया कि पकड़े गए अपराधियों के मोबाइल की जांच की गई तो पुलिस हैरान थी. इनके मोबाइल से 32 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन के सबूत मिले हैं. जबकि मोबाइल में चार लाख लोगों का नंबर डॉक्युमेंट फाइल सेव मिली. इन मोबाइल नंबर में एक लाख आईटी कर्मचारियों का नंबर है. वहीं करीब दस हजार नंबर बड़े-बड़े कारोबारियों के हैं. इसके अलावा एक हजार से अधिक लोगों के क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स मिली. आरोपियों के मोबाइल में छह हजार लोगों को एसबीआई का खाता बंद होने का मैसेज भेजने का प्रमाण मिला है.
पुलिस के लिए बड़ी कामयाबीः डीएसपी संजय राणा ने बाजार में फाइनेंशियल डेटा का जखीरा मामले पर कहा कि यह पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी है. पकड़े गए अपराधी काफी शातिर हैं और इनके पास से कई अहम सुराग मिले हैं. पूछताछ में जो जानकारी पुलिस को मिली है उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की प्रक्रिया की जा रही है. डीएसपी संजय राणा ने कहा कि गिरफ्त में आए शातिरों की निशानदेही पर साइबर फ्रॉड में शामिल कई शातिरों को गिरफ्तार किए जाने की संभावना है.
एसबीआई कस्टमर निशाने परः झारखंड में दो साइबर ठगों की गिरफ्तारी से एक बार फिर से देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक के उभोक्ताओं का डेटा असुरक्षित होने का मामला सामने आया है. इनसे बरामद फाइनेंशियल डेटा के जखीरे से पता चल रहा है कि बड़ी संख्या में एसबीआई कस्टमर के डेटा ठगों तक पहुंच चुके हैं. करीब छह हजार एसबीआई उपभोक्ताओं के पास इनकी ओर से अकाउंट बंद होने का मैसेज भेजने का खुलासा हुआ है. इससे इन उपभोक्ताओं की अकाउंट डिटेल की सुरक्षा पर सवाल हैं. कारोबारियों, एसबीआई कस्टमर, आईटी कर्मचारियों समेत चार लाख लोगों का इतना बड़ा निजी और वित्तीय डेटा इनके पास कैसे पहुंचा यह भी बड़ा सवाल है.
यहां से गिरफ्तार हुए अपराधीः पुलिस की पकड़ से बचने के लिए सुनसान जगह को छोड़कर साइबर अपराधी भीड़ भाड़ वाले इलाके से ठगी कर रहे थे. इनमें से दो शातिरों को गिरीडीह की साइबर थाना पुलिस ने एक कार से साइबर फ्रॉड करते हुए पकड़ा है. ये अपराधी झारखंड के गिरिडीह बस स्टैंड के पास एक कार में बैठकर साइबर ठगी कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए अपराधी डुमरी थाना क्षेत्र के जितकुंडी के रहने वाले बताए जा रहे हैं.
डेटा प्रोटेक्शन बिलः देश में आम नागरिकों के डेटा के दुरूपयोग को रोकने के लिए अभी कोई खातिरख्वाह कानून नहीं है. जबकि पाश्चात्य देशों ने निजी डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कानून बना लिया है. भारत में भी डेटा संरक्षण कानून की जरूरत महसूस की जा रही है. इसी के मद्देनजर दो साल पहले 11 दिसंबर 2019 कोसरकार संसद में डेटा प्रोटेक्शन बिल लेकर आई थी, हालांकि विपक्ष के विरोध के बाद इसे सरकार ने वापस ले लिया. जानकारों ने भी इसमें निजी डेटा की पर्याप्त सुरक्षा न होने की बात कही थी. साथ ही संसद की संयुक्त संसदीय समितन ने इसमें 81 संशोधन प्रस्तावित किए थे. अब केंद्र सरकार संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर नया विधेयक तैयार कर संसद में पेश करेगी.
क्या था वापस लिए गए डेटा संरक्षण विधेयक मेंः बता दें डेटा संरक्षण विधेयक के अनुसार कोई भी निजी या सरकारी संस्था किसी व्यक्ति के डेटा का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकती थी. इसमें किसी भी व्यक्ति को उसके डेटा के संबंध में काफी अधिकार दिए गए थे. इस बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी कार्यवाही के लिए इस डेटा के इस्तेमाल का भी प्रावधान था. हालांकि सरकार ने विश्वास दिलाया था कि इसके जरिये डेटा का गलत इस्तेमाल करने पर दोषी व्यक्तियों को दंडित भी किया जा सकेगा.
ये विधेयक व्यक्ति के निजी डेटा को उससे जुड़ी किसी भी जानकारी के रूप में परिभाषित करता था. यह विधेयक सरकार को विदेशों से व्यक्तिगत डेटा हस्तांतरण को अधिकृत करने की भी शक्ति देता था. विधेयक में व्यक्तियों की डिजिटल गोपनीयता की सुरक्षा के लिए डेटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करने की मांग भी की गई थी.
डार्क वेब पर बिकता है डेटाः पहले भी भारत में डेटा की सुरक्षा पर सवाल उठ चुके हैं. कई बार हैकर्स डार्क वेब पर भारत के तमाम लोगों का डेटा डार्क वेब पर बिकने का दावा कर चुके हैं. कई बार पांच से सात रुपये तक में एक व्यक्ति का डेटा बिकने की बात कही जाती है.