गिरिडीह: बांस का सूप-दउरा, पंखा, टोकरी बनाकर जिस दलित तुरी परिवार की जिंदगी चलती है वह परिवार पिछले 40 दिनों से इंसाफ की गुहार लगा रहा है. 40 दिनों से जमुआ प्रखंड के नावाडीह पंचायत के रहने वाले 11 दलित परिवार समाहरणालय के सामने धरना पर बैठे हैं. इनकी मांग दबंगों से उनकी जमीन वापस करवाने की है. इसी मांग को लेकर पिछले 12 सितम्बर से धरना दे रहे हैं.
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धरना पर बैठे भेखलाल तुरी, प्रतिमा देवी समेत अन्य बताते हैं कि जब झारखंड अलग नहीं हुआ था और बिन्देश्वरी दूबे बिहार के मुख्यमंत्री थे उस वक्त तुरी समाज के 11 परिवार को एक-एक एकड़ जमीन भूदान में मिली. इस जमीन पर मुस्लिम समाज के लोगों ने जबरन कब्जा जमा लिया. इसका विरोध किया तो वे लोग मारने पीटने पर उतारू हो गए. यह मामला कोर्ट में भी गया वहां पर भी दलितों की जीत हुई लेकिन जमीन पर कब्जा दबंगों का बरकरार है.
अंचल से जिला तक लगाई गुहार: धरना दे रहे लोगों का कहना है कि उनकी जमीन पर कब्जा करने वाले लोग काफी दबंग हैं और उनकी बात ही ज्यादा चलती हैं. उन्होंने जमीन कब्जा की शिकायत अंचल से लेकर जिला से की लेकिन जमीन से कब्जा हटाया नहीं जा सका. कहा कि कब्जा करने वाले इतने दबंग हैं कि जब भी अमीन नापी के लिए पहुंचा तो उसे खदेड़ दिया गया.
धरने में गुजरा चार पूजा, दशहरा भी यहीं मना रहे: धरना देने वालों ने बताया कि जब से वे धरना पर हैं तब से विश्वकर्मा पूजा, गणेश पूजा, करमा और जितिया पर्व यहीं मनाया. अब हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व दुर्गा पूजा भी खत्म होने को है. नवरात्रा चल रहा हैं इस दौरान भी वे लोग धरना से नहीं हटे. इनका कहना है कि दशहरा यहीं पर मना रहे हैं. कहा जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलेगा वे हटेंगे नहीं. हालांकि ये यह भी कहते हैं उन्हें पूरी उम्मीद हैं कि प्रशासन एक न एक दिन उनकी सुनेगा.
हरिजन उत्पीड़न का मामला हो दर्ज: भाजपा नेता कामेश्वर पासवान कहते हैं विशेष समुदाय के लोग दबनकारी नीति पर काम कर रहा हैं और प्रशासन कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ हरिजन उत्पीड़न का मामला दर्ज होना चाहिए. कामेश्वर ने बताया कि प्रशासन द्वारा दो बार जमीन मापी का प्रयास किया गया लेकिन उन दबंगों के सामने प्रशासन की नहीं चली. यह भी बताया कि अब 26 अक्तूबर का समय प्रशासन ने दिया. दूसरी तरफ इस मामले को लेकर पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया था.
26 को होगी नापी- अपर समाहर्ता: अपर समाहर्ता विल्सन भेंगरा का कहना हैं कि अनुसूचित जाति के लोगों को भू-पर्चा से जमीन मिली थी जिसपर दूसरे समुदाय के लोगों ने कब्जा जमा लिया. इस मामले को लेकर 17 सितंबर को मेरे पास आवेदन आया तो 18 को ही नापी करते हुए अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया. दो बार टीम नापी करने पहुंची लेकिन दूसरे पक्ष के लोग औरत बच्चों को लेकर पहुंच गए और नापी नहीं हो सकी. अब 26 अक्तूबर को नापी की तिथि निर्धारित हैं. इस दिन भारी सुरक्षा व्यवस्था के साथ नापी करवायी जाएगी.