गिरिडीहः बरगंडा में उसरी नदी पर स्थित पुराना पुल पिछले तीन दशक से जर्जर है. पुल की स्थिति देखते हुए ढाई साल पहले तामझाम से साथ पुल की आधारशिला रखी गई थी और दो वर्षों में निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन ढाई साल बाद भी पुल आधा-अधूरा ही खड़ा है. स्थिति यह है कि जान जोखिम में डालकर स्थानीय लोग आने-जाने को मजबूर हैं.
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सरकार, प्रशासन और निर्माण एजेंसी की अनदेखी के कारण पूर्ण ढांचा भी तैयार नहीं हो सका है. एक तरफ नया पुल बना नहीं है और दूसरी ओर पुराना पुल जर्जर है. स्थिति यह है कि पुराना पुल का पिलर भी टूट चुका है और अधिक बारिश होने पर पुल के ऊपर से पानी का बहाव होने लगता है. इसके बावजूद लोगों का आवागमन जारी हैं, जिससे हमेशा दुर्घटना की संभावना बनी रहती है.
5.98 करोड़ की लागत से बनना था पुल
5 करोड़ 98 लाख की लागत से नये पुल का निर्माण होना है. 24 नवंबर 2018 को इसकी आधारशिला तत्कालीन भाजपा सांसद रविंद्र पांडेय और भाजपा विधायक निर्भय कुमार शाहबादी ने रखी थी. लेकिन, सरकार बदलते ही निर्माण कार्य में अनदेखी की गई, जिसका खामियाजा बरगंडा के साथ साथ सिरसिया, शीतलपुर, पटेलनगर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
सरकार का विकास से नहीं है कोई रिश्ता
पूर्व विधायक निर्भय कुमार शाहबादी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों की अकर्मण्यता और ठेकेदार की मनमानी के कारण नया पुल निर्धारित समयसीमा में नहीं बन सका है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण का बहाना बनाकर विकास को अवरुद्ध कर रही है. सरकार का विकास से कोई रिश्ता नहीं है.
जेएमएम ने फोड़ा पूर्ववर्ती सरकार पर ठीकरा
जेएमएम जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने पुल निर्माण के लिए जिस एजेंसी का चयन किया था, वह काम करने में नाकाम साबित हुआ. उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ साल से काफी काम हुआ है. सरकार लगातार विभागीय स्तर पर निगरानी कर रही है, ताकि पुल शीघ्र बनकर तैयार हो जाए.
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एक-डेढ़ माह में शुरू हो जाएगा काम
पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता कुमार बीरेंद्र बहादुर ने कहा कि पुल का निर्माण जल्द हो, इसको लेकर विभाग लगातार सक्रिय है. उन्होंने कहा कि एक से डेढ़ माह में एजेंसी काम शुरू कर देंगी. इसके साथ ही पुराने पुल से आवागमन नहीं हो, इसको लेकर भी आदेश जारी किया गया है. फिलहाल, लोगों की मांग पर ही पुल बनाने की घोषणा हुई और काम शुरू किया गया, लेकिन विभाग के साथ साथ ठेकेदार की लापरवाही ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.