बगोदर, गिरिडीह: आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के उत्थान के लिए सरकार के द्वारा कई तरह की योजनाएं संचालित की जाती हैं. इसके बाद भी बिरहोरों की हालत बेहद खराब है. जगदीश बिरहोर ऐसे ही एक व्यक्ति हैं जिन्हें सरकारी सुविधाएं नहीं मिली हैं. घर के अभाव में जगदीश चार महीने से सरकारी भवन में रहने को मजबूर हैं. मगर उसकी सुध आज तक किसी ने नहीं ली है.
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अटका पूर्वी पंचायत में जगदीश बिरहोर चार महीने से आदिम जनजाति आवासीय विधालय के एक कमरे में अपने परिजनों के साथ रह रहे हैं. यह स्कूल पिछले कई सालों से बंद है. जगदीश बिरहोर ने बताया कि उनका मिट्टी का जो घर है वह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. बारिश के मौसम में उससे पानी भी गिरता था. इस घर के ढहने की आशंका को देखते हुए वह पूरे परिवार के साथ घर को छोड़कर स्कूल में शरण लिए हुए हैं. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि उसका बेटा और बहू आज भी उसी जर्जर मकान में जान को जोखिम में डालकर रहने को लाचार है. उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर की मांग की है.
इधर, अटका पूर्वी पंचायत के मुखिया संतोष प्रसाद ने बताया कि जगदीश बिरहोर सहित सात-आठ परिवारों ने बिरसाआवास का लाभ देने की मांग की है. इसके लिए अधिकारियों को चिठ्ठी भी लिखी गई है.