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गिरिडीहः कोरोना ने गुल की बैंड वालों की बत्ती, मालिक संग मजदूर भी चिंतित

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Published : Apr 28, 2021, 5:25 PM IST

Updated : Apr 28, 2021, 9:50 PM IST

कोरोना की मार सबसे अधिक गरीब और मध्यमवर्गीय तबके पर पड़ी है. कोरोना की दूसरी लहर के कारण वैवाहिक समारोह पर ग्रहण लग गया. इसका सीधा असर बैंड-बाजा वालों पर पड़ा है. गिरिडीह शहर की बात की जाए तो यहां पर डेढ़ दर्जन बैंड वाले हैं. इन बैंड वालों के यहां लगभग 4 से 5 सौ लोग काम करते हैं. अब चूंकि काम नहीं मिल रहा है, तो इनके सामने रोजी रोटी की समस्या है.

band owners and workers worried over Corona in giridih
गिरिडीह में कोरोना को लेकर चिंतित बैंड मालिक और कार्यकर्ता

गिरिडीहः कोरोना की दूसरी लहर भयावह हो गई है. हर रोज संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है तो मरनेवालों की संख्या में भी बढ़ोतरी है. इस संक्रमण पर रोक लगे इसे लेकर सरकार ने गाइडलाइंन लागू कर रखा है. भीड़ नहीं लगे तो वैवाहिक कार्यक्रमों में भी कई पाबंदियां लागू की गई है. शादी समारोह में 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी पर प्रतिबंध है. ऐसे में कई शादियों की तारीख बदल गई है. वहीं, जिसके यहां विवाह हो रहे हैं वे भीड़ से बच रहे हैं. इसका सीधा असर बैंड बाजा वालों पर पड़ा है. इन्हें काम नहीं मिल रहा है. काम नहीं मिलने के कारण आर्थिक समस्या भी आ खड़ी हुई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

ये भी पढ़ें-गिरिडीहः सरकारी योजनाओं से वंचित बच्चे, आदिवासी गांव गैडाही में नहीं है आंगनबाड़ी केंद्र

शहर में हैं डेढ़ दर्जन बैंडवाले

गिरिडीह शहर की बात की जाए तो यहां पर डेढ़ दर्जन बैंड वाले हैं. इनमें कृष्णा मिर्धा भोला भांगड़ा, रुस्तम बच्चा बैंड, शाहिद बच्चा बैंड, बेलाल महाराजा बैंड, राजन कलकत्ता बच्चा बैंड, गुड्डू तहलका बैंड, दुलारे चांदनी रथ, बालचंद पंजाब बैंड, कांतिलाल श्रीदेवा बैंड, आजाड़ भीआ पी बैंड, सोनू राजा बैंड, मुन्ना सम्राट बैंड, दुर्गा बैंड, नासिर पॉपुलर बैंड, आर्यन बच्चा बैंड प्रमुख हैं. इन बैंड वालों के यहां लगभग 4 से 5 सौ लोग काम करते हैं. अब चूंकि काम नहीं मिल रहा है, तो इनके सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.


चार माह होती है कमाई

इस मामले पर जिले के प्रसिद्ध बच्चा बैंड के रुस्तम अपनी पीड़ा बताते हैं. रुस्तम बताते हैं कि जब शादी में 50 लोगों को आने की अनुमति मिली है तो भला कोई बैंड वालों को क्यों बुलायेगा. इनका कहना है कि हर बैंडवाले के पास 30-40 मजदूर काम करते हैं. जब काम मिलेगा ही नहीं तो इन लोगों के वहर चूल्हा कैसे जलेगा, साथ इनका कहना है कि वैसे ही साल में 4-5 माह काम मिलता है. इसी कमाई से सालों भर घर चलता है लेकिन दो वर्षों से शादियों पर ही सारे नियम लागू कर दिए गए हैं.

सरकार से मदद की अपील

भोला भांगड़ा के कृष्णा मिर्धा कहते हैं कि पिछले साल से भी खराब स्थिति है. इस बार हर बैंडवालों के पास कम से कम 50-60 बुकिंग थी लेकिन सभी बुकिंग को कैंसल कर दी गई. बैंड वालों का कहना है कि सरकार को उनकी तरफ भी ध्यान देने की दरकार है. शादी समारोह में खुशियां बांटने वाले बैंड पार्टी के कर्मी और मालिक आज गमजदा हैं.

गिरिडीहः कोरोना की दूसरी लहर भयावह हो गई है. हर रोज संक्रमितों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है तो मरनेवालों की संख्या में भी बढ़ोतरी है. इस संक्रमण पर रोक लगे इसे लेकर सरकार ने गाइडलाइंन लागू कर रखा है. भीड़ नहीं लगे तो वैवाहिक कार्यक्रमों में भी कई पाबंदियां लागू की गई है. शादी समारोह में 50 से अधिक लोगों की मौजूदगी पर प्रतिबंध है. ऐसे में कई शादियों की तारीख बदल गई है. वहीं, जिसके यहां विवाह हो रहे हैं वे भीड़ से बच रहे हैं. इसका सीधा असर बैंड बाजा वालों पर पड़ा है. इन्हें काम नहीं मिल रहा है. काम नहीं मिलने के कारण आर्थिक समस्या भी आ खड़ी हुई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

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शहर में हैं डेढ़ दर्जन बैंडवाले

गिरिडीह शहर की बात की जाए तो यहां पर डेढ़ दर्जन बैंड वाले हैं. इनमें कृष्णा मिर्धा भोला भांगड़ा, रुस्तम बच्चा बैंड, शाहिद बच्चा बैंड, बेलाल महाराजा बैंड, राजन कलकत्ता बच्चा बैंड, गुड्डू तहलका बैंड, दुलारे चांदनी रथ, बालचंद पंजाब बैंड, कांतिलाल श्रीदेवा बैंड, आजाड़ भीआ पी बैंड, सोनू राजा बैंड, मुन्ना सम्राट बैंड, दुर्गा बैंड, नासिर पॉपुलर बैंड, आर्यन बच्चा बैंड प्रमुख हैं. इन बैंड वालों के यहां लगभग 4 से 5 सौ लोग काम करते हैं. अब चूंकि काम नहीं मिल रहा है, तो इनके सामने रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है.


चार माह होती है कमाई

इस मामले पर जिले के प्रसिद्ध बच्चा बैंड के रुस्तम अपनी पीड़ा बताते हैं. रुस्तम बताते हैं कि जब शादी में 50 लोगों को आने की अनुमति मिली है तो भला कोई बैंड वालों को क्यों बुलायेगा. इनका कहना है कि हर बैंडवाले के पास 30-40 मजदूर काम करते हैं. जब काम मिलेगा ही नहीं तो इन लोगों के वहर चूल्हा कैसे जलेगा, साथ इनका कहना है कि वैसे ही साल में 4-5 माह काम मिलता है. इसी कमाई से सालों भर घर चलता है लेकिन दो वर्षों से शादियों पर ही सारे नियम लागू कर दिए गए हैं.

सरकार से मदद की अपील

भोला भांगड़ा के कृष्णा मिर्धा कहते हैं कि पिछले साल से भी खराब स्थिति है. इस बार हर बैंडवालों के पास कम से कम 50-60 बुकिंग थी लेकिन सभी बुकिंग को कैंसल कर दी गई. बैंड वालों का कहना है कि सरकार को उनकी तरफ भी ध्यान देने की दरकार है. शादी समारोह में खुशियां बांटने वाले बैंड पार्टी के कर्मी और मालिक आज गमजदा हैं.

Last Updated : Apr 28, 2021, 9:50 PM IST

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