बगोदर,गिरिडीहः रंगों का त्योहार होली की खुमारी चारों ओर है. इस बीच सहियाओं के समक्ष होली में भी धरना देने की लाचारी है. पिछले एक महीने से कोड और लंबित मानदेय की मांग को लेकर धरना पर बैठी सहियाएं होली में भी धरना पर बैठी रहेंगी. वो अपने बच्चों के साथ धरना स्थल पर ही होली का त्योहार मनाएंगी.
अपनी मांगों को लेकर बगोदर और सरिया प्रखंड की सहियाओं के पास धरना देने की लाचारी बनी हुई है. पिछले 6 फरवरी से सहियाओं द्वारा बगोदर प्रखंड कार्यालय परिसर में धरना दिया जा रहा है. सोमवार 6 मार्च को धरना का एक महीना पूरा हो गया है बावजूद इसके सहियाओं की मांगें पूरी नहीं हुई है. इस एक महीने के अंदर धरने पर बैठीं 76 सहियाओं में 40 सहियाओं को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोड निर्गत कर दिया गया है, शेष 36 सहियाओं को कोड निर्गत नहीं किया गया है. ऐसे में कोड से वंचित सहियाएं धरना पर हीं डटी हुई हैं. जिन सहियाओं को कोड मिल गया है उनमें अधिकांश धरना से उठ गयी हैं, उनमें से गिने-चुनी कुछ सहियाएं कोड से वंचित सहियाओं का साथ धरना दे रही हैं.
धरना स्थल पर हीं सहियाएं मनाएंगी होलीः बगोदर प्रखंड मुख्यालय के पास सहियाओं के द्वारा धरना दिया जा रहा है. होली में भी सहियाएं धरना पर रहेंगी, वो अपने बच्चों के साथ धरना पर रहकर ही होली मनाएंगी. होली में घर नहीं जाने का मलाल सहियाओं में जरूर है लेकिन उनका कहना है कि यहां होली मनाना उनकी लाचारी है. सहियाओं का कहना है कि अब कोड मिलने के बाद ही वो घर जाएंगी. अब अगर बगैर कोड के धरना से उठ जाएंगी तब उन्हें घर-परिवार और आसपास के लोगों के द्वारा उन पर तरह-तरह के तंज भी कसे जाएंगे. सहियाओं ने बताया कि घर परिवार के द्वारा भी उन्हें कह दिया गया है कि वो घर परिवार की चिंता किए बगैर धरना पर अड़ी रहें.
5 साल पहले सहियाओं का हुआ है चयनः धरना दे रही सहियाओं ने बताया कि उनका चयन 5 साल पूर्व हुआ है, तब से विभागीय कार्यों का उनके द्वारा निपटारा किया जाता रहा है. वैश्विक महामारी कोरोना काल में भी जान को जोखिम में डालकर कार्य करते रहे बावजूद इसके उनको कोड निर्गत नहीं हुआ. कोड निर्गत नहीं होने के कारण उन्हें मानदेय के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है.
8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवसः 8 मार्च बुधवार को होली के साथ साथ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को अच्छे कार्यों के लिए सम्मानित किया जाता है, बेहतर कार्य करने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जाता है. लेकिन बगोदर की बात करें तो पिछले 4 साल से निशुल्क सेवा दे चुकीं महिलाओं को उनका अधिकार अब तक नहीं मिला है, सम्मान की बात तो दूर. वह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने हक और अधिकार की मांग को लेकर धरना पर बैठी रहेंगी.
कोड नहीं मिलने की ये है वजहः सहियाओं का मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है. इस संबंध में बगोदर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. विनय कुमार का कहना है कि जिन सहियाओं को कोड निर्गत नहीं हुआ है उनका चयन के समय निर्धारित उम्र 25 साल पूरा नहीं हुआ था. उससे कम उम्र में उनका चयन हुआ था. कोड निर्गत नहीं होने का यही बाध्यता है. उनका कहना है कि सहिया चयन के लिए फिर से प्रक्रिया की जाएगी, जिसमें सेवा दे चुकी सहियाओं को प्राथमिकता दी जाएगी.