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कोरोना ने रोकी कारीगरों के कैंची की रफ्तार, छलका दर्द

कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए सैलून दुकानों में अब भी लॉकडाउन लागू है. इसका असर न सिर्फ सैलून संचालकों में बल्कि सैलून में बाल काटने के उपयोग में लाए जाने वाले कैंची में धार देने वाले कारीगरों पर भी पड़ा है. जिसके कारण कारीगरों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.

सैलून कारीगर
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Published : Jul 26, 2020, 10:46 PM IST

गिरिडीह: कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए सैलून दुकानों में अब भी लॉकडाउन लागू है. इसका असर न सिर्फ सैलून संचालकों में बल्कि सैलून में बाल काटने के उपयोग में लाए जाने वाले कैंची में धार देने वाले कारीगरों पर भी पड़ा है. जिसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

क्या है कारिगरों का कहना

कारीगर मनोज विश्वकर्मा ने लॉकडाउन के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट को ईटीवी भारत से साझा किया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सैलून बंद रहने का सीधा असर उनके धंधे पर पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के पूर्व जब स्थिति सामान्य थी, तब रोजाना 30 से 40 कैंचियों में धार बनाने का काम मिलता था. इससे पूरे दिन वे अपने धंधे में व्यस्त रहते थे और घर- परिवार भी ठीक-ठाक से चलता था, लेकिन अब काम नहीं मिल रहा है.

ये भी पढे़ं- जयवर्धन सिंह हत्याकांड का मुख्य आरोपी निकला कोरोना पॉजिटिव, मचा हड़कंप

नहीं मिल रहा है काम

लॉकडाउन के कारण सैलून दुकानें बंद रहने से इन दिनों 10 से 12 कैंचियों में हीं धार देने का काम आता है. इससे उन्हें आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. वे कहते हैं कि बगोदर बाजार में उनकी इकलौता दुकान रहने के बावजूद यही स्थिति है. वे मूल रूप से धनबाद जिले के राजगंज का रहने वाले हैं. वे यहां डेरा लेकर अकेले रहते हैं और धंधा चलाते हैं. बीच-बीच में जब फूर्सत मिलती तब शाम में घर चले जाते हैं और फिर दूसरे दिन सुबह घर से दुकान पहुंच जाते हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना के कारण वे दाने दाने को मुस्ताद हो गए हैं.

गिरिडीह: कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए सैलून दुकानों में अब भी लॉकडाउन लागू है. इसका असर न सिर्फ सैलून संचालकों में बल्कि सैलून में बाल काटने के उपयोग में लाए जाने वाले कैंची में धार देने वाले कारीगरों पर भी पड़ा है. जिसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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क्या है कारिगरों का कहना

कारीगर मनोज विश्वकर्मा ने लॉकडाउन के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट को ईटीवी भारत से साझा किया है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सैलून बंद रहने का सीधा असर उनके धंधे पर पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के पूर्व जब स्थिति सामान्य थी, तब रोजाना 30 से 40 कैंचियों में धार बनाने का काम मिलता था. इससे पूरे दिन वे अपने धंधे में व्यस्त रहते थे और घर- परिवार भी ठीक-ठाक से चलता था, लेकिन अब काम नहीं मिल रहा है.

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नहीं मिल रहा है काम

लॉकडाउन के कारण सैलून दुकानें बंद रहने से इन दिनों 10 से 12 कैंचियों में हीं धार देने का काम आता है. इससे उन्हें आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. वे कहते हैं कि बगोदर बाजार में उनकी इकलौता दुकान रहने के बावजूद यही स्थिति है. वे मूल रूप से धनबाद जिले के राजगंज का रहने वाले हैं. वे यहां डेरा लेकर अकेले रहते हैं और धंधा चलाते हैं. बीच-बीच में जब फूर्सत मिलती तब शाम में घर चले जाते हैं और फिर दूसरे दिन सुबह घर से दुकान पहुंच जाते हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना के कारण वे दाने दाने को मुस्ताद हो गए हैं.

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