बगोदर, गिरिडीह: सहियाओं के द्वारा दो सूत्री मांगों को लेकर बगोदर प्रखंड परिसर में अनिश्चितकालीन धरना दिया जा रहा है. इस धरने के 100 दिन पूरे हो गए हैं. मगर इनकी मांगों को पूरा करने और धरना समाप्त करने के प्रति अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है. नतीजन ठंड के ठिठुरन से लेकर गर्मी की थपेड़ों का सामना करते हुए सहियाओं के द्वारा धरना दिया जा रहा है. सहिया कोड और लंबित मानदेय की भुगतान की मांग को लेकर फिलहाल 36 सहियाएं धरना पर बैठीं हुई हैं. इस धरना में सहियाओं के साथ उनके छोटे- छोटे बच्चे भी धरना पर रहते हैं.
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समर्थन में समिति ने दिया धरना: सहियाओं के धरना के समर्थन में बगोदर बचाओ संघर्ष समिति के द्वारा बुधवार को एक दिवसीय धरना दिया गया. समिति से जुड़े लोग धरनास्थल पहुंचे और सहियाओं के साथ धरना पर बैठ गए. इसके माध्यम से सहियाओं की मांगों को पूरा करने की मांग की गई. सहियाओं के धरने के 100 दिन बीत जाने के बावजूद उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर समिति के सदस्यों ने न केवल प्रशासन और संबंधित विभाग को बल्कि सतापक्ष और विपक्ष को भी लताड़ा है. उन्होंने कहा गया कि आधी आबादी के द्वारा सौ दिनों से धरना दिया जा रहा है और सतापक्ष और विपक्ष तमाशबीन बने हुए हैं. इससे यह साफ होता है कि सतापक्ष और विपक्ष को सिर्फ वोट से मतलब है, किसी के दुख और परेशानियों से उन्हें कोई मतलब नहीं है.
6 फरवरी से जारी है धरना: बता दें सहिया संघ का धरना 6 फरवरी से जारी है. इस बीच होली, शिवरात्रि, ईद, रामनवमी जैसे त्योहार सहियाओं ने धरना स्थल पर ही मनाया. बगोदर और सरिया प्रखंड के 76 सहियाओं के द्वारा धरना की शुरुआत की गई थी. इस बीच 40 सहियाओं को सहिया कोड मिलने के बाद वे धरना से उठ गईं. फिलहाल 36 सहियाओं के द्वारा धरना दिया जा रहा है.
कोड नहीं मिलने का वजह: धरना पर बैठी सहियाओं का चयन 2016- 17 में किया गया है. तब से उनके द्वारा कार्य किया जा रहा है. सहिया कोड देने की बारी आई तब उम्र की बाध्यता रोडा बन गया है. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा विनय कुमार का कहना है कि चयन के समय सहियाओं की उम्र 25 साल होनी चाहिए थी. मगर उस समय उम्र 25 साल नहीं होने के कारण सहियाओं को सहिया कोड के लाभ से वंचित रहना पड़ रहा है.