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वाह रे सरकारी व्यवस्था!, गरीबी पर भारी पड़ी ममता, बेटी के लिए मां बनी एम्बुलेंस

गढ़वा में एक बच्ची का पैर टूट गया. उसे इलाज के लिए वाहन नहीं मिला, जिसके बाद उसकी मां ने उसे अपने कंधे पर लादकर अस्पताल ले गई, जहां उसकी इलाज अस्पताल प्रशासन के लापरवाही के कारण नहीं हो सकी. महिला को अपनी बच्ची का इलाज कर्ज लेकर प्राइवेट अस्पताल में कराना पड़ा.

woman reached the hospital with her daughter on her shoulder in garhwa
गरीबी पर भारी पड़ी ममता
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Published : Apr 27, 2020, 8:13 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 8:22 PM IST

गढ़वा: गरीबी का दंश झेल रहे लोगों के लिए लॉकडाउन जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. गढ़वा में एक गरीबों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. जब एक मां ने अपनी बीमार बेटी की इलाज के लिए अपनी पीठ को ही एम्बुलेंस की बेड बना लिया.

देखें EXCLUSIVE रिपोर्ट

गढ़वा प्रखंड के महुलिया गांव की रिंकी देवी की बेटी सीमा का गिरने से पैर टूट गया था. उसे अस्पताल ले जाने के लिए लॉकडाउन और गरीबी के कारण वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी, तब महिला ने अपने पति सुनील के साथ उसे साइकिल पर बैठाकर गढ़वा के दानरो नदी तक ले आई. उसका पति लॉक डाउन में पकड़ाने के भय से नदी नहीं पार कर सका, जिसके बाद रिंकी ने अपनी 16 वर्षीया बेटी को पीठ पर लादकर सदर अस्पताल तक ले आई, लेकिन वहां उसका इलाज नहीं हो सका. विवश होकर उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराना पड़ा, जिसमें उसे कर्ज लेकर 2300 रुपये खर्च करने पड़े.

इसे भी पढे़ं:- गढ़वा से धनबाद जेल में 50 कैदियों को किया गया शिफ्ट, कोर्ट ने दिया था आदेश

पीड़िता की मां रिंकी ने कहा कि सरकारी अस्पताल में केवल पुर्जा काटकर दे दिया गया, न तो इलाज हुआ और न ही दवा मिली. वहीं पीड़िता के पिता सुनील कुमार चौहान ने बताया कि मजबूरी में शुद पर कर्ज लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में बेटी का इलाज कराना पड़ा, जिसमें 2300 सौ रुपये खर्च हुए.

वहीं सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि रिंकी देवी ने दलाल के चक्कर में पड़कर अपनी बेटी का इलाज बाहर करा लिया, इसमें वह क्या कर सकते हैं.

गढ़वा: गरीबी का दंश झेल रहे लोगों के लिए लॉकडाउन जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. गढ़वा में एक गरीबों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. जब एक मां ने अपनी बीमार बेटी की इलाज के लिए अपनी पीठ को ही एम्बुलेंस की बेड बना लिया.

देखें EXCLUSIVE रिपोर्ट

गढ़वा प्रखंड के महुलिया गांव की रिंकी देवी की बेटी सीमा का गिरने से पैर टूट गया था. उसे अस्पताल ले जाने के लिए लॉकडाउन और गरीबी के कारण वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी, तब महिला ने अपने पति सुनील के साथ उसे साइकिल पर बैठाकर गढ़वा के दानरो नदी तक ले आई. उसका पति लॉक डाउन में पकड़ाने के भय से नदी नहीं पार कर सका, जिसके बाद रिंकी ने अपनी 16 वर्षीया बेटी को पीठ पर लादकर सदर अस्पताल तक ले आई, लेकिन वहां उसका इलाज नहीं हो सका. विवश होकर उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराना पड़ा, जिसमें उसे कर्ज लेकर 2300 रुपये खर्च करने पड़े.

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पीड़िता की मां रिंकी ने कहा कि सरकारी अस्पताल में केवल पुर्जा काटकर दे दिया गया, न तो इलाज हुआ और न ही दवा मिली. वहीं पीड़िता के पिता सुनील कुमार चौहान ने बताया कि मजबूरी में शुद पर कर्ज लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में बेटी का इलाज कराना पड़ा, जिसमें 2300 सौ रुपये खर्च हुए.

वहीं सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि रिंकी देवी ने दलाल के चक्कर में पड़कर अपनी बेटी का इलाज बाहर करा लिया, इसमें वह क्या कर सकते हैं.

Last Updated : Apr 27, 2020, 8:22 PM IST
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