गढ़वा: गरीबी का दंश झेल रहे लोगों के लिए लॉकडाउन जले पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है. गढ़वा में एक गरीबों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है. जब एक मां ने अपनी बीमार बेटी की इलाज के लिए अपनी पीठ को ही एम्बुलेंस की बेड बना लिया.
गढ़वा प्रखंड के महुलिया गांव की रिंकी देवी की बेटी सीमा का गिरने से पैर टूट गया था. उसे अस्पताल ले जाने के लिए लॉकडाउन और गरीबी के कारण वाहन की व्यवस्था नहीं हो सकी, तब महिला ने अपने पति सुनील के साथ उसे साइकिल पर बैठाकर गढ़वा के दानरो नदी तक ले आई. उसका पति लॉक डाउन में पकड़ाने के भय से नदी नहीं पार कर सका, जिसके बाद रिंकी ने अपनी 16 वर्षीया बेटी को पीठ पर लादकर सदर अस्पताल तक ले आई, लेकिन वहां उसका इलाज नहीं हो सका. विवश होकर उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराना पड़ा, जिसमें उसे कर्ज लेकर 2300 रुपये खर्च करने पड़े.
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पीड़िता की मां रिंकी ने कहा कि सरकारी अस्पताल में केवल पुर्जा काटकर दे दिया गया, न तो इलाज हुआ और न ही दवा मिली. वहीं पीड़िता के पिता सुनील कुमार चौहान ने बताया कि मजबूरी में शुद पर कर्ज लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल में बेटी का इलाज कराना पड़ा, जिसमें 2300 सौ रुपये खर्च हुए.
वहीं सिविल सर्जन डॉ एनके रजक ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि रिंकी देवी ने दलाल के चक्कर में पड़कर अपनी बेटी का इलाज बाहर करा लिया, इसमें वह क्या कर सकते हैं.