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14 बच्चों के पिता को मौत के बाद नसीब नहीं हुए 4 कंधे, सिपाही का शव कचरे की गाड़ी में पहुंचाया श्मशान

मुफलिसी और अपनों की रूसवाई का दर्द क्या होता है, कोई जानना चाहे तो देखे सिपाही जयराम महतो की जिंदगी को. जिसने 14 संतानों का बाप होकर पहले बेसहारों की जिंदगी गुजारी. फिर मौत के बाद 4 कंधे भी उसे नसीब नहीं हुए.

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Published : May 7, 2019, 7:53 PM IST

देखिए एक सिपाही पिता की दर्द भरी दास्तान

गढ़वाः जिले में एक बुजुर्ग शख्स की मौत लू लगने से हो गई. वो भीख मांगकर गुजारा करता था. किस्मत की मार उस पर ऐसी पड़ी कि उसे चार कंधे भी नहीं नसीब हुए. जबकि उसका काफी समृद्ध परिवार है.

देखिए एक सिपाही पिता की दर्द भरी दास्तान

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे 70 वर्षीय जयराम महतो की गढ़वा में लू लगने से मौत हो गयी. उसके परिवारवालों ने उससे मुंह मोड़ लिया था. जिसके बाद वो भटकते हुए गढ़वा पहुंचा. उसकी छह बेटियों और आठ बेटे हैं. गढ़वा में वो तंगहाली में जिंदगी गुजारा करता था. इसी दौरान सड़क पर भटकती गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गयी. जिसके बाद दोनों साथ रहने लगे.

ये भी पढ़ेंः हजारीबाग की कटकमसांडी प्रमुख कुमारी श्रीति ने खाया जहर

मंजरी ने बताया कि वो लोग तीन साल से साथ रह रहे थे. लू लगने की वजह से अचानक उसकी मौत हो गई. हद तो यह है कि इस घटना की जानकारी बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ को दी गई. लेकिन कहीं से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. बाद में उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेला में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

गढ़वाः जिले में एक बुजुर्ग शख्स की मौत लू लगने से हो गई. वो भीख मांगकर गुजारा करता था. किस्मत की मार उस पर ऐसी पड़ी कि उसे चार कंधे भी नहीं नसीब हुए. जबकि उसका काफी समृद्ध परिवार है.

देखिए एक सिपाही पिता की दर्द भरी दास्तान

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे 70 वर्षीय जयराम महतो की गढ़वा में लू लगने से मौत हो गयी. उसके परिवारवालों ने उससे मुंह मोड़ लिया था. जिसके बाद वो भटकते हुए गढ़वा पहुंचा. उसकी छह बेटियों और आठ बेटे हैं. गढ़वा में वो तंगहाली में जिंदगी गुजारा करता था. इसी दौरान सड़क पर भटकती गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गयी. जिसके बाद दोनों साथ रहने लगे.

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मंजरी ने बताया कि वो लोग तीन साल से साथ रह रहे थे. लू लगने की वजह से अचानक उसकी मौत हो गई. हद तो यह है कि इस घटना की जानकारी बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ को दी गई. लेकिन कहीं से भी कोई व्यवस्था नहीं की गई. बाद में उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेला में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया.

Intro:गढ़वा।लिव इन रिलेशन की समझ नहीं होते हुए भी 3 वर्ष से एक साथ जीवन वसर कर रहे दो बुजुर्गों की जोड़ी सोमवार को तब टूट गयी जब पुरुष बुजुर्ग की गर्मी-लू से मौत हो गयी। महिला बुजुर्ग रो-रोकर अपने प्यार का इजहार कर रही थी। पर विडम्बना यह रही कि इस घटना को बाजार समिति प्रशासन, पुलिस और सदर एसडीओ के संज्ञान में देने बाद भी उस बुजुर्ग को अंतिम संस्कार के लिए चार कंधे नहीं मिले। उसे नगर परिषद की गंदगी उठाने वाले ठेला में लादकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।


Body:जानते चले कि उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में सिपाही रहे जयराम महतो का पत्नी के निधन के बाद उसके छह बेटियों और आठ बेटों के साथ निर्वाह नहीं हो सका। वह भटकते हुए गढ़वा आ गया। गन्दे-फ़टे रोड पर फेंके कपड़ों को चुनकर-बेचकर अपनी बची-खुची जीवन को चलाने का जदोजहद करने लगा। इसी दौरान सड़क पर भटक थी गढ़वा जिले के अटेला गांव की मंजरी से उसकी मुलाकात हो गयी। पति के निधन के बाद बेटा-बेटी भी मंजरी से मुंह मोड़ लिए थे। तीन वर्षों से लगभग 70 वर्ष के जयराम और 65 वर्ष की मंजरी एक ही चादर ने नीचे जीवन वसर कर रहे थे।


Conclusion:मंजरी ने बताया कि उन दोनों के बीच शादी नहीं हुई थी, फिर भी 3 वर्ष से एक साथ थे। अब वह अकेला हो गयी है। वह कहां जाएगी, उसकी बची जीवन कैसे कटेगी, कुछ भी समझ नहीं पा रही है। विजुअल- बाइट-मंजरी
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