गढ़वा: पेट की आग बुझाने के लिए दूसरे प्रदेशों में पलायन करने वाले मजदूरों को लॉकडाउन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गढ़वा के डंडई प्रखंड के कुछ मजदूर 400 किलोमीटर पैदल चलने के बाद जब वो थक गए. तब उन्होंने घर से पैसे मंगवाकर साइकिल खरीदी और 12 दिन बाद घर पहुंचे.
जिले के डंडई प्रखंड के विभिन्न गांव से 60-70 की संख्या में मजदूर रोजी-रोटी के लिए आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम गए थे, वहां उन्हें गए दो दिन ही हुए थे कि लॉकडाउन लग गया. उन्हें वहां काम भी नहीं मिला था. डेढ़ महीने तक उन लोगों ने वहां किसी तरह दिन गुजारा. उसके बाद वहां से भागने लगे. कोई उपाय नहीं सूझने पर 13 मजदूरों का दल 7 मई को विशाखापत्तनम से पैदल ही घर के लिए निकल गए. लगभग 400 किलोमीटर पैदल चलकर वे ओडिशा पहुंचे. उनके पांव सूज गए और वो पूरी तरह थक गए थे, जिसके बाद सभी मजदूर सड़क पर ही दो दिनों तक सोए. उसके बाद अपने घरों से साइकिल खरीदने के लिए 6-6 हजार रुपये की मांग की. घर वालों ने कर्ज लेकर उन्हें पैसे भेजे, जिसके बाद मजदूरों ने ओडिशा में साइकिल खरीदी और गढ़वा पहुंचे.इसे भी पढ़ें;- गढ़वाः कंपनी ने छोड़ा साथ, प्रशासन ने बढ़ाया हाथ, 50 लोगों को पहुंचाया गया छत्तीसगढ़मजदूरों की टोली में शामिल डंडई के करके गांव का मजदूर विकास कुमार भुइयां ने कहा कि पैदल चलते-चलते उनके पांव सूज गए थे, वे रास्ता भी भूल रहे थे, रास्ते में चापानल पर पानी पीने जाते तो लोग डांटकर भगा देते थे, लेकिन कई स्थानों पर भोजन के पैकेट भी व्यवस्था थी. इस कारण उन्हें कोई बड़ी दिक्कत नहीं हुई. गढ़वा लौटने के बाद वो बहुत खुश हैं कि वो जीवित घर लौट आये हैं.