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तेलंगाना में गढ़वा के 46 मजदूर फंसे, मंत्री ने तेलंगाना सरकार और सीएम हेमंत से की उनकी मदद की अपील

पूरे देश में कोरोना अपना कहर बरपा रहा है. इसे लेकर सभी जगहों पर लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. जिसमें कई लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं. गढ़वा के 46 मजदूर तेलंगाना में फंस गए हैं, जिसकी मदद के लिए मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने तेलंगाना सरकार और सीएम हेमंत सरकार को ट्वीट किया है.

fourty six workers of Garhwa stranded in Telangana
तेलंगाना में गढ़वा के 46 मजदूर फंसे
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Published : Mar 27, 2020, 9:13 PM IST

गढ़वा: कोरोना महामारी से बचने लिए देश में लागू लॉकडाउन के कारण गढ़वा सहित झारखंड के 5 हजार से ज्यादा मजदूरों की जान संकट में है. जो दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैंं. उनके सामने खाने-पीने की विकट समस्या आ गई है. गढ़वा के विधायक और झारखंड के पेयजल-स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने इन मजदूरों की सहायता की पहल की है.

fourty six workers of Garhwa stranded in Telangana
तेलंगाना में गढ़वा के 46 छात्र फंसे

मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने ट्विटर के जरिये तेलंगाना सरकार के साथ-साथ सीएम हेमंत सोरेन से मजदूरों की मदद करने की मांग की है. मंत्री के ट्वीट को सीएम हेमंत सोरेन ने भी री-ट्वीट किया है.

गढ़वा जिला झारखंड का अति पिछड़ा जिला है. जिले में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां के लाखों लोग दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन करते हैं. तेलंगाना में गढ़वा के 46 मजदूर फंसे हुए हैं, वहीं पूरे प्रदेश के लगभग 5 हजार मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं.

मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के पास न तो पैसा है और न ही राशन, वे भोजन के लिए तड़प रहे हैं. उन्होंने बताया कि तेलंगाना में फंसे मजदूरों ने उन्हें एक आवेदन प्रेषित किया था, जिसमें अपनी समस्याओं को बताया था.

मंत्री ने ट्वीट कर तेलंगाना के सीएम, डीजीपी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से तेलंगाना में फंसे मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करने की मांग की है. मंत्री की इस मांग को सीएम हेमंत ने गंभीरता से लेते तेलंगाना सरकार को री-ट्वीट किया और मजदूरों को सहायता प्रदान करने की पहल शुरू कर दी. इसी तरह ओडिशा के राउरकेला में फंसे गढ़वा के 20 मजदूरों को विशेष वाहन से गढ़वा भेजा गया है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इन मजदूरों की मेडिकल टेस्ट कराने और उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिए पलामू, गढ़वा के डीसी, झारखंड सीएमओ और सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट किया है. जबकि दूसरी ओर बिहार के राजगृह से तीन मजदूर पैदल ही गढ़वा के लिए निकले हैं, दो दिनों तक पैदल यात्रा के बाद वे आधा रास्ता ही तय कर पाए हैं.

गढ़वा: कोरोना महामारी से बचने लिए देश में लागू लॉकडाउन के कारण गढ़वा सहित झारखंड के 5 हजार से ज्यादा मजदूरों की जान संकट में है. जो दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैंं. उनके सामने खाने-पीने की विकट समस्या आ गई है. गढ़वा के विधायक और झारखंड के पेयजल-स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने इन मजदूरों की सहायता की पहल की है.

fourty six workers of Garhwa stranded in Telangana
तेलंगाना में गढ़वा के 46 छात्र फंसे

मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने ट्विटर के जरिये तेलंगाना सरकार के साथ-साथ सीएम हेमंत सोरेन से मजदूरों की मदद करने की मांग की है. मंत्री के ट्वीट को सीएम हेमंत सोरेन ने भी री-ट्वीट किया है.

गढ़वा जिला झारखंड का अति पिछड़ा जिला है. जिले में रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां के लाखों लोग दूसरे प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन करते हैं. तेलंगाना में गढ़वा के 46 मजदूर फंसे हुए हैं, वहीं पूरे प्रदेश के लगभग 5 हजार मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे हुए हैं.

मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा है कि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के पास न तो पैसा है और न ही राशन, वे भोजन के लिए तड़प रहे हैं. उन्होंने बताया कि तेलंगाना में फंसे मजदूरों ने उन्हें एक आवेदन प्रेषित किया था, जिसमें अपनी समस्याओं को बताया था.

मंत्री ने ट्वीट कर तेलंगाना के सीएम, डीजीपी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से तेलंगाना में फंसे मजदूरों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था करने की मांग की है. मंत्री की इस मांग को सीएम हेमंत ने गंभीरता से लेते तेलंगाना सरकार को री-ट्वीट किया और मजदूरों को सहायता प्रदान करने की पहल शुरू कर दी. इसी तरह ओडिशा के राउरकेला में फंसे गढ़वा के 20 मजदूरों को विशेष वाहन से गढ़वा भेजा गया है. मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने इन मजदूरों की मेडिकल टेस्ट कराने और उन्हें सुरक्षित उनके गंतव्यों तक पहुंचाने के लिए पलामू, गढ़वा के डीसी, झारखंड सीएमओ और सीएम हेमंत सोरेन को ट्वीट किया है. जबकि दूसरी ओर बिहार के राजगृह से तीन मजदूर पैदल ही गढ़वा के लिए निकले हैं, दो दिनों तक पैदल यात्रा के बाद वे आधा रास्ता ही तय कर पाए हैं.

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