जमशेदपुर: वैक्सीनेशन की पहुंच को लेकर केंद्र सरकार की ओर से लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण विभाग और स्वास्थ्य विभाग इन दोनों की तरफ से राज्यों को निर्देश दिए गए हैं कि वे ट्रांसजेंडर, हाशिए पर पड़े वृद्धजनों, दिव्यांगों और विशेष रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन की व्यवस्था करें. इसी को लेकर ट्रांसजेंडर के लिए कार्यरत संस्था उत्थान सीबीओ की तरफ से एक वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसमें शहर के कई गणमान्य लोग शामिल हुए.
हाईकोर्ट में याचिका डालने की जरूरत
ट्रांसजेंडर के वैक्सीनेशन विषय पर आयोजित वेबिनार में एचआरएलएन एडवोकेट सोनल तिवारी की ओर से अहम जानकारी दी गई. उन्होंने बताया कि पहले राशन कार्ड में भी ट्रांसजेंडर का ऑप्शन नहीं दिया गया था, लेकिन धीरे-धीरे लड़ाई लड़ने के बाद थर्ड जेंडर का विकल्प लाया गया. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से इस समुदाय की हालत पहले से भी दयनीय हो गई है. उन्होंने बताया कि इस समुदाय के लिए कोई भी शेल्टर होम नहीं है और न ही किसी वेलफेयर बोर्ड का गठन किया गया है. उन्होंने इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका डालने की जरूरत पर जोर दिया.
कब लें वैक्सीन?
वेबिनार में डॉक्टर नागमणि, बेहरा और आर्ट की स्मृति ने वैक्सीनेशन से जुड़ी भ्रांतियों को दूर किया. उन्होंने बताया कि कोई अगर क्रॉनिक बीमारी से ग्रसित है, तब वैक्सीन नहीं लेना चाहिए. बाकी लोगों को वैक्सीन जरूर लेनी चाहिए. अगर कोई एचआईवी पॉजिटिव है और क्रॉनिक डिजीज से ग्रसित नहीं है तो वह भी वैक्सीन लगवा सकता है. उन्होंने बताया कि टीके का कोई साइड इफेक्ट नहीं है.
थर्ड जेंडर समुदाय की करेंगे मदद
वेबिनार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि वे सदैव थर्ड जेंडर समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं और जब भी जरूरत पड़ेगी समुदाय की मदद करने में पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि जिला और राज्य स्तर पर इसकी पहल करनी होगी, जिसमें उनका सहयोग निश्चित रूप से रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने बताया की पूर्वी सिंहभूम के पास ही सरायकेला में विशेष रोगों से ग्रसित लोगों के लिए प्राथमिकता के आधार पर ऐसा किया जा रहा है. वैसे-वैसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर पड़ा है, ऐसे लोगों को सरायकेला प्रशासन ने चिन्हित कर उन्हें वैक्सीनेशन की सुविधा प्रदान कराई है. उन्होंने कहा कि पूर्वी सिंहभूम में भी सभी तबकों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए. इस वेबिनार में छत्तीसगढ़, पूर्वी सिंहभूम, खरसावां, गिरिडीह और रांची के ट्रांसजेंडर मौजूद रहे.