जमशेदपुर: जिले में रहने वाले दक्षिण भारत के अलग-अलग भाषा के लोग शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अपनी पुरानी परंपरा के अनुसार करते आ रहे हैं. तेलुगु भाषा के लोगों की तरफ से 9 दिनों तक अपने घरों में वमलाकोलुयु पूजा करते हैं. साधारण भाषा में इसे गुड़िया पूजा कहते हैं. तेलगु भाषा के लोगों का कहना है आदिकाल से होने वाली पूजा कि इस संस्कृति को आज की पीढ़ी को समझना जरूरी है. जिससे इस पुरानी स संस्कृति को बचाया जा सके.
किया जाता है गुड़िया पूजा
घरों में मनाए जाने वाला वमलाकोलुयु पुजा स्थल को भव्य तरीके से सजाया जाता है. आकर्षक विद्युत सज्जा जाती है. प्रभावती बताती है कि हमारे समाज मे मनाए जाने वाला इन पूजा का खास महत्व होता है. लोगों की मन्नत पूरी होती है. मन्नत पूरी होने पर एक गुड़िया चढ़ाया जाता है. इसे गुड़िया पूजा भी कहा जाता है.
गुड़िया पूजा में शामिल होकर नवरात्रि का आनंद
वर्तमान हालात में कोरोना के कारण लोग अपने घरों में सिमटे हुए हैं. पूजा का आनंद बाहर पंडालों में घूम-घूमकर नहीं ले सकते हैं. दक्षिण भारतीयों की तरफ से घरों में मनाए जाने वाला गुड़िया पूजा में शामिल होकर नवरात्रि का आनंद ले रहे हैं. वमलाकोलुयु पूजा में शामिल होने वाली दिव्यानि उपाध्याय बताती है की कोरोना के कारण बाहर नहीं जा सकते हैं, लेकिन दक्षिण भारतीयों की तरफ से इस तरह की पूजा में शामिल होकर आनंद की अनुभूति होती है. तेलुगु समाज के लोगों का प्रयास है कि आदिकाल से चली आ रही कि इस पुरानी संस्कृति को वर्तमान पीढ़ी भूले नहीं.
एक दुसरे को लगाती है कुमकुम
नवरात्री के नौ दिनों तक वमलाकोलुयु यानी गुड़िया पूजा में महिलाएं पाठ कर एक दूसरे को मान्यता के अनुसार कुमकुम लगाती है और प्रसाद लेती है. कोरोना काल मे भले ही बाहर उत्साह कम दिख रहा है, लेकिन घरों में होने वाली इस पूजा में लीग उत्साहित है.