जमशेदपुरः शहर के एग्रीको मैदान में ललित नारायण मिश्र सामाजिक एवं सांस्कृतिक कल्याण समिति द्वारा आयोजित दो दिवसीय मिथिला महोत्सव का समापन रविवार को हो गयी. महोत्सव के आखिरी दिन काफी संख्या में लोग पहुंचे थे.
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जमशेदपुर में मिथिला महोत्सव के दूसरे और अंतिम दिन लोगों के लिए मिथिला हाट मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा. मिथिला हाट में मैथिल महिलाओं द्वारा मिथिला के विविध व्यंजनों के साथ-साथ प्राकृतिक रूप से तैयार फूड प्रोडक्ट्स की भी प्रदर्शनी लगाई गयी. मिथिलांचल के व्यंजनों में ओल की खीर, मखाना की खीर, मालपुआ, तली हुई मछली, तिलकोर, कचरी, दाल पुरी समेत कई पकवान के स्टाल ने लोगों को काफी आकर्षित किया. यहां लोगों ने इन व्यंजनों का जमकर आनंद लिया.
मिथिला महोत्सव में जमशेदपुर के पूर्व सांसद डॉ अजय कुमार और उत्पाद आयुक्त अरुण कुमार मिश्रा भी शामिल हुए. मिथिला की परंपरागत सम्मान परंपरा के तहत पाग और चादर से अतिथियों का सम्मान किया गया और जय-जय भैरवी गान के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ. मुख्य अतिथि डॉ अजय कुमार अपने संबोधिन में कहा कि मिथिला वासी प्रबुद्ध समुदाय के लोग हैं, जो हमेशा समाज और राज्य के लिए चिंतन करते रहते हैं. जब भी इस समाज को जरूरत हुई है उन्होंने हमें याद किया है, हम मिथिला समाज के साथ हमेशा खड़े रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैथिल समाज द्वारा मैथिली भाषा के लिए किए गए आंदोलन में भी हम साथ थे, आगे भी समाज की जो भी जरूरत होगी विद्यापति की भाषा संस्कृति ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है हम इसके साथ खड़े रहेंगे.
डॉ अजय कुमार ने भी अपने संबोधन में भाषा और संस्कृति के क्षेत्र में मिथिला के योगदान को सम्मानित किया. उन्होंने ललित बाबू को याद करते हुए कहा बहुत दिनों के बाद पैसे जन नेता पैदा होते हैंं जिन्हें सभी वर्गों का प्यार मिले. ललित बाबू के जन्म सप्तवार्षिकी के अवसर पर आयोजित यह कार्यक्रम इस बात को स्पष्ट करता है कि समाज के लिए जीने वाले समाज के लिए मरने वाले जनता को समाज भी नहीं बुलाता है. ललित बाबू केवल बिहार के नहीं पूरे राष्ट्र के नेता थे जो अपने समाज के साथ-साथ सर्व समाज के लिए चिंतनशील थे. उन्होंने कहा कि मैं इस पक्ष में हूं कि सभी भाषा का विकास होना चाहिए सभी भाषा और संस्कृति को समन्वय पूर्वक काम करना चाहिए और मैथिली को भी झारखंड और पूरे देश में उचित सम्मान मिलना चाहिए, नियोजन नीति में मैथिली को स्थान देना सकारात्मक कदम होगा.
वहीं उत्पाद आयुक्त अरुण कुमार मिश्रा ने भी ललित बाबू जैसे नेता उनके विकास परख नीति को आज समय की जरूरत बताया. उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग, मिथिला अक्षर के विकास के लिए वो सतत प्रयत्नशील रहे. आज आर्थिक विकास के लिए इस प्रकार की योजना की दरकार है जिसमें ललित बाबू की विकास पर दृष्टि झलकती हो. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष और पूर्व सिविल सर्जन डॉक्टर एके लाल ने किया. उन्होंने कहा कि मुझे ललित बाबू से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है और उनसे मैं प्रभावित रहा हूं. उनके व्यापक दृष्टि का ही परिणाम था कि कोसी का बांध बन सका और देश के कोने कोने में बिहार झारखंड सहित रेल पहुंची.
इस कार्यक्रम में स्वागत भाषण नव कांत झा और धन्यवाद ज्ञापन महासचिव शंकर पाठक ने किया. कार्यक्रम के दूसरे दिन श्रीनिवास झा द्वारा संस्था के मांग पत्र को समक्ष रखा गया और इससे अतिथियों को सुपुर्द किया गया. जिसमें झारखंड के क्षेत्रीय भाषा सूची में मैथिली को शामिल करने जेपीएससी के वैकल्पिक विषय में मैथिली को शामिल करने तथा राज्य की नियोजन नीति में मैथिली को स्थान देने की मांग की गई. इसके साथ ही केंद्र सरकार से मांग की गई कि जमशेदपुर से दरभंगा और सहरसा तक ट्रेन सेवा प्रारंभ की जाए जिसका समर्थन खचाखच भरे मैदान के दर्शकों ने करतल ध्वनि से किया.
वहीं इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में राजीव ठाकुर, विजय चंद झा, निवास झा, सरोज कांत झा, पंकज कुमार राय, राघव मिश्र, प्रफुल्ल चंद्र मिश्र, शिव चंद्र झा, रंजीत झा, राजेश झा, चंदन मिश्र समेत अन्य लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही.