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आदिवासी समाज के लोगों ने मनाया दिशुआ पर्व, बोले- बनी रहती है एकता - swarnrekha river

जमशेदपुर में आदिवासी समाज के संथाल समुदाय के लोगों ने दिशुआ पर्व मनाया. दिशुआ पर्व एकता का प्रतीक माना जाता है.

Tribal society celebrated dishua festival in jamshedpur
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Published : Apr 8, 2019, 7:46 PM IST

जमशेदपुर: आदिवासी समाज के संथाल समुदाय के लोग बाहा पर्व के बाद दिशुआ पर्व मनाते हैं. दिशवा आदिवासी समाज का पर्व है, जिसमें बिना जाल और बिना किसी औजार के मछलियों को पकड़ा जाता है. केवल हाथ से ही मछलियों को पकड़ा जाता है. आज सुबह इसका नजारा घाटशिला की स्वर्णरेखा नदी पर देखने को मिला.

लगभग 200 की संख्या में लोग नदी पर मछली पकड़ने के लिए आए हुए थे. सब सामूहिक रूप से ही मछली को पकड़ते हैं और शाम को पूरे गांव वाले मिलकर मछली को एक साथ पकाकर खाते हैं. इस पर्व के बारे में लोगों का कहना है कि साल में वह एक ही बार मछली को पकड़ते हैं. इसके बाद मछली को पकाकर गांव वाले एक साथ मछली का भोजन करते हैं. ऐसा करने से उनकी एकता बनी रहती है.

आदिवासी समाज के लोगों ने मनाया दिशुआ पर्व

जमशेदपुर: आदिवासी समाज के संथाल समुदाय के लोग बाहा पर्व के बाद दिशुआ पर्व मनाते हैं. दिशवा आदिवासी समाज का पर्व है, जिसमें बिना जाल और बिना किसी औजार के मछलियों को पकड़ा जाता है. केवल हाथ से ही मछलियों को पकड़ा जाता है. आज सुबह इसका नजारा घाटशिला की स्वर्णरेखा नदी पर देखने को मिला.

लगभग 200 की संख्या में लोग नदी पर मछली पकड़ने के लिए आए हुए थे. सब सामूहिक रूप से ही मछली को पकड़ते हैं और शाम को पूरे गांव वाले मिलकर मछली को एक साथ पकाकर खाते हैं. इस पर्व के बारे में लोगों का कहना है कि साल में वह एक ही बार मछली को पकड़ते हैं. इसके बाद मछली को पकाकर गांव वाले एक साथ मछली का भोजन करते हैं. ऐसा करने से उनकी एकता बनी रहती है.

Intro:घाटशिला(पूर्वी सिंहभूम)
आदिवासी समाज के संथाल समुदाय के लोगों का बाहा पर्व के बाद 30 -40 गांव के पुरुष मिलकर मछलियों का (मछली पकड़ना को दिशुआ कहां जाता है )दिशुआ किया गया इसमें ना ही जाल और ना ही कोई औजार के साथ मछलियों का मछलियों को पकड़ा जाता है केवल हाथ से ही मछलियों को पकड़ा जाता है।Body:आज सुबह इसका नजारा घाटशिला के स्वर्णरेखा नदी पर देखने को मिला लगभग डेढ़ सौ से 150-200 की संख्या में लोग नदी पर मछली पकड़ने के लिए आए हुए थे सब सामूहिक रूप से ही मछली को पकड़ते हैं य और शाम को पूरे गांव वाले मिलकर पकड़ा हुआ मछली को एक साथ पकाकर गांव के सारे लोग परिवार के साथ भोजन करते हैं वह लोग कहता है साल में हमने एक एक ही बार मछली को पकड़ते हैं और साल में एक बार सामूहिक रूप से हम लोग गांव वाले एक साथ भोजन करते हैं इससे हमारी एकता बनी रहती है
रिपोर्ट
कनाई राम हेंब्रम
घाटशिला
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