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जमशेदपुरः बेसहारों के आश्रय पर पड़ी कोरोना की मार, मदद न मिलने से कर रहे आर्थिक तंगी का सामना

जमशेदपुर में अनाथालयों को कोरोना काल के चलते आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही है. जिले में संचालित बेसहारों के चार आश्रय स्थलों में से एक सहयोग विलेज के लिए हर माह जरूरी 70 हजार रुपये भी सरकारी सहायता के अभाव में जुटाना मुश्किल हो रहा है.

The orphanages in jamshedpur
जमशेदपुर में बच्चों की देखभाल करने वाली सहयोग संस्था
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Published : Sep 24, 2020, 3:50 PM IST

जमशेदपुरः कोरोना महामारी से जिले के अनाथालय और बच्चों को आश्रय देने वाले संस्थानों को मदद नहीं मिल पा रही है. एक तरफ सरकार की ओर से इनको मिलने वाली मदद इन्हें नहीं मिल पाई है तो दूसरी ओर कोरोना के चलते आजीविका के संकट और अन्य कारणों से दानदाताओं से मिलने वाला दान भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. इससे ये आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

मां के आंचल से दूर दुखियारों के आश्रय स्थलों में से एक जमशेदपुर के सहयोग विलेज को नवंबर 2019 से ही सरकार की ओर से मिलने वाली मदद नहीं मिल पाई है. अडॉप्शन फीस भी नहीं मिल रही है, जबकि कोरोना के कारण इसे दानदाताओं की ओर से मिलने वाली मदद भी नहीं मिल पा रही है. इससे संस्था में कोरोना काल में शामिल कराए गए पांच बच्चों समेत यहां रह रहे छह वर्ष तक के 17 बच्चों पर हर माह खर्च होने वाला 70 हजार रुपया जुटाना मुश्किल हो रहा है.

ये भी पढ़ें-रांचीः सफाई के लिए बुनियादी ढांचा ही नहीं, कैसे जीतेंगे महामारी से लड़ाई

संस्था की संचालिका और प्रबंधक गुरविंदर कौर का कहना है कि उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत है. हालांकि अभी आम लोगों का सहयोग हीं मिल पा रहा है. नवजात बच्चों के प्राथमिक उपचार के लिए अक्सर रुपयों की जरूरत होती है. इन्हें जुटाना मुश्किल हो रहा है.

जिले में बच्चों के लिए काम कर रहे सोनारी के आदर्श सेवा संस्थान, घोड़ा बांधा का मदर टेरेसा अनाथालय और बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान भी भले ही अलग-अलग तरह से आय के स्रोत जुटाते हैं पर इन्हें भी कुछ न कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के संचालक सदन ठाकुर का कहना है कि बच्चों के लिए आयोजित होने वाले सेमिनार के जरिये सदस्यों से पांच रुपये की आर्थिक सहायता के बल पर ने संस्थान का संचालन कर रहे हैं.

जमशेदपुरः कोरोना महामारी से जिले के अनाथालय और बच्चों को आश्रय देने वाले संस्थानों को मदद नहीं मिल पा रही है. एक तरफ सरकार की ओर से इनको मिलने वाली मदद इन्हें नहीं मिल पाई है तो दूसरी ओर कोरोना के चलते आजीविका के संकट और अन्य कारणों से दानदाताओं से मिलने वाला दान भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. इससे ये आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं.

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मां के आंचल से दूर दुखियारों के आश्रय स्थलों में से एक जमशेदपुर के सहयोग विलेज को नवंबर 2019 से ही सरकार की ओर से मिलने वाली मदद नहीं मिल पाई है. अडॉप्शन फीस भी नहीं मिल रही है, जबकि कोरोना के कारण इसे दानदाताओं की ओर से मिलने वाली मदद भी नहीं मिल पा रही है. इससे संस्था में कोरोना काल में शामिल कराए गए पांच बच्चों समेत यहां रह रहे छह वर्ष तक के 17 बच्चों पर हर माह खर्च होने वाला 70 हजार रुपया जुटाना मुश्किल हो रहा है.

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संस्था की संचालिका और प्रबंधक गुरविंदर कौर का कहना है कि उन्हें आर्थिक सहायता की जरूरत है. हालांकि अभी आम लोगों का सहयोग हीं मिल पा रहा है. नवजात बच्चों के प्राथमिक उपचार के लिए अक्सर रुपयों की जरूरत होती है. इन्हें जुटाना मुश्किल हो रहा है.

जिले में बच्चों के लिए काम कर रहे सोनारी के आदर्श सेवा संस्थान, घोड़ा बांधा का मदर टेरेसा अनाथालय और बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान भी भले ही अलग-अलग तरह से आय के स्रोत जुटाते हैं पर इन्हें भी कुछ न कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के संचालक सदन ठाकुर का कहना है कि बच्चों के लिए आयोजित होने वाले सेमिनार के जरिये सदस्यों से पांच रुपये की आर्थिक सहायता के बल पर ने संस्थान का संचालन कर रहे हैं.

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