ETV Bharat / state

स्वर्णरेखा नदी आज भी उगलती है सोना, कई लोगों की चलती है रोजी रोटी

जमशेदपुर में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी आज भी सोना उगलती है. इस नदी में 6 महीने तक स्थानीय लोग गर्मी के दिनों में रेत चालकर सोना निकालते हैं, जिसे कई राज्यों में बेचा जाता है. इससे कई परिवारों का भरण पोषण होता है.

gold-originates-from-swarnarekha-river-in-jamshedpur
स्वर्णरेखा नदी में सोना
author img

By

Published : Nov 23, 2020, 1:36 PM IST

जमशेदपुर: भारत सोने की चिड़िया कही जाती थी. देश की कुछ नदियां आज भी सोना उगलती हैं. जमशेदपुर में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी भी उनमें से एक है. स्वर्णरेखा नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है. यह नदी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग सोलह किलोमीटर की दूरी पर बसे नगड़ी गांव के रानी चुआं से निकलती है और पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, पश्चिम बंगाल, बंगाल की खाड़ी, ओडिशा, बालेश्वर तक बहती है.

देखें स्पेशल स्टोरी


रेत के कण-कण में सोना

झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है. झारखंड के कई जिलों में अभ्रक, प्लैटिनम, कोयला के अकूत भंडार हैं. पूर्वी सिंहभूम की धरती में सोना होने के कई बार सबूत मिल चुके हैं. यहां की नदियों में भी सोना बहता है. गर्मी के दिनों में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे रहने वाले लोग चलनी से रेत चालकर सोना निकालते हैं, लेकिन यह पक्का सोना नहीं होता है. नदी में बहने वाली रेत में चमकदार कण होता है. इस कण को कई राज्यों में बेचा जाता है.

कई राज्यों में बेचा जाता है सोना

ग्रामीणों के अनुसार रेत को बाजारों में 500 रुपए से लेकर हजार रुपए तक में बेचा जाता है, लेकिन बरसात के दिनों में यहां की नदियां उफान पर रहती है, जिसके कारण नदी से बालू निकालने में मुश्किल होता है. हर साल 6 महीने तक बाजारों में रेत के कण बेचकर यहां के ग्रामीण पैसा कमाते हैं. इस कारोबार में कई सफेदपोश की भी संलिप्त होने की आशंका है.


सच या रहस्यमय

ग्रामीणों बताते हैं कि पहले से गांव के बुजुर्ग इस काम को करते आ रहे हैं, एक समय में गांव के सभी पुरुष और महिलाएं सरायकेला जिले के चांडिल में गर्मी के दिनों में नदी के किनारे रेत चालकर सोना निकालते थे, तभी से इस नदी का नाम 'स्वर्णरेखा' नदी पड़ा है. हालांकि सोने की तलाश करने आए भूवैज्ञानिक भी इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं.

इसे भी पढे़ं:-केले की खेती ने किसानों को बनाया मालामाल, प्रदान संस्था की पहल से रुक रहा पलायन

पुलिस अधिकारी के मुताबिक घने पर्वतों और पठारों से बहती नदी के पानी का टकराने के बाद सोने के सूक्ष्म कण मिल जाते हैं. राज्य सरकार की सरकारी मशीनरियों ने भी स्वर्णरेखा नदी से सोना निकलने वाली पहेली को अब तक सुलझा नहीं पाया है. प्रकृति के इस अविश्वसनीय और रोमांचित करने वाली गुत्थी महज एक गुमनाम पहेली बन चुकी है. फिलहाल इन दिनों स्वर्ण रेखा नदी पर भी रेत माफियाओं का कब्जा है.

जमशेदपुर: भारत सोने की चिड़िया कही जाती थी. देश की कुछ नदियां आज भी सोना उगलती हैं. जमशेदपुर में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी भी उनमें से एक है. स्वर्णरेखा नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है. यह नदी झारखंड की राजधानी रांची से लगभग सोलह किलोमीटर की दूरी पर बसे नगड़ी गांव के रानी चुआं से निकलती है और पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, पश्चिम बंगाल, बंगाल की खाड़ी, ओडिशा, बालेश्वर तक बहती है.

देखें स्पेशल स्टोरी


रेत के कण-कण में सोना

झारखंड खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है. झारखंड के कई जिलों में अभ्रक, प्लैटिनम, कोयला के अकूत भंडार हैं. पूर्वी सिंहभूम की धरती में सोना होने के कई बार सबूत मिल चुके हैं. यहां की नदियों में भी सोना बहता है. गर्मी के दिनों में स्वर्ण रेखा नदी के किनारे रहने वाले लोग चलनी से रेत चालकर सोना निकालते हैं, लेकिन यह पक्का सोना नहीं होता है. नदी में बहने वाली रेत में चमकदार कण होता है. इस कण को कई राज्यों में बेचा जाता है.

कई राज्यों में बेचा जाता है सोना

ग्रामीणों के अनुसार रेत को बाजारों में 500 रुपए से लेकर हजार रुपए तक में बेचा जाता है, लेकिन बरसात के दिनों में यहां की नदियां उफान पर रहती है, जिसके कारण नदी से बालू निकालने में मुश्किल होता है. हर साल 6 महीने तक बाजारों में रेत के कण बेचकर यहां के ग्रामीण पैसा कमाते हैं. इस कारोबार में कई सफेदपोश की भी संलिप्त होने की आशंका है.


सच या रहस्यमय

ग्रामीणों बताते हैं कि पहले से गांव के बुजुर्ग इस काम को करते आ रहे हैं, एक समय में गांव के सभी पुरुष और महिलाएं सरायकेला जिले के चांडिल में गर्मी के दिनों में नदी के किनारे रेत चालकर सोना निकालते थे, तभी से इस नदी का नाम 'स्वर्णरेखा' नदी पड़ा है. हालांकि सोने की तलाश करने आए भूवैज्ञानिक भी इस अनसुलझे रहस्य का पता लगाने में अब तक सफल नहीं हो पाए हैं.

इसे भी पढे़ं:-केले की खेती ने किसानों को बनाया मालामाल, प्रदान संस्था की पहल से रुक रहा पलायन

पुलिस अधिकारी के मुताबिक घने पर्वतों और पठारों से बहती नदी के पानी का टकराने के बाद सोने के सूक्ष्म कण मिल जाते हैं. राज्य सरकार की सरकारी मशीनरियों ने भी स्वर्णरेखा नदी से सोना निकलने वाली पहेली को अब तक सुलझा नहीं पाया है. प्रकृति के इस अविश्वसनीय और रोमांचित करने वाली गुत्थी महज एक गुमनाम पहेली बन चुकी है. फिलहाल इन दिनों स्वर्ण रेखा नदी पर भी रेत माफियाओं का कब्जा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.