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लॉकडाउन में महिलाएं परेशान, सैनेटरी पैड मिलने में आ रही दिक्कतें

लॉकडाउन में कई सेवाएं बंद कर दी गई हैं. सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किराना स्टोर और मेडिकल स्टोर को खोलने की इजाजत दी गई है. वहीं, इस दौरान बाजार दूर होने और परिवहन सेवा बंद होने के कारण कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें लॉकडाउन में सेनेटरी पैड नहीं मिल रहा है.

Sanitary pads not available in lockdown in east singbhum
लॉक डाउन में नहीं मिल रहे सैनेटरी पैड
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Published : May 9, 2020, 5:49 PM IST

Updated : May 11, 2020, 11:47 AM IST

जमशेदपुर: वैश्विक संकट कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया त्राहिमाम है. वहीं, इस संक्रमण से बचने के लिए लोग घरों में बंद है. लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किराना स्टोर और मेडिकल स्टोर को खोलने की इजाजत दी गई है. इसके साथ ही बाजार दूर होने और परिवहन सेवा बंद होने के कारण कई ऐसी महिलाएं हैं. जिन्हें लॉकडाउन में सेनेटरी पैड नहीं मिल रहा है.

देखें पूरी खबर

कोरोना वायरस के संकट से निजात पाने की कवायद में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की टीम दिन रात जुटी हुई है. लॉकडाउन में जहां लोगों को खाने पीने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. वहीं, लॉकडाउन में महिलाओं से जुड़ी माहवारी में महिलाओं को सेनेटरी पैड की खासी कमी महसूस हो रही है. आधुनिकता और डीजल तकनीकी के योग में जमशेदपुर की कई महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं. बल्कि माहवारी के दौरान पुराने कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. इस माहवारी में अगर सफाई का ध्यान न रखा जाए तो बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. जिससे कई बार महिलाओं में संक्रमण बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है. कई बार महिलाएं माहवारी जैसे विषयों पर अपने घरों और आसपास के लोगों से भी खुलकर चर्चा नहीं कर पाती है. जिसके कारण महिलाओं को बेचैनी का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-पलामूः लॉकडाउन में माओवादियों का उत्पात, आधा दर्जन से अधिक गाड़ियों को फूंका

क्या कहते हैं डॉक्टर

कोल्हान के सबसे बड़े एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक नकुक चौधरी कहते हैं कि साफ कपड़ों का प्रयोग पीरियड्स के दौरान किया जा सकता है. एक ही कपड़े के इस्तेमाल करते ही संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जरूरत है साफ कपड़ों के इस्तेमाल करने की जिससे संक्रमण के खतरे को बढ़ने से रोका जा सके.

लौहनगरी की महिलाओं ने कहा लॉकडाउन में घरों में कैद है. बाहर जाने की अनुमति मुश्किल से मिल पाती है. कई महिलाएं घरों से निकलकर मेडिकल दुकान तक नहीं जा पाती है. वहीं, कभी-कभी महिलाएं मेडिकल दुकान में सैनेटरी पैड का नाम लेने से भी घबराती हैं. पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को कई ऐसी चीजों के बारे में बोलने की आजादी नहीं दी जाती है. ऐसे गंभीर विषयों पर लोग घरों में चुप्पी साध बैठ जाते हैं. जरूरत है जागरूकता की तभी तो बेटियां बुलंदियों से आसमानों तक का सफर तय करेंगी.

जमशेदपुर: वैश्विक संकट कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया त्राहिमाम है. वहीं, इस संक्रमण से बचने के लिए लोग घरों में बंद है. लॉकडाउन में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए किराना स्टोर और मेडिकल स्टोर को खोलने की इजाजत दी गई है. इसके साथ ही बाजार दूर होने और परिवहन सेवा बंद होने के कारण कई ऐसी महिलाएं हैं. जिन्हें लॉकडाउन में सेनेटरी पैड नहीं मिल रहा है.

देखें पूरी खबर

कोरोना वायरस के संकट से निजात पाने की कवायद में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की टीम दिन रात जुटी हुई है. लॉकडाउन में जहां लोगों को खाने पीने की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है. वहीं, लॉकडाउन में महिलाओं से जुड़ी माहवारी में महिलाओं को सेनेटरी पैड की खासी कमी महसूस हो रही है. आधुनिकता और डीजल तकनीकी के योग में जमशेदपुर की कई महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं. बल्कि माहवारी के दौरान पुराने कपड़े का इस्तेमाल करती हैं. इस माहवारी में अगर सफाई का ध्यान न रखा जाए तो बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. जिससे कई बार महिलाओं में संक्रमण बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है. कई बार महिलाएं माहवारी जैसे विषयों पर अपने घरों और आसपास के लोगों से भी खुलकर चर्चा नहीं कर पाती है. जिसके कारण महिलाओं को बेचैनी का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें-पलामूः लॉकडाउन में माओवादियों का उत्पात, आधा दर्जन से अधिक गाड़ियों को फूंका

क्या कहते हैं डॉक्टर

कोल्हान के सबसे बड़े एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक नकुक चौधरी कहते हैं कि साफ कपड़ों का प्रयोग पीरियड्स के दौरान किया जा सकता है. एक ही कपड़े के इस्तेमाल करते ही संक्रमण का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. जरूरत है साफ कपड़ों के इस्तेमाल करने की जिससे संक्रमण के खतरे को बढ़ने से रोका जा सके.

लौहनगरी की महिलाओं ने कहा लॉकडाउन में घरों में कैद है. बाहर जाने की अनुमति मुश्किल से मिल पाती है. कई महिलाएं घरों से निकलकर मेडिकल दुकान तक नहीं जा पाती है. वहीं, कभी-कभी महिलाएं मेडिकल दुकान में सैनेटरी पैड का नाम लेने से भी घबराती हैं. पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को कई ऐसी चीजों के बारे में बोलने की आजादी नहीं दी जाती है. ऐसे गंभीर विषयों पर लोग घरों में चुप्पी साध बैठ जाते हैं. जरूरत है जागरूकता की तभी तो बेटियां बुलंदियों से आसमानों तक का सफर तय करेंगी.

Last Updated : May 11, 2020, 11:47 AM IST
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