जमशेदपुर: देश में जब कोरोना ने दस्तक दी और लॉकडाउन लगा तब सड़कों पर ठेला-रेहड़ी और फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों पर आफत आ गई. रोजमर्रा की जिंदगी जीने वालों पर कोरोना ऐसा कहर बनकर टूटा कि खाने के लाले पड़ गए. कारोबार को फिर से शुरु करने की ताकत नहीं बची. आर्थिक स्थिति से बदहाल ऐसे लोगों के लिए प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना एक उम्मीद की किरण बनकर आई. जमशेदरपुर में ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिन्हें इस योजना का लाभ मिला और उन्होंने अपने कारोबार को फिर से शुरू कर लिया. स्वनिधि योजना से लोग आत्मनिर्भर बनने की तरफ से आगे बढ़ चुके हैं.
लोन लेकर हारुन ने खोली चाय की दुकान
पीएम स्वनिधि योजना के तहत बैंक से 10 हजार रुपए लेने वाले मोहम्मद हारुन बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान जो जमापूंजी थी वह खत्म हो गई. स्थिति ऐसी बनी कि लोगों से कर्ज लेना पड़ा. परिवार के भरण-पोषण की चिंता सताने लगी, तब निगम कर्मियों से पीएम स्वनिधि योजना के बारे में जानकारी मिली.
![Mohammad Nazir of Jamshedpur has opened a pillow and quilt shop by taking loan.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10948717_jam-2.jpg)
निगम कार्यालय में अपने रोजगार का ब्यौरा भरा और सरकार की तरफ से 10 हजार रुपए का लोन मिल गया. हारुन ने मानगो रोड के पास चाय की एक छोटी से दुकान खोली है. हारुन बताते हैं कि इस योजना से पूरे परिवार का लाभ मिला है. चाय के धंधे से परिवार चलाने लायक आमदनी हो जाती है.
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1,800 से ज्यादा लोगों को मिला लाभ
जमशेदपुर के अतर कॉलोनी में रहने वाले मोहम्मद नजीर बताते हैं कि स्वनिधि योजना के तहत 10 हजार रुपए का लोन लेकर एक छोटी सी तकिया और रजाई की दुकान खोली. इससे परिवार का भरन-पोषण हो रहा है. मानगो नगर निगम के पदाधिकारी दीपक सहाय का कहना है कि पहले फेज में 500 लोगों को इस योजना का लाभ मिला. दूसरे फेज में 518 लोगों ने लोन लिया. 894 दुकानदारों का कार्ड भी बन चुका है. अब तक कुल 1,800 से ज्यादा लोग इस योजना का लाभ ले चुके हैं. अगले फेज में 2,800 से ज्यादा लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
लाभ से कई लोग वंचित
जमशेदपुर में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें स्वनिधि योजना का लाभ अब तक नहीं मिला. मानगो के गांधी मैदान में सब्जी बेचकर अपना जीवन बसर कर रहे रोनेल जोसेफ बताते हैं कि कई बार निगम कार्यालय के चक्कर लगाए. अधिकारियों ने सारे कागजात मांगे. दस्तावेज जमा करने के बाद भी अब तक न तो पैसे मिले और न ही फुटपाथी दुकान का कार्ड बना है.