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पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से हटाने की कवायद, हाई कोर्ट में याचिका दायर

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Published : Aug 20, 2020, 1:07 PM IST

जमशेदपुर जिले में गुरुवार को प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. यह याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता प्रतीक शर्मा ने दायर की है. वहीं झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने दायर की है.

jharkhand state pollution control board
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष पीके वर्मा.

जमशेदपुर: झारखंड सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने और सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी के आदेशों के अनुरूप राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पद पर नियुक्ति के तहत नियमावली बनाने के लिए झारखंड सरकार को निर्देश दिया गया. इसी के तहत एक जनहित याचिका गुरुवार को झारखंड उच्च न्यायालय में दाखिल की गई. जमशेदपुर के पर्यावरण कार्यकर्ता प्रतीक शर्मा की ओर से यह याचिका झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने दायर किया है.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों झारखंड सरकार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर पीके वर्मा को नियुक्त किया और इसके साथ ही उनको झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष भी बना दिया. जबकि सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर वहीं व्यक्ति नियुक्त हो सकता है, जिसके पास पर्यावरण की विशेष योग्यता होगी. इसके अतिरिक्त इस पद पर कोई ऐसा कर्मी या सरकारी अधिकारी नियुक्त नहीं होगा, जिस पद के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हितों का टकराव हो.


पीके वर्मा दोनों पदों पर है कार्यरत
पीके वर्मा ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दोनों ही पदों पर कार्यरत है. इन दोनों पदों के बीच हितों का टकराव है. क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए राजस्व परिषद सदस्य की अध्यक्षता में बनी समिति में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक भी एक सदस्य रहते हैं. इसके अतिरिक्त दोनों पदों के हितों में कार्य करने के दौरान भी अनेक प्रकार की बिंदुओं पर हितों का टकराव संभव है. वर्मा गणित विषय से स्नातक हैं. इनके पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पर नियुक्त होने के लिए आवश्यक पर्यावरण का विशेष ज्ञान नहीं है. इस प्रकार वे इस पद को धारण करने के लिए अयोग्य हैं.


इसे भी पढ़ें-जमशेदपुरः जमीन माफिया पर शिकंजा कसने बनाई गई एसआईटी, विधायक सरयू राय की शिकायत पर डीआईजी ने ली बैठक


राज्य सरकार को करनी होगी एक नियमावली तैयार
वर्ष 2017 में दिए गए फैसला में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले के तिथि के 6 महीने के भीतर सभी राज्य सरकार को एक नियमावली तैयार करनी होगी. इसके आधार पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. झारखंड सरकार ने अब तक यह नियमावली नहीं बनाया है. जनहित याचिका में कहा गया है कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय झारखंड सरकार को निर्देश दें कि वह पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष पद से हटाए, इस पद पर पर्यावरण का विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को नियुक्त करें और अविलंब इस पद पर नियुक्ति के लिए एक नियमावली बनाएं.


निर्देशों का नहीं हुआ पालन
याचिका में यह भी कहा गया है कि पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) के पद पर रहते हुए पीके वर्मा की भूमिका पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य प्राणी संरक्षण के विरुद्ध रही है. साथ ही कई मामलों में इन्होंने राज्य सरकार के वित्तीय भुगतान के निर्देशों की अवहेलना की है और मनमाना कार्य किया है. इस प्रकार वो प्रधान मुख्य वन संरक्षक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पदों की जिम्मेदारी वाहक करने लायक नहीं है.

जमशेदपुर: झारखंड सरकार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने और सर्वोच्च न्यायालय एवं एनजीटी के आदेशों के अनुरूप राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पद पर नियुक्ति के तहत नियमावली बनाने के लिए झारखंड सरकार को निर्देश दिया गया. इसी के तहत एक जनहित याचिका गुरुवार को झारखंड उच्च न्यायालय में दाखिल की गई. जमशेदपुर के पर्यावरण कार्यकर्ता प्रतीक शर्मा की ओर से यह याचिका झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने दायर किया है.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
उल्लेखनीय है कि विगत दिनों झारखंड सरकार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर पीके वर्मा को नियुक्त किया और इसके साथ ही उनको झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष भी बना दिया. जबकि सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर वहीं व्यक्ति नियुक्त हो सकता है, जिसके पास पर्यावरण की विशेष योग्यता होगी. इसके अतिरिक्त इस पद पर कोई ऐसा कर्मी या सरकारी अधिकारी नियुक्त नहीं होगा, जिस पद के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हितों का टकराव हो.


पीके वर्मा दोनों पदों पर है कार्यरत
पीके वर्मा ने झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दोनों ही पदों पर कार्यरत है. इन दोनों पदों के बीच हितों का टकराव है. क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए राजस्व परिषद सदस्य की अध्यक्षता में बनी समिति में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक भी एक सदस्य रहते हैं. इसके अतिरिक्त दोनों पदों के हितों में कार्य करने के दौरान भी अनेक प्रकार की बिंदुओं पर हितों का टकराव संभव है. वर्मा गणित विषय से स्नातक हैं. इनके पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पर नियुक्त होने के लिए आवश्यक पर्यावरण का विशेष ज्ञान नहीं है. इस प्रकार वे इस पद को धारण करने के लिए अयोग्य हैं.


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राज्य सरकार को करनी होगी एक नियमावली तैयार
वर्ष 2017 में दिए गए फैसला में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले के तिथि के 6 महीने के भीतर सभी राज्य सरकार को एक नियमावली तैयार करनी होगी. इसके आधार पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. झारखंड सरकार ने अब तक यह नियमावली नहीं बनाया है. जनहित याचिका में कहा गया है कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय झारखंड सरकार को निर्देश दें कि वह पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष पद से हटाए, इस पद पर पर्यावरण का विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को नियुक्त करें और अविलंब इस पद पर नियुक्ति के लिए एक नियमावली बनाएं.


निर्देशों का नहीं हुआ पालन
याचिका में यह भी कहा गया है कि पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) के पद पर रहते हुए पीके वर्मा की भूमिका पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य प्राणी संरक्षण के विरुद्ध रही है. साथ ही कई मामलों में इन्होंने राज्य सरकार के वित्तीय भुगतान के निर्देशों की अवहेलना की है और मनमाना कार्य किया है. इस प्रकार वो प्रधान मुख्य वन संरक्षक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पदों की जिम्मेदारी वाहक करने लायक नहीं है.

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