जमशेदपुर: शहर के मलयाली समाज ने पूरे धूमधाम से ओणम पर्व मनाया. गोलमुरी स्थित एक निजी स्कूल के प्रांगण में रविवार को आयोजित कार्यक्रम में मलयाली समाज के लोग पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. इस दौरान सभी महिलाएं और पुरुष पारंपरिक परिधानों में नजर आए.
स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन
मलयाली कैलेंडर के अनुसार ओणम पर्व को छिंगम यानी कोलावर्ष के पहले महीने में मनाया जाता है. ओणम के पहले दिन को अथम कहते हैं और अंतिम दिन को थिरुओनम कहा जाता है. रविवार को शहर के गोलमुरी केरल समाजम स्कूल में आयोजित ओणम पर्व में शामिल होने वाले सभी पुरुष सफेद कुर्ता और क्रीम कलर की धोती में नजर आए वहीं, सभी महिलाएं पारंपरिक साड़ी में नजर आईं. इस दौरान दिनभर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कई तहर के प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई. ओणम पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में मलयाली समाज के आलावा शहर के कई लोग पहुंचे थे. कार्यक्रम में समाज की ओर से 25 तरह के पारंपरिक व्यंजन भी परोसे गए. इस कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा एक से बढ़कर एक रंगोली बनाए गए थे, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.
ओणम में आते हैं राजा महाबलि
ओणम पर्व को लेकर मलयाली समाज में यह मान्यता है कि राजा महाबली ने भगवान विष्णु से प्रजा से मिलने के लिए साल में एक दिन धरती पर आने की अनुमति मांगी. जिसके लिए भगवान ने अनुमति भी दे दी. इसके बाद हर साल ओणम पर राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. इस दिन मलयाली समाज के लोग उनका भव्य स्वागत करते हैं. इसके लिए वे अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं. समाज के प्रत्येक घरों में रंगोली बनाई गई थी. इस दौरान सभी सदस्य नये वस्त्रों को धारण करते हैं और भगवान कि स्वागत में इस दिन सभी घरों में विशेष तरह के पकवान बनाये जाते हैं. शाम को सभी एक-दूसरे के घर जाकर ओणम की बधाई देते हैं.