जमशेदपुर: शहर के बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सचिव ने सीआईएससीई बोर्ड की मान्यता की सही जानकारी के लिए भारत सरकार के मानव संसाधन सचिव को लीगल नोटिस भेजा है. संस्थान के सचिव ने बताया कि भारत सरकार के मानव संसाधन का कहना है कि सीआईएससीई बोर्ड को मान्यता नहीं दी गई है, जबकि सीआईएससीई बोर्ड ने दावा किया है कि 1974 में उसे मान्यता प्राप्त हुआ है. ऐसे में लीगल नोटिस का जवाब सही नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका दायर करेंगे.
सीआईएससीई को प्राइवेट बोर्ड की मान्यता
जमशेदपुर में बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के मुख्य संयोजक सह सचिव शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितता को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं. संस्थान के मुख्य संयोजक सह सचिव सदन ठाकुर ने बताया कि देश में सीबीएसई और राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान बोर्ड को सरकार की मान्यता प्राप्त है. सीआईएससीई बोर्ड की ओर से दावा किया जाता रहा है कि भारत सरकार से उसे 1974 में मान्यता मिली है, जबकि सीआईएससीई एजुकेशन एक्ट के तहत एक एनजीओ है. उन्होंने बताया कि 2019 में राष्ट्रपति को इस मामले में पत्र भेजा गया था, जिसके जवाब में भारत सरकार मानव संसाधन विभाग ने बताया था कि सीआईएससीई एक प्राइवेट बोर्ड है.
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सुप्रीम कोर्ट में याचिका होगी दायर
देश में 10 हजार से ज्यादा सीआईएससीई बोर्ड संचालित हाई स्कूल है, जबकि जमशेदपुर में सीआईएससीई संचालित 16 स्कूल है. बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान के सचिव सदन ठाकुर ने बताया कि सीआईएससीई बोर्ड की ओर से मनमानी तरीके से ट्यूशन फीस, कंप्यूटर, बिल्डिंग और खेलकूद के नाम पर फीस ली जाती है, जबकि उसे मान्यता प्राप्त नहीं है. वहीं, भारत सरकार से सीबीएसई और राष्ट्रीय मुक्त शिक्षा संस्थान को मान्यता प्राप्त है. उन्होंने बताया कि ऐसे में एक एनजीओ पूरे देश भर में कैसे स्कूल संचालित कर सकता है. इसकी सही जानकारी के लिए अपने अधिवक्ता के माध्यम से भारत सरकार के मानव संसाधन विभाग के सचिव को लीगल नोटिस भेजा गया है. उन्होंने बताया कि अगर जवाब सही नहीं मिला तो इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे.