जमशेदपुर: भारतीय जनता पार्टी ने नई शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करते हुए मोदी सरकार का आभार जताया है. झारखंड प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा कि नई शिक्षा नीति से वर्षों से लंबित 'शिक्षा के भारतीयकरण' की आकांक्षा की पूर्ति संभव है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों के अनुरूप और वैश्विक मानकों पर खरा उतरने योग्य और अभिनंदनीय है. भाजपा ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किये जाने का के निर्णय का भी स्वागत किया. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को जारी बयान में नई शिक्षा नीति के सकारात्मक प्रभावों पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में शिक्षा व्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव होगा. इस फैसले के साथ एलिमेंट्री कक्षाओं से लेकर उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही नियामक संस्था होगी, ताकि अव्यवस्थाओं को समाप्त किया जा सके.
भाजपा प्रवक्ता ने नई नीति को छात्र हितों में बताते हुए कहा कि इससे भविष्य में स्कूल बैग का बोझ कम होंगे. इससे स्किल बढ़ेगा और रोजगार के अवसर मिलेंगे. विकल्प के रूप में स्थानीय भाषाओं को भी प्रोत्साहन दिये जाने के निर्णय को सराहनीय बताते हुए कहा कि इसके जरिए भारतीय भाषाओं का सम्मान बढ़ेगा. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अब शिक्षा के साथ ही कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह प्रयास विद्यार्थियों के सुंदर भविष्य के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे. नेशनल स्कालर्शिप फंड स्थापित होंगे जिससे की आर्थिक तंगी की वजह से कोई भी छात्र उच्च शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे. उन्होंने बताया कि देशभर से दो लाख शिक्षाविदों, जानकारों, विद्यार्थियों से प्राप्त मन्तव्यों और सुझावों के निष्कर्ष के रूप में केंद्र की मोदी सरकार ने प्रभावशाली शिक्षा नीति को मूर्त रूप दिया है.
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34 वर्षों की लंबी समयावधि के बाद शिक्षा नीति का पैटर्न बदला है. अब 10 + 2 को अलग-अलग फॉर्मेट में 5+3+3+4 के फॉर्मेट में बदल दिया गया है. अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. इसके माध्यम से मोदी सरकार ने शिक्षा नीति के भारतीयता पर जोर दिया है. छठी कक्षा के बाद व्यवसाईक और कौशल उपयोगी शिक्षा पर ज़ोर दी गई है. सभी इंस्टीट्यूट के लिए एक एंट्रेंस एग्जाम का प्रावधान होना बहुउपयोगी और लाभकारी सिद्ध होगा. अब स्टूडेंट्स को MPhil नहीं करना होगा, बल्कि एमए के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे. क्षेत्रीय भाषाओं में भी ऑनलाइन कोर्स होंगे, जिससे क्षेत्रीय युवाओं को लाभ मिलेगा.
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किए गए बदलावों के प्रावधान पर प्रकाश डालते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि आज की व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है. छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है, किंतु नए सिस्टम में ये विशेष प्रावधान रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी. कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे. जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा. छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे. ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा. सर्वव्यापी और सर्वसुलभ शिक्षा की नींव रखने के लिए झारखंड प्रदेश भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा नीति ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्यों सहित केंद्र सरकार के प्रति आभार जताया है.
क्या है नई शिक्षा नीति की खास बातें
मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. इसका मतलब है कि रमेश पोखरियाल निशंक अब देश के शिक्षा मंत्री कहलाएंगे. जीडीपी का छह फ़ीसद शिक्षा में लगाने का लक्ष्य जो अभी 4.43 फ़ीसद है. नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है. छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे. उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा. उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फ़ीसद GER (Gross Enrolment Ratio) पहुंचाने का लक्ष्य है. पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट सिस्टम लागू किया गया है. उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. जो छात्र रिसर्च करना चाहते हैं उनके लिए चार साल का डिग्री प्रोग्राम होगा. जो लोग नौकरी में जाना चाहते हैं वो तीन साल का ही डिग्री प्रोग्राम करेंगे. शोध करने के लिए नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन (एनआरएफ़) की स्थापना की जाएगी. उच्च शिक्षा संस्थानों को फ़ीस चार्ज करने के मामले में और पारदर्शिता लानी होगी. ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे. वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है.