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अवैध खनन का खेलः माफिया की जद में बेशकीमती पहाड़, ग्रामीण हलकान-विभाग परेशान

कीमती पत्थरों से सजा पूर्वी सिंहभूम जिले का पहाड़ खनन माफिया की नजर में है. यहां के ग्रामीण सुदूरवर्ती कस्बों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है. पहाड़ काटकर क्वार्टज, पत्थर, स्टोन, काला पत्थर जैसे बेशकीमती रत्न निकाले जा रहे हैं. अवैध खनन की रफ्तार यही रही और इसे वक्त पर रोका ना गया तो आने वाले वक्त में ये बेशकीमती पहाड़ इतिहास के पन्नों में ना सिमट जाए.

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अवैध खनन का खेल
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Published : Dec 15, 2020, 6:03 AM IST

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिला के ग्रामीण सुदूरवर्ती कस्बों में बड़े पैमाने पर खनन माफियाओं की ओर से अवैध उत्खनन का काम बदस्तूर जारी है. खनन विभाग और अधिकारियों के नाक के नीचे से पहाड़ काटकर यहां के कीमती पत्थर निकाले जा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

खनन के लिए दी गई है लीज

कीमती पत्थर के खनन के लिए खनन विभाग की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिला में कई पहाड़ियां आवंटित की गई है, लेकिन माफिया आवंटित दायरे से हटकर और खनन नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध कटाई और कमाई में लगे हैं. ऐसा नहीं कि इस अवैध खनन की जानकारी जिला खनन विभाग को नहीं है. लोगों का यहां तक मानना है कि अवैध खनन माफियाओं की ओर से विभाग के अधिकारियों को और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से होती है. जिसकी वजह से गांव और पर्यावरण को नुकसान होने के बावजूद आज तक अवैध खनन पर लगाम नहीं लगाया जा सका है.

साठगांठ और आरोप-प्रत्यारोप

सैकड़ों छोटी-बड़ी पहाड़ियों से फैला हुआ पूर्वी सिंहभूम की पहाड़ियां यहां की पहचान है. ऐसे में यहां भू माफियाओं की काली कमाई और क्षेत्र में फैलने वाले प्रदूषण से लोग खासे परेशान हैं. वहीं इस अनैतिक कार्य को लेकर खनन माफियाओं के साथ-साथ विभागीय अधिकारी और स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी कसूरवार ठहराते हैं. लोगों की नाराजगी अवैध उत्खनन को लेकर हाल के दिनों में काफी बढ़ी है. लिहाजा स्थानीय ग्रामीण गोलबंद होकर विरोध करने का मन बना रहे हैं. पूरे अवैध उत्खनन के काले खेल में जिला खनन विभाग मौन साधे हुए है. जिससे जाहिर होता है कि विभाग और खनन माफिया के साथ गहरी सांठगांठ है.

लीज के दायरे से बाहर भी कर रहे हैं खुदाई

जिला खनन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक बहरागोड़ा, मुसाबनी, डुमरिया में काला पत्थर और क्वार्ट्ज के उत्खनन को लेकर कई संस्थानों को पहाड़ लीज पर दी गई है. लोगों का आरोप है कि क्षेत्र से बाहर जाकर और नियमों को ताक में रख कर बड़ी मशीनों का इस्तेमाल कर अवैध उत्खनन किया जा रहा है. अवैध उत्खनन में जहां वैसे लोगों करोड़ों की काली कमाई कर सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति पहुंचा रहे हैं. समय-समय पर जिला खनन विभाग अवैध खनन के काम में लगे लोगों के कारनामे का भंडाफोड़ कर अवैध ढुलाई में लगे पत्थर जब्त भी किया है, इसके बावजूद अवैध उत्खनन का यह लुकाछिपी खेल अब भी जारी है.

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुरः अब घर बैठे मिलेगा लाइफ सर्टिफिकेट, डाक विभाग की अनोखी पहल

विस्फोटक का धड़ल्ले से इस्तेमाल
कीमती पत्थर निकाले के लिए पहाड़ को उड़ाया जा रहा है. उनके सीने में विस्फोटक डालकर उसे छलनी किया जा रहा है. विस्फोटकों के धड़ल्ले से इस्तेमाल से गांव वालों को परेशानी को रही है. हालत ये है कि इनके ज्यादा इस्तेमाल से आसपास के गांव की जमीन भी दिनोंदिन बंजर होती जा रही है. लेकिन ना कोई देखने वाला है और ना कोई सुनने वाला.

अवैध खनन पर नकेल की कवायद

अवैध खनन से गांव के साथ-साथ पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है. वैसे जिला खनन विभाग के पदाधिकारी की मानें तो पूर्वी सिंहभूम जिला में वित्तीय वर्ष 2019-20 तक 60 से ज्यादा मामलों में कार्रवाई की गई है. जिसमें से 81 बड़ी गाड़ियों को अवैध उत्खनन के मामले में कार्रवाई की जा चुका है. वहीं 25 लोगों पर नामजद प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम जिला के ग्रामीण सुदूरवर्ती कस्बों में बड़े पैमाने पर खनन माफियाओं की ओर से अवैध उत्खनन का काम बदस्तूर जारी है. खनन विभाग और अधिकारियों के नाक के नीचे से पहाड़ काटकर यहां के कीमती पत्थर निकाले जा रहे हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

खनन के लिए दी गई है लीज

कीमती पत्थर के खनन के लिए खनन विभाग की ओर से पूर्वी सिंहभूम जिला में कई पहाड़ियां आवंटित की गई है, लेकिन माफिया आवंटित दायरे से हटकर और खनन नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से अवैध कटाई और कमाई में लगे हैं. ऐसा नहीं कि इस अवैध खनन की जानकारी जिला खनन विभाग को नहीं है. लोगों का यहां तक मानना है कि अवैध खनन माफियाओं की ओर से विभाग के अधिकारियों को और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से होती है. जिसकी वजह से गांव और पर्यावरण को नुकसान होने के बावजूद आज तक अवैध खनन पर लगाम नहीं लगाया जा सका है.

साठगांठ और आरोप-प्रत्यारोप

सैकड़ों छोटी-बड़ी पहाड़ियों से फैला हुआ पूर्वी सिंहभूम की पहाड़ियां यहां की पहचान है. ऐसे में यहां भू माफियाओं की काली कमाई और क्षेत्र में फैलने वाले प्रदूषण से लोग खासे परेशान हैं. वहीं इस अनैतिक कार्य को लेकर खनन माफियाओं के साथ-साथ विभागीय अधिकारी और स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी कसूरवार ठहराते हैं. लोगों की नाराजगी अवैध उत्खनन को लेकर हाल के दिनों में काफी बढ़ी है. लिहाजा स्थानीय ग्रामीण गोलबंद होकर विरोध करने का मन बना रहे हैं. पूरे अवैध उत्खनन के काले खेल में जिला खनन विभाग मौन साधे हुए है. जिससे जाहिर होता है कि विभाग और खनन माफिया के साथ गहरी सांठगांठ है.

लीज के दायरे से बाहर भी कर रहे हैं खुदाई

जिला खनन कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक बहरागोड़ा, मुसाबनी, डुमरिया में काला पत्थर और क्वार्ट्ज के उत्खनन को लेकर कई संस्थानों को पहाड़ लीज पर दी गई है. लोगों का आरोप है कि क्षेत्र से बाहर जाकर और नियमों को ताक में रख कर बड़ी मशीनों का इस्तेमाल कर अवैध उत्खनन किया जा रहा है. अवैध उत्खनन में जहां वैसे लोगों करोड़ों की काली कमाई कर सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति पहुंचा रहे हैं. समय-समय पर जिला खनन विभाग अवैध खनन के काम में लगे लोगों के कारनामे का भंडाफोड़ कर अवैध ढुलाई में लगे पत्थर जब्त भी किया है, इसके बावजूद अवैध उत्खनन का यह लुकाछिपी खेल अब भी जारी है.

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विस्फोटक का धड़ल्ले से इस्तेमाल
कीमती पत्थर निकाले के लिए पहाड़ को उड़ाया जा रहा है. उनके सीने में विस्फोटक डालकर उसे छलनी किया जा रहा है. विस्फोटकों के धड़ल्ले से इस्तेमाल से गांव वालों को परेशानी को रही है. हालत ये है कि इनके ज्यादा इस्तेमाल से आसपास के गांव की जमीन भी दिनोंदिन बंजर होती जा रही है. लेकिन ना कोई देखने वाला है और ना कोई सुनने वाला.

अवैध खनन पर नकेल की कवायद

अवैध खनन से गांव के साथ-साथ पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है. वैसे जिला खनन विभाग के पदाधिकारी की मानें तो पूर्वी सिंहभूम जिला में वित्तीय वर्ष 2019-20 तक 60 से ज्यादा मामलों में कार्रवाई की गई है. जिसमें से 81 बड़ी गाड़ियों को अवैध उत्खनन के मामले में कार्रवाई की जा चुका है. वहीं 25 लोगों पर नामजद प्राथमिकी भी दर्ज की गई है.

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