सरायकेला: सुवर्णरेखा परियोजना के तहत ईचा डैम, चांडिल डैम, गालूडीह बराज और खरकई बराज आते हैं. इनमें से आधुनिक तकनीक पर आधारित है खरकई बराज यानी गजिया बराज, जिसकी लागत है तकरीबन 500 करोड़, इस बराज की ओर से सरायकेला जिले से लेकर पूर्वी सिंहभूम तक तकरीबन 92 किलोमीटर नहर से खेतों तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा. अभी बराज में फ्लेक्स बांध निर्माण कार्य बचा है. इस बांध के बनते हैं बराज में जल संचयन का भरपूर भंडारण होगा. जिसके बाद नहरों में सुगमता पूर्वक सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाएगा. हालांकि बांध और नहर निर्माण में स्थानीय ग्रामीणों ने अवरोध उत्पन्न किया है. जिसे परियोजना की ओर से दूर किए जाने से संबंधित प्रयास किए जा रहे हैं.
आधुनिक तकनीक से बना गजिया बराज आज जल भंडारण और सिंचाई की बेहतरीन दास्तां पेश करने को तैयार है. वहीं जल संसाधन विभाग की ओर से आधुनिक तकनीक से बराज बनाए जाने के बाद पहली बार आधुनिक तरीके से ही नहर का भी निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना के तहत तकरीबन 29.83 किलोमीटर तक अंडरग्राउंड पाइप लाइन नहर निर्माण किया जा रहा है. जहां पहली बार नहर अंडर ग्राउंड होगी और बिना भूमि अधिग्रहण किए सिंचाई के लिए खेतों को पानी उपलब्ध होगी. हालांकि अंडरग्राउंड पाइप लाइन नहर निर्माण को लेकर भूमि अधिग्रहण किया जाएगा और अधिग्रहण के एवज में भूमि मालिकों को मुआवजा भी दिया जाएगा. शर्त यह रहेगी कि अंडर ग्राउंड नहर होने के कारण जमीन पर पक्का निर्माण नहीं हो सकेगा. अंडरग्राउंड पाइप लाइन नहर निर्माण होने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कम लागत में ही भरपूर सिंचाई का पानी उपलब्ध हो सकेगा. वहीं बराज बनने से आसपास के क्षेत्र में खेती के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो सकता था, लिहाजा अंडरग्राउंड पाइप लाइन नहर योजना से वहां भी प्रचुर मात्रा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा.
फिलहाल नदी पार करने के लिए बराज बना सहारा
खरकई नदी पर बन कर तैयार गजिया बराज आज गम्हरिया और राजनगर प्रखंड के बीच एक पुल का भी काम कर रहा है, इस बराज से होकर प्रतिदिन हजारों लोग आवागमन करते हैं, वही एक लाख की आबादी को बराज बनने से आवागमन का फायदा हुआ है. साल 2008 में पथ निर्माण विभाग की ओर से गम्हरिया प्रखंड और राजनगर प्रखंड को जोड़ने के लिए एक पुल का निर्माण कराया गया था, जो भारी बारिश में बह गया था. पुल ना होने से लोगों को सैकड़ों किलोमीटर दूर का सफर तय करना पड़ता था. लेकिन खरकई नदी पर 5 साल में गजिया बराज बनने से आज लाखों लोग इससे लाभाविंत हो रहे हैं. लेकिन भविष्य में नया पुल बनने के बाद बराज से आवागमन बंद किया जाएगा.
पर्यटन को भी मिल रहा बढ़ावा
खरकई नदी पर बनकर बराज तैयार है और अब बराज एक नए पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो चुका है. पर्यटन स्थल होने के कारण लोग यहां बड़ी संख्या में सैर सपाटा करने आते हैं. पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परियोजना की ओर से कई विकास की योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. इसके तहत यहां गार्डन निर्माण कराया गया है. इसके अलावा परियोजना में एक आइलैंड भी प्रस्तावित है जिसका निर्माण राज्य पर्यटन विभाग को करना है. यहां पर्यटन विकसित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के भी कई साधन उपलब्ध होंगे और स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा.
ग्रामीणों का आरोप परियोजना बनने से स्थानीय हुए नदी से वंचित
खरकई बराज विगत 5 साल के अंदर पूरी तरह बनकर अब तैयार हो चुका है और जल्द ही बराज का योजना के अनुरूप लोगों को फायदा भी मिलने लगेगा. लेकिन स्थानीय ग्रामीण और परियोजना से विस्थापित हुए लोग मानते हैं कि परियोजना निर्माण होने से स्थानीय ग्रामीणों को अब नदी से वंचित किया जा रहा है. ग्रामीण कहते हैं कि स्थानीय लोगों का जीवन नदी पर ही पूरी तरह आश्रित रहता है. लेकिन बराज और इसके साथ-साथ बांध बनने से तकरीबन 3 से 4 किलोमीटर नदी के किनारे का क्षेत्र इतना ऊंचा हो जाएगा कि ग्रामीण नदी से पूरी तरह वंचित हो जाएंगे. लोग मानते हैं कि गांव की आबादी नदी पर ही आश्रित होती है. इसके अलावा पशु भी नदी के सहारे जीवित रहते हैं, ऐसे में बराज के साथ-साथ बांध बनने से सब कुछ समाप्त हो जाएगा.
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ग्रामीणों विभाग पर लगा रहे हैं वादाखिलाफी का आरोप
जल संरक्षण और सिंचाई को लेकर बनाया गया खरकई बराज निर्माण पूर्ण होने के बाद भी स्थानीय प्रभावित विस्थापित और ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. गजिया बराज ग्रामीण एकता मंच के बैनर तले स्थानीय विस्थापित और ग्रामीण लंबे समय से आंदोलन करते आ रहे हैं. मंच के कोषाध्यक्ष सोनू सरदार ने बताया कि परियोजना शुरू होने से पूर्व विभाग ने जो वादा किया गया था उसे आज विभाग ने भुला दिया है. इन्होंने बताया कि परियोजना निर्माण के दौरान विस्थापितों को मुआवजा के साथ-साथ अन्य कई सुविधाएं देने पर भी सहमति बनी थी, उस और विभाग का कोई ध्यान नहीं है. आज परियोजना केवल स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से पूरी हुई है, अब विभाग ग्रामीणों को दरकिनार कर अंतिम पड़ाव में पहुंची परियोजना को अविलंब पूरा करना चाहती है. यह कहते हैं कि परियोजना का लाभ भले ही एक बड़े आबादी को मिलेगा. आसपास के लोग परियोजना से प्रभावित हैं, जिनकी विभाग द्वारा सुध नहीं ली जा रही.
विभाग का दावा
इधर विभाग का दावा है कि विस्थापित और ग्रामीणों के समस्याओं को सुलझाया जा रहा है और मुआवजा की भी प्रक्रिया जारी है.