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बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेलः JSCE की कार्यशैली पर सवाल, पूर्व विधायक ने की सीएम से हस्तक्षेप की मांग

बीएड में नामांकन के लिए झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की ओर से अपनाई गई प्रक्रिया को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. पूर्व विधायक और बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेल है, इसलिए सीएम इस मामले में हस्तक्षेप करें.

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बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी
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Published : Feb 23, 2021, 7:59 AM IST

जमशेदपुरः झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की ओर से बीएड में नामांकन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से इच्छुक अभ्यर्थियों के समक्ष कई चुनौतियां उभर आई हैं. परिषद की मनमानी नीतियों के कारण अभ्यर्थियों की आशा पर पानी फिरता दिख रहा है. बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेल सहित झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की अविवेकपूर्ण प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर करते हुए बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने चिंता जाहिर किया है.

पूर्व विधायक ने की सीएम से हस्तक्षेप की मांग

इसे भी पढ़ें- जमशेदपुरः अवर प्रादेशिक नियोजनालय ने किया निबंधन शिविर का आयोजन, 249 अभ्यर्थियों ने लिया भाग

इस मामले में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से त्वरित हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है ताकि बीएड में नामांकन में इच्छुक अभ्यर्थियों को नजदीक के कॉलेजों में दाखिला मिल सके. बीएड कॉलेज आवंटन मामले में घालमेल के मुद्दे को उठाते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्य सरकार की नीतियों पर घोर नाराजगी जताई है. जेएससीईसी के नई नियमों के कारण बीएड अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद के नये नियमों के कारण पूरी तरह से बीएड अभ्यर्थियों के मध्य असमंजस की स्थिति बन गई है.

महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की कोई भूमिका अब छात्रों के नामांकन में नहीं रह गई है. छात्रों को कॉलेज के लिए आवेदन करने की आजादी जरूर है. किस कॉलेज में उनका उनका नामांकन होगा ये पूर्णतया झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की ओर से निर्धारित की जा रही है. जिन कॉलेजों में नामांकन हो रहा है, उसमें प्राइवेट कॉलेजों की संख्या सरकारी कॉलेजों से कहीं ज्यादा है. पर्याप्त नंबर होने के बावजूद अपने नजदीक के कॉलेज में नामांकन नहीं कर पाने के कारण विद्यार्थियों को 300 से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कॉलेजों में नामांकन कराने पर मजबूर किया जा रहा है.

कई बार नामांकन हो जाने के बाद परीक्षा परिषद की ओर से सूची को निरस्त कर दिए जाने की भी सूचना है और उसी सूची में से अभ्यर्थियों के नामों की छंटनी कर उन्हें गैर-सरकारी कॉलेज में नामांकन कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस तानाशाही रवैए से छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है और उनके लिए आगे की पढ़ाई कर पाना मुश्किल प्रतीत होता है. पर्याप्त नंबर होने के बावजूद स्थानीय कॉलेज में नामांकन नहीं हो पाने के कारण उन्हें सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज में नामांकन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें- पंचायत चुनाव की सुगबुगाहटः जमशेदपुर में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने की तैयारियां की समीक्षा

भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि बीएड के 80 प्रतिशत से ज्यादा अभ्यर्थी आरक्षित श्रेणी से आते हैं, जो पूरे तरीके से सरकार से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की कार्यसंस्कृति और मनमाने रवैए पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है. भाजपा ने कहा कि परिषद की कार्यशैली के कारण असमंजस से घिरे छात्रों को न्याय दिलाकर सीएम उन्हें उनकी योग्यता अनुसार मिनलने वाले निकटतम कॉलेज में बीएड की शिक्षा दिलवाना सुनिश्चित करें.

जमशेदपुरः झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की ओर से बीएड में नामांकन के लिए अपनाई गई प्रक्रिया से इच्छुक अभ्यर्थियों के समक्ष कई चुनौतियां उभर आई हैं. परिषद की मनमानी नीतियों के कारण अभ्यर्थियों की आशा पर पानी फिरता दिख रहा है. बीएड कॉलेज आवंटन में घालमेल सहित झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की अविवेकपूर्ण प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर करते हुए बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने चिंता जाहिर किया है.

पूर्व विधायक ने की सीएम से हस्तक्षेप की मांग

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इस मामले में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से त्वरित हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है ताकि बीएड में नामांकन में इच्छुक अभ्यर्थियों को नजदीक के कॉलेजों में दाखिला मिल सके. बीएड कॉलेज आवंटन मामले में घालमेल के मुद्दे को उठाते हुए पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्य सरकार की नीतियों पर घोर नाराजगी जताई है. जेएससीईसी के नई नियमों के कारण बीएड अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद के नये नियमों के कारण पूरी तरह से बीएड अभ्यर्थियों के मध्य असमंजस की स्थिति बन गई है.

महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की कोई भूमिका अब छात्रों के नामांकन में नहीं रह गई है. छात्रों को कॉलेज के लिए आवेदन करने की आजादी जरूर है. किस कॉलेज में उनका उनका नामांकन होगा ये पूर्णतया झारखंड राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की ओर से निर्धारित की जा रही है. जिन कॉलेजों में नामांकन हो रहा है, उसमें प्राइवेट कॉलेजों की संख्या सरकारी कॉलेजों से कहीं ज्यादा है. पर्याप्त नंबर होने के बावजूद अपने नजदीक के कॉलेज में नामांकन नहीं कर पाने के कारण विद्यार्थियों को 300 से 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कॉलेजों में नामांकन कराने पर मजबूर किया जा रहा है.

कई बार नामांकन हो जाने के बाद परीक्षा परिषद की ओर से सूची को निरस्त कर दिए जाने की भी सूचना है और उसी सूची में से अभ्यर्थियों के नामों की छंटनी कर उन्हें गैर-सरकारी कॉलेज में नामांकन कराने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस तानाशाही रवैए से छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है और उनके लिए आगे की पढ़ाई कर पाना मुश्किल प्रतीत होता है. पर्याप्त नंबर होने के बावजूद स्थानीय कॉलेज में नामांकन नहीं हो पाने के कारण उन्हें सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज में नामांकन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

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भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि बीएड के 80 प्रतिशत से ज्यादा अभ्यर्थी आरक्षित श्रेणी से आते हैं, जो पूरे तरीके से सरकार से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य संयुक्त परीक्षा परिषद की कार्यसंस्कृति और मनमाने रवैए पर संज्ञान लेने का आग्रह किया है. भाजपा ने कहा कि परिषद की कार्यशैली के कारण असमंजस से घिरे छात्रों को न्याय दिलाकर सीएम उन्हें उनकी योग्यता अनुसार मिनलने वाले निकटतम कॉलेज में बीएड की शिक्षा दिलवाना सुनिश्चित करें.

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