जमशेदपुरः वैश्विक संकट कोरोना वायरस के कहर से पूरी दुनिया त्राहिमाम है. कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए जिला स्वास्थ्य की टीम नई तकनीक ईजाद कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ साकची स्थित क्वार्टर नंबर-65 इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. क्वार्टर नंबर-65 सरकारी दिशा निर्देश के नियम के मुताबिक कोरोना कक्ष बनाया गया था, लेकिन हाल के दिनों में इसे बंद कर दिया गया है.
कोरोना वायरस के संकट से निजात पाने की कवायद में वैज्ञानिक और चिकित्सा जगत की टीम दिन रात जुटी है. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जिला प्रसाशन ने क्वार्टर नंबर-65 में कोरोना मॉनिटरिंग टीम बनायी थी. यही नहीं सदर अस्पताल के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. महेश्वरी प्रसाद की टीम कोरोना संक्रमण को लेकर यहां बैठक करती थी, लेकिन हाल के दिनों में क्वार्टर नंबर-65 को बंद कर दिया गया है.
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क्वार्टर में ताला लटकने की एक और वजह यह भी बताई जा रही है कि सिविल सर्जन ने इसकी सिफ़ारिश के लिए जिले के उपायुक्त को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया गया था कि यह एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य कर रहे कर्मचारी के नाम पर आवंटित की जाती है. हालांकि यह भी चर्चा का विषय बना था कि कोरोना संक्रमण को लेकर एक कार्यालय एक निजी व्यक्ति के नाम पर कैसे आवंटित की गई है.
घोटाले के दाग लगे हैं सिविल सर्जन पर
जमशेदपुर के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. महेश्वरी प्रसाद पर बिना नियुक्ति के कर्मचारियों को सेवा देने के विषय पर तलवार लटक रही है. इधर क्वार्टर नंबर 65 सिविल सर्जन के एक प्रमुख व्यक्ति प्रद्युमन के नाम पर आवंटित की गई है.