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सोनिया धीवर का शौचालय में ही है 'घर', जानिए विधवा सोनिया धीवर की पूरी कहानी

घर में शौचालय जरूरी है, पर शौचालय ही किसी का घर बन जाए, तो क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही हाल है पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी ब्लॉक के गोहला पंचायत टोला देवली की सोनिया धीवर का. जिसने इंदिरा आवास में मिले शौचालय को अपना घर बना लिया है. पूरी कहानी इस स्पेशल रिपोर्ट में.

due to poverty musabani's sonia dheevar spend her life in bathroom
शौचालय में है 'घर'
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Published : Sep 7, 2020, 4:21 PM IST

Updated : Sep 7, 2020, 7:39 PM IST

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः जिला में घाटशिला अनुमंडल के मुसबनी प्रखंड अंतर्गत गोहला पंचायत के गोहला (टोला- देवली) निवासी सोनिया धीवर गरीबी के कारण शौचालय पर रहने के लिए मजबूर हैं. शौचालय का टूटा हुआ दरवाजा को ही बिस्तर बनाकर सोती है. बरसात होने पर शौचालय के अंदर ही अन्य सामानों के साथ किसी तरह खुद को एडजस्ट कर रहना पड़ता है.

देखें पूरी खबर

गरीबी का दंश

सोनिया धीवर का राशन कार्ड भी नहीं बना है, वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन भी नहीं मिलता है, हालांकि उनके पास आधार कार्ड है लेकिन इनके पुत्र और पुत्र वधू के पास आधार कार्ड नहीं है इनके पास भी राशन कार्ड नहीं बना है. ये मानकर चला जाए तो सरकारी सुविधा इन तक नहीं पहुंच पाई है.

बरसों पहले हो चुका है पति का देहांत

काफी साल पहले पति के रहते इंदिरा आवास मिला था. जो अब पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है. उसी जर्जर आवास में उनके पुत्र एवं पुत्र वधू अपने दो बच्चों के साथ जान जोखिम में डालकर रहते हैं. पुत्र रंजीत धीवर की शराब की आदत से सोनिया ने शौचालय को ही अपना घर बना लिया है.

मछली ही है जीने और खाने का सहारा

जीविका उपार्जन का एकमात्र सहारा नदी में मछली पकड़ना ही है. पुत्र रंजीत धीवर एवं उसकी पत्नी दोनों मिलकर दिनभर मछली पकड़ते हैं तभी परिवार का भरण पोषण होता है. मछली बेच कर पेट भरने लायक भी कमाई नहीं होती है. जिस दिन मछली नहीं मिलता है उस दिन भूखे पेट या मछली खाकर ही सोना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- अनाथ बच्चियों को मिला परिवार, विधायक ने लिया गोद

परिवार की नहीं है सरकारी पहचान

सोनिया समेत परिवार के किसी भी सदस्य को राशन नहीं मिलता है, क्योंकि इनके पुत्र या पुत्रवधू के नाम पर भी राशन कार्ड नहीं है और आधार कार्ड भी नहीं बना है. गरीबी और अज्ञानता की वजह से किसी तरह की सरकारी लाभ नहीं मिलता. इसको लेकर आसपास के लोगों ने धीवर परिवार की मदद की अपील की है.

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः जिला में घाटशिला अनुमंडल के मुसबनी प्रखंड अंतर्गत गोहला पंचायत के गोहला (टोला- देवली) निवासी सोनिया धीवर गरीबी के कारण शौचालय पर रहने के लिए मजबूर हैं. शौचालय का टूटा हुआ दरवाजा को ही बिस्तर बनाकर सोती है. बरसात होने पर शौचालय के अंदर ही अन्य सामानों के साथ किसी तरह खुद को एडजस्ट कर रहना पड़ता है.

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गरीबी का दंश

सोनिया धीवर का राशन कार्ड भी नहीं बना है, वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन भी नहीं मिलता है, हालांकि उनके पास आधार कार्ड है लेकिन इनके पुत्र और पुत्र वधू के पास आधार कार्ड नहीं है इनके पास भी राशन कार्ड नहीं बना है. ये मानकर चला जाए तो सरकारी सुविधा इन तक नहीं पहुंच पाई है.

बरसों पहले हो चुका है पति का देहांत

काफी साल पहले पति के रहते इंदिरा आवास मिला था. जो अब पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है. उसी जर्जर आवास में उनके पुत्र एवं पुत्र वधू अपने दो बच्चों के साथ जान जोखिम में डालकर रहते हैं. पुत्र रंजीत धीवर की शराब की आदत से सोनिया ने शौचालय को ही अपना घर बना लिया है.

मछली ही है जीने और खाने का सहारा

जीविका उपार्जन का एकमात्र सहारा नदी में मछली पकड़ना ही है. पुत्र रंजीत धीवर एवं उसकी पत्नी दोनों मिलकर दिनभर मछली पकड़ते हैं तभी परिवार का भरण पोषण होता है. मछली बेच कर पेट भरने लायक भी कमाई नहीं होती है. जिस दिन मछली नहीं मिलता है उस दिन भूखे पेट या मछली खाकर ही सोना पड़ता है.

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परिवार की नहीं है सरकारी पहचान

सोनिया समेत परिवार के किसी भी सदस्य को राशन नहीं मिलता है, क्योंकि इनके पुत्र या पुत्रवधू के नाम पर भी राशन कार्ड नहीं है और आधार कार्ड भी नहीं बना है. गरीबी और अज्ञानता की वजह से किसी तरह की सरकारी लाभ नहीं मिलता. इसको लेकर आसपास के लोगों ने धीवर परिवार की मदद की अपील की है.

Last Updated : Sep 7, 2020, 7:39 PM IST

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