जमशेदपुरः वैश्विक महामारी कोरोना के कहर से विश्व में लाखों लोगों की जान चली गई. लाखों लोग घरों में बंद हैं. लाखों लोगों की रोजगार चली गई. इन सबों पर कोरोना वायरस का कहर टूटा है. इनके बीच कोरोना महामारी सिर्फ मुसीबत बनकर नहीं आया बल्कि इसके कारण लोगों के जीवनशैली में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिला है.
कोरोना ने बदलाव की सिख दी
लौहनगरी जमशेदपुर के स्लम क्षेत्र वाला इलाका छाया नगर और चंडीनगर के कचरे का ढेर यहां की बस्तियों से गुजरने वाली सड़कें और गली-मुहल्लों में सहज ही कचरों का अंबार देखी जा सकती थी. लेकिन कोरोना के कहर के कारण यहां के लोगों ने अपने रहने वाले परिवेश, झुग्गी, झोपड़ियों साफ-सफाई को अपनी दिनचर्या में अपनाकर गंदगी का नामो निशान ना हो, लोग स्वस्थ रहे, इसका बीड़ा उठाया है.
मलेरिया और डेंगू के मामलों में कमी
जमशेदपुर के एमजीएम और सदर अस्पताल में वैसे तो मौसमी बीमारियों की संख्या सबसे अधिक होती थी. लेकिन कोरोना के कहर के कारण मौसम संबंधी बीमारियों (डेंगू,मलेरिया) की संख्या में औसतन कमी देखी जा रही है. आंकड़े बताते हैं कि,
वर्ष - डेंगू - मलेरिया
2018 - 1245 - 2356
2019 - 2341 - 2025
2020(सितंबर) 1623 - 1020
आम तौर पर ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में भी कमी देखी गई है. एमजीएम अस्पताल में अगस्त महीने में आम तौर पर ओपीडी में आने वाले 860 मरीजों की संख्या दर्ज की गई है. जिनमें गंभीर मरीजों की संख्या 360 से ऊपर है. सदर अस्पताल में अगस्त महीने में 456 मरीज आए हैं, जिनमें भर्ती किए गए मरीजों की संख्या 212 दर्ज की गई है.
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सामाजिक स्वच्छता की जगी भावना
कोरोना महामारी के दौरान आम-जनों में व्यक्तिगत बदलाव देखने को मिला है. आम-जन स्वच्छता के प्रति ना सिर्फ जागरूक हो रहे हैं. बल्कि स्थानीय महिलाओं और पुरुषों में, बस्तीवासियों में भी साफ-सफाई, स्वच्छता के प्रति जुनून देखने को मिला है. बस्तीवासी कहते हैं कि कोरोना के भय के कारण और अन्य बीमारियों से बचने के लिए साफ-सफाई को लेकर किये जा रहे कार्य से उन्हें स्वच्छता के प्रति प्रेरणा मिली है. गली-मोहल्लों की साफ-सफाई से गंभीर मौसमी बीमारियों से छुटकारा भी मिला है. इसके साथ ही बाहर से आने वाले लोग भी अच्छी भावनाओं को लेकर प्रवेश करते हैं.