जमशेदपुर: जिला समाहरणलय सभागार में सोमवार को उप-विकास आयुक्त परमेश्वर भगत की अध्यक्षता में वन स्टॉप सेंटर फॉर वीमेन की जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की गई. बैठक में वन स्टॉप सेंटर का मुख्य उद्देश्य पारिवारिक और सामाजिक बहिष्कार की शिकार महिलाओं को परामर्श, रेफरल और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने पर विमर्श किया गया.
महिलाओं के खिलाफ अपराध के अंतर्गत 292 मामले दर्ज
वन स्टॉप सेंटर सखी योजना 25 फरवरी 2017 से पूर्वी सिंहभूम जिले में संचालित की जा रही है. यह केंद्र पीड़ित महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थाान है, जिसके एक छोर पर परिवार और समाज होता है तो दूसरे स्थान पर पुलिस और न्यायालय. बैठक में महिलाओं और बच्चों से संबंधित कानून को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर विमर्श किया गया. फरवरी 2017 से जुलाई 2019 तक वन स्टॉप सेंटर की ओर से महिलाओं के खिलाफ अपराध के अंतर्गत 292 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें घरेलू हिंसा के 196 मामले, 20 दहेज संबंधी मामले, 5 साइबर क्राइम के मामले, 17 यौन शोषण के मामले और 8 गुमशुदा सहित 46 अन्य मामले शामिल हैं.
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अनुवीक्षण और मूल्यांकन
- अनुवीक्षण स्थानीय प्रशासन, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, चिकित्साक और कार्यान्वयन एजेंसियों के मुख्य कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधित्व वाली उप समिति के माध्यकम से किया जाता है.
- नियमित भौतिक अनुवीक्षण और गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए दिशा-निर्देश बोर्ड के क्षेत्रीय
अधिकारियों के माध्यकम से प्रदान किया जाता है. - संयुक्ता निरीक्षण सरकार, केंद्रीय बोर्ड और राज्य सरकार के अधिकारियों के माध्य्म से औचक आधार पर किया जाता है.
- परिवार परामर्श केंद्र की ओर से प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर नजर रखने और रियल टाईम मॉनिटरिंग के लिए भी ऐप आधारित वेब पोर्टल की शुरूआत की जा रही है.
- इस योजना का मूल्यांकन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुम्बई की ओर से साल 1988-89, 2003-04, 2005-06 और 2016-17 में किया गया है.
महिलाओं से संबंधित मुख्य कानून
- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005
- दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961
- अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956
- महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013
- हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम 1956, हिंदू उत्तरराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005
भारतीय उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2002 - मुस्लिम स्त्री 9 (विवाह विच्छेद पर अधिकार संरक्षण) अधिनियम 1986
प्रसवपूर्व निदान-तकनीक (विनियमन और दुरूपयोग-निवारण) अधिनियम, 2001 और 2002
बच्चोंव से संबंधित मुख्य कानून
- किशोर न्यायालय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015
- लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
- बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2015
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006
- बालक श्रम (प्रतिषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986
बैठक में सिविल सर्जन डॉ आरएन झा, निदेशक एनईपी ज्योत्सना सिंह, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सत्या ठाकुर, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी रोहित कुमार और अन्य पदाधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.