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झारखंड-बंगाल सीमा पर कोरोना जांच के नाम पर खानापूर्ति, कहीं मेडिकल टीम मौजूद नहीं रहती तो कहीं पुलिस प्रशासन

झारखंड में कोरोना का प्रकोप नहीं थम रहा है. इसके बाद भी झारखंड-बंगाल सीमा पर कोरोना टेस्ट को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है. स्थिति यह है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में बंगाल से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में लोग बेरोकटोक आ जा रहे हैं. ऐसे में कोरोना का खतरा बढ़ रहा है.

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Published : May 14, 2021, 9:04 AM IST

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः इन दिनों पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण चरम पर है. बंगाल-झारखंड सीमा पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा. बंगाल सीमा से लोग आसानी से आ-जा रहे हैं. उनकी कोरोना जांच नहीं हो रही है.

यह भी पढ़ेंः झारखंड में आज से 18+ वालों को कोरोना का टीका, जानिए आपके जिले में कितनी वैक्सीन है उपलब्ध

यही वजह है कि बंगाल चुनाव से अब तक पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना संक्रमण के मामलों में बेतहासा वृद्धि हुई है. पूर्वी सिंहभूम जिले के पश्चिम बंगाल से लगे तीनों सीमा क्षेत्र बड़शोल, घाटशिला,गालूडीह, और चाकुलिया में कोरोना जांच के कोई खास इंतजाम नहीं हैं.

बड़शोल में सिर्फ तीन घंटे ही हो रही जांच

बहरागोड़ा प्रखंड के बड़शोल थाने के समीप बंगाल से झारखंड में प्रवेश करने वाले लोगों की कोरोना जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो पा रही है क्योंकि यहां मेडिकल स्टाफ की कमी है.

एनएच-49 पर बने चेकनाका पर तैनात मजिस्ट्रेट अमरेंद्र कुमार ने बताया कि बंगाल से झारखंड आ रहे सभी चार चक्का वाहनों को रोक कर वाहन संख्या एंट्री कर कोविड जांच हो रही है.

कोविड निगेटिव लोगों को ही झारखंड सीमा में प्रवेश करने दिया जा रहा है. स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण यहां पर तीन घंटा सिर्फ तीन घंटे ही कोविड जांच हो पा रही है. बाकी समय लोग बेरोक-टोक आते-जाते हैं.

गालूडीह में संसाधन के अभाव में जांच नहीं

झारखंड-बंगाल मुख्य सीमा के केशरपुर चेकपोस्ट पर ना तो मेडिकल टीम रहती है, ना ही पुलिस. चेकपोस्ट पर तैनात मजिस्ट्रेट मुकेश कुमार ने बताया कि विगत 1 मार्च से वह केशरपुर चेकपोस्ट में योगदान दे रहे हैं. सुबह 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक. दो पाली में ड्यूटी जरुर हो रही है, लेकिन किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां कोविड जांच नहीं हो रही है. यहां से काफी संख्या में लोग बंगाल आना-जाना करते हैं. 6 मई को औचक जांच मेडिकल टीम ने एंटीजन और आरटीपीसीआर से 24 लोगों की जांच की थी, जिसमें सभी निगेटिव पाए गए.

कानीमोहली में न पुलिस, न मेडिकल स्टाफ

घाटशिला थाना क्षेत्र के कानीमोहली झारखंड का अंतिम गांव है. इसके बाद बंगाल का गांव आता है. यहां बंगाल से झारखंड में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए न ही चेकपोस्ट बना है, न ही यहां पर सुरक्षा का कोई बंदोबस्त रहता है.

यही वजह है कि आसानी से हर तरह के वाहन से सैकड़ों लोग प्रतिदिन झारखंड में प्रवेश करते हैं. कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि का यह सबसे बड़ा कारण है. कानीमोहली गांव के लोगों ने बताया कि बंगाल के लोग आसानी से आ-जा रहे है. यहां पर किसी प्रकार की जांच या चेकपोस्ट नहीं है.

चाकुलिया स्थित पोस्ट पर मेडिकल टीम तो रहती है पर पुलिस नहीं. पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर जाने वाली सड़क पर चेक पोस्ट बना है या चाकुलिया प्रखंड के अंतर्गत आता है यहां पर मेडिकल टीम तो रहती है लेकिन पुलिस टीम मौजूद नहीं रहती जिससे वहां कार्य कर रहे मेडिकल टीम को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो यात्रियों के साथ हल्की झड़प भी हो जाती है अगर पुलिस मौके पर रहती तो यह नौबत नहीं होती. कुल मिलाकर कहा जाए तो चेक पोस्ट राम भरोसे ही चल रहा है

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूमः इन दिनों पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण चरम पर है. बंगाल-झारखंड सीमा पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा. बंगाल सीमा से लोग आसानी से आ-जा रहे हैं. उनकी कोरोना जांच नहीं हो रही है.

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यही वजह है कि बंगाल चुनाव से अब तक पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना संक्रमण के मामलों में बेतहासा वृद्धि हुई है. पूर्वी सिंहभूम जिले के पश्चिम बंगाल से लगे तीनों सीमा क्षेत्र बड़शोल, घाटशिला,गालूडीह, और चाकुलिया में कोरोना जांच के कोई खास इंतजाम नहीं हैं.

बड़शोल में सिर्फ तीन घंटे ही हो रही जांच

बहरागोड़ा प्रखंड के बड़शोल थाने के समीप बंगाल से झारखंड में प्रवेश करने वाले लोगों की कोरोना जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो पा रही है क्योंकि यहां मेडिकल स्टाफ की कमी है.

एनएच-49 पर बने चेकनाका पर तैनात मजिस्ट्रेट अमरेंद्र कुमार ने बताया कि बंगाल से झारखंड आ रहे सभी चार चक्का वाहनों को रोक कर वाहन संख्या एंट्री कर कोविड जांच हो रही है.

कोविड निगेटिव लोगों को ही झारखंड सीमा में प्रवेश करने दिया जा रहा है. स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण यहां पर तीन घंटा सिर्फ तीन घंटे ही कोविड जांच हो पा रही है. बाकी समय लोग बेरोक-टोक आते-जाते हैं.

गालूडीह में संसाधन के अभाव में जांच नहीं

झारखंड-बंगाल मुख्य सीमा के केशरपुर चेकपोस्ट पर ना तो मेडिकल टीम रहती है, ना ही पुलिस. चेकपोस्ट पर तैनात मजिस्ट्रेट मुकेश कुमार ने बताया कि विगत 1 मार्च से वह केशरपुर चेकपोस्ट में योगदान दे रहे हैं. सुबह 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक. दो पाली में ड्यूटी जरुर हो रही है, लेकिन किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां कोविड जांच नहीं हो रही है. यहां से काफी संख्या में लोग बंगाल आना-जाना करते हैं. 6 मई को औचक जांच मेडिकल टीम ने एंटीजन और आरटीपीसीआर से 24 लोगों की जांच की थी, जिसमें सभी निगेटिव पाए गए.

कानीमोहली में न पुलिस, न मेडिकल स्टाफ

घाटशिला थाना क्षेत्र के कानीमोहली झारखंड का अंतिम गांव है. इसके बाद बंगाल का गांव आता है. यहां बंगाल से झारखंड में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए न ही चेकपोस्ट बना है, न ही यहां पर सुरक्षा का कोई बंदोबस्त रहता है.

यही वजह है कि आसानी से हर तरह के वाहन से सैकड़ों लोग प्रतिदिन झारखंड में प्रवेश करते हैं. कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि का यह सबसे बड़ा कारण है. कानीमोहली गांव के लोगों ने बताया कि बंगाल के लोग आसानी से आ-जा रहे है. यहां पर किसी प्रकार की जांच या चेकपोस्ट नहीं है.

चाकुलिया स्थित पोस्ट पर मेडिकल टीम तो रहती है पर पुलिस नहीं. पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर जाने वाली सड़क पर चेक पोस्ट बना है या चाकुलिया प्रखंड के अंतर्गत आता है यहां पर मेडिकल टीम तो रहती है लेकिन पुलिस टीम मौजूद नहीं रहती जिससे वहां कार्य कर रहे मेडिकल टीम को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कई बार तो यात्रियों के साथ हल्की झड़प भी हो जाती है अगर पुलिस मौके पर रहती तो यह नौबत नहीं होती. कुल मिलाकर कहा जाए तो चेक पोस्ट राम भरोसे ही चल रहा है

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