जमशेदपुर: रेल प्रशासन की तरफ से जल संकट से निपटने के लिए टाटानगर रेलवे स्टेशन के पास एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया है. इस प्लांट के बन जाने से रेल प्रशासन को प्रतिदिन डेढ़ लाख गैलन पानी सफाईकार्य में दोबारा इस्तेमाल के लिए मिलने लगेगा . इससे रेलवे के खर्च में भी कमी आएगी.
ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी के संचालक ने बताया कि टाटानगर वाशिंग लाइन से दूषित जल को ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाएगा. जहां पानी को रिसाइकिल करने के बाद उस पानी को वापस वाशिंग लाइन में भेजा जाएगा. यह प्लांट 2021 फरवरी माह तक बनकर तैयार हो जाएगा.
देरी से चल रहा निर्माण कार्य
बता दें कि 2018 में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का टेंडर हुआ था, जिसे 2020 मार्च में पूरा करना था लेकिन जगह चिन्हित नहीं होने, ड्राइंग पास नहीं होने, कोरोना काल के कारण निर्माण कार्य समय पर पूरा नहीं होने से देर हो गई. इस प्लांट के बन जाने से रेलवे को प्रतिदिन डेढ़ लाख गैलन पानी की बचत होगी. जानकारी के मुताबिक टाटानगर रेलवे स्टेशन में दो लाख गैलन पानी की सप्लाई की जाती है, जिसमें 50 हजार गैलन पानी टाटानगर रेलवे स्टेशन में इस्तेमाल किया जाता है, जबकि टाटानगर वाशिंग लाइन में डेढ़ लाख गैलन पानी से 280 कोच की साफ सफाई की जाती है.
खर्च में आएगी कमी
टाटानगर स्टेशन तक पानी पहुंचाने में रेलवे को एक रुपये 5 पैसे प्रति लीटर खर्च करना पड़ता है, जबकि वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के लग जाने से यह खर्च 30 पैसे प्रति लीटर हो जाएगा. वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करने वाले संचालक ने बताया है कि टाटानगर रेलवे स्टेशन से बाहर चाईबासा बस स्टैंड के पास पानी कलेक्शन सेंटर बनाया जा रहा है. जहां वाशिंग लाइन से दूषित पानी कलेक्शन सेंटर में पहुंचेगा और वहां से वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाया जाएगा. जहां रीसाइकिल करने के बाद उस पानी को फिर से वाशिंग लाइन भेजा जाएगा. यह प्रक्रिया 5 से 6 बार की जाएगी. निर्माण कार्य करने वाले संचालक महेश सिंह ने बताया है कि 2021 फरवरी तक यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा. इस प्लांट के बन जाने से रेलवे को धन और जल दोनों की बचत होगी.