जमशेदपुर: शहर में जिला कांग्रेस कमिटी की ओर से वर्चुअल प्रेस वार्ता की गयी. जिला अध्यक्ष विजय खां ने नई शिक्षा नीति पर अपना विरोध जताते हुए कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से विभिन्न राज्य सरकारों के विरोध और आपत्तियों को दरकिनार कर एकतरफा तरीके से नई शिक्षा नीति लागू करना संविधान का पूरी तरह उल्लंघन है. इस प्रकार की नीति पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए थी.
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उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार कहना है कि वो अब शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी का 6% खर्च करेगी और वर्तमान में 4% कर रही है. लेकिन ये खुद बहुत कम है जबकि छात्र अंदोलन की लंबे समय से मांग रही है कि शिक्षा पर जीडीपी का 10% खर्च होना चाहिए. यूपीए-2 के अंतिम वर्ष में शिक्षा पर जीडीपी का 4.14 प्रतिशत खर्च किया गया था. लेकिन वर्तमान सरकार ने इस खर्च को लगातार घटाया और अब यह केवल 3.2 प्रतिशत रह गया है.
जिला अध्यक्ष का कहना है कि देश में इंटरनेट और कंप्यूटर की पहुंच समाज के बड़े तबके तक नहीं पहुंच पाई है. यहां तक कि सरकार के स्कूलों तक में इनकी उपलब्धता आज तक नहीं सुनिश्चित हो सकी है. ऐसे में सबको ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा देने की सिर्फ एक कल्पना है. नई शिक्षा नीति में सबसे बड़ा बदलाव तीन साल से छह साल की उम्र के छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए औपचारिक शिक्षा में प्रवेश कराने को लेकर माना जा रहा है. लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों के कार्यकर्ताओं और उनके सहायकों को क्रमशः 4500 रुपये और 2250 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है. वे शिक्षण कार्य में भी दक्ष नहीं होती है. ऐसे में वे देश के बच्चों की शिक्षा नींव बेहतर ढंग से रख सकेंगे. सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को छह महीने का डिप्लोमा देकर उन्हें इसके लिए दक्ष बनाने का लक्ष्य तय किया है. लेकिन इस तरह दक्ष अध्यापक की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता है.