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टनल में फंसे मजदूरों की बाहर निकलने की उम्मीद से खिल उठे परिजनों के चेहरे, इन्होंने बताया कैसे बीते पिछले 13 दिन

Condition of families laborers who trapped in tunnel. उत्तरकाशी के टनल हादसे में झारखंड के कई मजदूर फंसे हुए हैं. हमारी टीम इन मजदूरों में से कुछ के घर गई और उनके घरवालों के हाल जानने की कोशिश की.

families laborers who trapped in tunnel
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 24, 2023, 9:15 AM IST

Updated : Nov 24, 2023, 6:54 PM IST

घाटशिला डुमरिया प्रखंड से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टिंग, टनल में फंसे मजदूरों के परिवार का दर्द, क्या कहते हैं परिजन

पूर्वी सिंहभूम/घाटशिला: जब सब दिवाली मना रहे थे तो हमारे आंसू निकल रहे थे. हमने ना दीप जलाए ना बच्चों ने पटाखे फोड़े. बच्चे अपने पिता को याद कर रो रहे थे. दीपावली की रात हमने रोते हुए गुजारा. ये कहानी है उस महिला की जिसके पति उत्तराखंड में टनल में फंसे हुए हैं. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल निर्माण के दौरान काम कर रहे देश भर के 41 मजदूर फंसे हुए हैं. उसमे सबसे ज्यादा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूर हैं. इनमें से अधिकतर घाटशिला के आदिवासी बहुल डुमरिया प्रखंड के रहने वाले हैं.

अपनी जिन्दगी से जद्दोजहद कर रहे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. जो भी तकनीक की जरूरत है उसे सरकार अपना रही है. इन मजदूरों को सुरक्षित निकालने का काम अब अंतिम दौर में हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने जब मानिकपुर पहुंच कर वहां के ग्रामीणों से बात की तो उनमें खुशी दिखाई दी. टनल में फंसे गुणधार नायक का घर इसी गांव में है. जब हमारी टीम उसके घर पहुंची तो दरवाजे पर एक वृद्ध बैठी हुईं थीं. जब उनसे गुरु धर्म नायक के बारे में पूछा तो वह फूट-फूट कर रोने लगीं. उन्होंने बताया कि गुणधार नायक उनका छोटा बेटा है. उनके दो और बेटे भी वहीं पर काम करते हैं. उन्होंने ही फोन से हम लोगों को जानकारी दी कि उसका भाई टनल में फंस गया है. उन्होंने बताया कि जल्द ही उनको बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन 12 दिन बीत जाने के बाद भी कोई खोज खबर नहीं है.

हमने उनको बताया कि टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचाने के लिए अब बस कुछ ही दूर बचे हैं तो गुणधार के मां बुधनी नायक की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. उन्होंने बताया कि जब भी बाहर निकलेगा मैं उसे तुरंत घर बुलाऊंगी और कभी बाहर काम करने भी जाने नहीं दूंगी.

इसके बाद ईटीवी भारत की टीम हमने उसी के गांव में रहने वाले दूसरे मजदूर रणजीत लोहार के घर पहुंची. पूछताछ में पता चला कि उनके पिता रसल लोहार का देहांत पहले ही हो चुका है. उनके घर में उनकी बुढ़ी मां रहती हैं. जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि जैसे ही खबर उनको मिली उनकी तबीयत उसी दिन से खराब है. वह बताती हैं कि उनके बेटे के बारे में सोच-सोच कर उनका बुरा हाल है. उनको भी जब हमने बताया कि मजदूरों को बाहर निकलने का काम अंतिम चरण में है, तो उनके भी चेहरे खिल उठे. उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं बड़े बेटा चंदन लोहार बेंगलुरु में काम करता है. उन्होंने बताया कि जब उनका बेटा टनल से वापस सुरक्षित निकलेगा तो वे उसे तुरंत ही अपने घर बुला लेंगी. इसके साथ ही अपने बड़े बेटे को भी बेंगलुरु से वापस घर बुलाएंगी. अब बाहर काम करने नहीं भेजूंगी जो भी होगा हम लोग मिल बात के दो वक्त की रोटी खा लेंगे.

इसके बाद हमारी टीम यहां रहने वाले तीसरे मजदूर रविंद्र नायक के घर पहुंची उनके घर उनकी पत्नी से मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि घर में एक ही कमाने वाला है, वह भी अब मुसीबत में है. हम लोगों को उनकी बहुत याद आ रही है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. उन्होंने बताया कि दिवाली में गांव के बच्चों ने पटाखे फोड़े, दीप जलाए लेकिन हमारे घर में ना तो दीप जले और ना ही बच्चों ने पटाखे फोड़े. बस उनके पिता को याद करते उनके बच्चे रोने लगते हैं. यह सब बताते बताते हुए रविंद्र नायक की पत्नी भी अपने आंसू को रोक नहीं सकीं. जब हमने उनको बताया कि बाहर निकलने का काम अब अंतिम चरण में है और बहुत जल्द उनको बाहर निकाल लिया जाएगा तो उनका चेहरा खुशी से खिल उठा. उन्होंने कहा कि भगवान से हम भी यह प्रार्थना करते हैं कि हमारे पति सही सलामत घर वापस आ जाए.

घाटशिला डुमरिया प्रखंड से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टिंग, टनल में फंसे मजदूरों के परिवार का दर्द, क्या कहते हैं परिजन

पूर्वी सिंहभूम/घाटशिला: जब सब दिवाली मना रहे थे तो हमारे आंसू निकल रहे थे. हमने ना दीप जलाए ना बच्चों ने पटाखे फोड़े. बच्चे अपने पिता को याद कर रो रहे थे. दीपावली की रात हमने रोते हुए गुजारा. ये कहानी है उस महिला की जिसके पति उत्तराखंड में टनल में फंसे हुए हैं. उत्तराखंड के उत्तरकाशी में टनल निर्माण के दौरान काम कर रहे देश भर के 41 मजदूर फंसे हुए हैं. उसमे सबसे ज्यादा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के मजदूर हैं. इनमें से अधिकतर घाटशिला के आदिवासी बहुल डुमरिया प्रखंड के रहने वाले हैं.

अपनी जिन्दगी से जद्दोजहद कर रहे मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है. जो भी तकनीक की जरूरत है उसे सरकार अपना रही है. इन मजदूरों को सुरक्षित निकालने का काम अब अंतिम दौर में हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने जब मानिकपुर पहुंच कर वहां के ग्रामीणों से बात की तो उनमें खुशी दिखाई दी. टनल में फंसे गुणधार नायक का घर इसी गांव में है. जब हमारी टीम उसके घर पहुंची तो दरवाजे पर एक वृद्ध बैठी हुईं थीं. जब उनसे गुरु धर्म नायक के बारे में पूछा तो वह फूट-फूट कर रोने लगीं. उन्होंने बताया कि गुणधार नायक उनका छोटा बेटा है. उनके दो और बेटे भी वहीं पर काम करते हैं. उन्होंने ही फोन से हम लोगों को जानकारी दी कि उसका भाई टनल में फंस गया है. उन्होंने बताया कि जल्द ही उनको बाहर निकाल लिया जाएगा, लेकिन 12 दिन बीत जाने के बाद भी कोई खोज खबर नहीं है.

हमने उनको बताया कि टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचाने के लिए अब बस कुछ ही दूर बचे हैं तो गुणधार के मां बुधनी नायक की आंखों में खुशी के आंसू आ गए. उन्होंने बताया कि जब भी बाहर निकलेगा मैं उसे तुरंत घर बुलाऊंगी और कभी बाहर काम करने भी जाने नहीं दूंगी.

इसके बाद ईटीवी भारत की टीम हमने उसी के गांव में रहने वाले दूसरे मजदूर रणजीत लोहार के घर पहुंची. पूछताछ में पता चला कि उनके पिता रसल लोहार का देहांत पहले ही हो चुका है. उनके घर में उनकी बुढ़ी मां रहती हैं. जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि जैसे ही खबर उनको मिली उनकी तबीयत उसी दिन से खराब है. वह बताती हैं कि उनके बेटे के बारे में सोच-सोच कर उनका बुरा हाल है. उनको भी जब हमने बताया कि मजदूरों को बाहर निकलने का काम अंतिम चरण में है, तो उनके भी चेहरे खिल उठे. उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं बड़े बेटा चंदन लोहार बेंगलुरु में काम करता है. उन्होंने बताया कि जब उनका बेटा टनल से वापस सुरक्षित निकलेगा तो वे उसे तुरंत ही अपने घर बुला लेंगी. इसके साथ ही अपने बड़े बेटे को भी बेंगलुरु से वापस घर बुलाएंगी. अब बाहर काम करने नहीं भेजूंगी जो भी होगा हम लोग मिल बात के दो वक्त की रोटी खा लेंगे.

इसके बाद हमारी टीम यहां रहने वाले तीसरे मजदूर रविंद्र नायक के घर पहुंची उनके घर उनकी पत्नी से मुलाकात हुई. उन्होंने बताया कि घर में एक ही कमाने वाला है, वह भी अब मुसीबत में है. हम लोगों को उनकी बहुत याद आ रही है. उनका एक बेटा और एक बेटी है. उन्होंने बताया कि दिवाली में गांव के बच्चों ने पटाखे फोड़े, दीप जलाए लेकिन हमारे घर में ना तो दीप जले और ना ही बच्चों ने पटाखे फोड़े. बस उनके पिता को याद करते उनके बच्चे रोने लगते हैं. यह सब बताते बताते हुए रविंद्र नायक की पत्नी भी अपने आंसू को रोक नहीं सकीं. जब हमने उनको बताया कि बाहर निकलने का काम अब अंतिम चरण में है और बहुत जल्द उनको बाहर निकाल लिया जाएगा तो उनका चेहरा खुशी से खिल उठा. उन्होंने कहा कि भगवान से हम भी यह प्रार्थना करते हैं कि हमारे पति सही सलामत घर वापस आ जाए.

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Last Updated : Nov 24, 2023, 6:54 PM IST
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