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जानिए क्या है बूढ़ी गाड़ी नाच, क्या है इसकी खासियत - जमशेदपुर न्यूज

जमशेदपुर के आस पास ग्रामीण इलाके में मकर पर्व के दूसरे दिन अखंड यात्रा की शाम आदिवासी समाज के युवाओं ने ढोल नगाड़े के साथ लड़कियों की वेशभूषा में बूढ़ी गाड़ी नृत्य करते हुए पर्व मनाया है.

budhi gari naach celebrated in jamshedpur
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Published : Jan 16, 2022, 8:06 AM IST

Updated : Jan 16, 2022, 10:01 AM IST

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण इलाकों में मकर संक्रांति के दूसरे दिन अखंड यात्रा की शाम बूढ़ी गाड़ी नाच का आयोजन हुआ. जिसमें ग्रामीण युवा लड़कियों की भेष-भूषा में जमकर थिरके. युवाओ ने बताया कि यह हमारी पुरानी परंपरा है. हमलोग मिलकर अखंड यात्रा बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. हालांकि झारखंड में कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगा हुआ है. इस वजह से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए युवाओं ने अपनी परंपरा का निर्वहन किया.

ये भी पढ़ेंः जमशेदपुर में अंधविश्वासः आदिवासी समाज की ऐसी परंपरा, जिसमें बच्चों को दिया जाता है खौफनाक दर्द

झारखंड में कोरोना के तीसरे लहर में सरकार द्वारा कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं. जिसके तहत किसी भी तरह के आयोजन पर रोक लगाई गई है. मिनी लॉकडाउन में आदिवासी समाज द्वारा मकर पर्व को सीमित दायरे में मनाया गया. लेकिन उत्साह में कमी नहीं थी. इधर जमशेदपुर के आस पास ग्रामीण इलाके में मकर पर्व के दूसरे दिन अखंड यात्रा की शाम आदिवासी समाज के युवाओं ने ढोल नगाड़े के साथ लड़कियों की वेशभूषा में बूढ़ी गाड़ी नृत्य करते हुए पर्व मनाया है.


लड़कियों की वेशभूषा में लड़कियों की तरह आभूषण पहने युवाओं की टीम गांव-गांव, टोला-टोला घूमकर अपनी भाषा में गीत गाकर बूढ़ी गाड़ी नृत्य कर बूढ़ी गाड़ी को बड़े उत्साह के साथ मनाया है. इस दौरान ग्रामीणों ने युवाओं की टीम को पीठा, गुड़, मुढ़ी या चावल देकर उनका स्वागत किया. बूढ़ी गाड़ी नृत्य टीम में शामिल युवाओं ने बताया कि यह हमारी पुरानी परंपरा हैं जिसमे अखंड यात्रा की शाम लड़के लड़की की वेशभूषा में रहते हैं और बूढ़ी गाड़ी नृत्य करते हैं. ऐसे आयोजन में शामिल होकर हमें अच्छा लगता है.

देखिए पूरी खबर

जमशेदपुरः पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण इलाकों में मकर संक्रांति के दूसरे दिन अखंड यात्रा की शाम बूढ़ी गाड़ी नाच का आयोजन हुआ. जिसमें ग्रामीण युवा लड़कियों की भेष-भूषा में जमकर थिरके. युवाओ ने बताया कि यह हमारी पुरानी परंपरा है. हमलोग मिलकर अखंड यात्रा बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं. हालांकि झारखंड में कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगा हुआ है. इस वजह से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए युवाओं ने अपनी परंपरा का निर्वहन किया.

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झारखंड में कोरोना के तीसरे लहर में सरकार द्वारा कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं. जिसके तहत किसी भी तरह के आयोजन पर रोक लगाई गई है. मिनी लॉकडाउन में आदिवासी समाज द्वारा मकर पर्व को सीमित दायरे में मनाया गया. लेकिन उत्साह में कमी नहीं थी. इधर जमशेदपुर के आस पास ग्रामीण इलाके में मकर पर्व के दूसरे दिन अखंड यात्रा की शाम आदिवासी समाज के युवाओं ने ढोल नगाड़े के साथ लड़कियों की वेशभूषा में बूढ़ी गाड़ी नृत्य करते हुए पर्व मनाया है.


लड़कियों की वेशभूषा में लड़कियों की तरह आभूषण पहने युवाओं की टीम गांव-गांव, टोला-टोला घूमकर अपनी भाषा में गीत गाकर बूढ़ी गाड़ी नृत्य कर बूढ़ी गाड़ी को बड़े उत्साह के साथ मनाया है. इस दौरान ग्रामीणों ने युवाओं की टीम को पीठा, गुड़, मुढ़ी या चावल देकर उनका स्वागत किया. बूढ़ी गाड़ी नृत्य टीम में शामिल युवाओं ने बताया कि यह हमारी पुरानी परंपरा हैं जिसमे अखंड यात्रा की शाम लड़के लड़की की वेशभूषा में रहते हैं और बूढ़ी गाड़ी नृत्य करते हैं. ऐसे आयोजन में शामिल होकर हमें अच्छा लगता है.

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Last Updated : Jan 16, 2022, 10:01 AM IST
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