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इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में "सोधायनी" फिल्म बेस्ट स्क्रिप्ट का ज्वाइंट अवार्ड, घाटशिला के हैं फिल्म निर्देशक

ढाका इंटरनेशनल यूथ फिल्म फेस्टिवल में घाटशिला के मुसाबनी स्थित पाथोरगोड़ा गांव के सेराल मुर्मू की फिल्म 'सोंधायनी' को बेस्ट स्क्रिप्ट का ज्वाइंट अवार्ड मिला है. फिल्म की कहानी आदिवासी बहुल इलाके की संस्कृति और समस्याओं को उजागर करती है. नवंबर में सोंधायनी कनाडा में आयोजित इमेजिनेटिव इंडिजिनस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रिंनिंग किया जायेगा. इस फिल्म की स्क्रिप्ट लोक कथा से जोड़ती है

Joint Film Award for Best Script at International Film Festival for Sodhayani
Joint Film Award for Best Script at International Film Festival for Sodhayani
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Published : Aug 3, 2020, 12:29 PM IST

जमशेदपुर: ढाका इंटरनेशनल यूथ फिल्म फेस्टिवल में घाटशिला के मुसाबनी स्थित पाथोरगोड़ा गांव के सेराल मुर्मू की फिल्म 'सोंधायनी' को बेस्ट स्क्रिप्ट का ज्वाइंट अवार्ड मिला है. फिल्म के निर्देशक सेराल ने बताया कि सोंधायनी को इससे पहले भी देश के विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया जा चुका है. 25 मिनट की संताली शॉर्ट फिल्म फिक्शन पर आधारित है.

लोक कथा से जोड़ती है फिल्म

फिल्म की कहानी आदिवासी बहुल इलाके की संस्कृति और समस्याओं को उजागर करती है. नवंबर में सोंधायनी कनाडा में आयोजित इमेजिनेटिव इंडिजिनस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रिंनिंग किया जायेगा. इस फिल्म की स्क्रिप्ट लोक कथा से जोड़ती है. सोंधायनी की कहानी गांव की संस्कृति और लोक कथाओं से जोड़ती है. जहां घर की दीवारों पर बनी कलाकृति से कहानी को जीवंत किया गया है. कहानी वाचक वृद्धि महिला एक यात्री को गांव के जंगल में पहुंची जियोलॉजिस्ट की टीम और चिड़ियां की ओर से लिये गये अपने बदले की कहानी सुनाती है. कैसे एक चिड़िया के मरने से उसकी साथी चिड़िया जियोलॉजिस्ट की टीम से बदला लेती है. सेराल ने बताया कि फिल्म को ग्रामीण परिवेश में रखकर आदिवासी समाज की समस्याओं को दिखाने की कोशिश की गयी है. साथ ही 'लोग प्रकृति के मालिक नहीं, प्रकृति लोगों की मालिक है' का संदेश देने की कोशिश की गई है.

इसे भी पढ़ें- रांची: ASI हत्याकांड का खुलासा, शराब को लेकर हुई थी हत्या, 5 गिरफ्तार

FTII पुणे में रहते हुए बनाई फिल्म

सेराल मुर्मू साल 2019 में ही फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से पासआउट हैं. सोंधायनी को डिप्लोमा फिल्म के रूप में यानी पासआउट के समय तैयार किया था. बिजू टोप्पो और मेघनाथ को असिस्ट कर चुके हैं. सोंधायनी के अलावा सिराल शॉर्ट फिल्म- लाह डहर, देयर इज नथिंग न्यू इन दिस फिल्म, रिमेन्स, झुमरीतिलैया से, मराठी डॉक्यूमेंटरी उड़ूस तैयार कर चुके हैं. उड़ूस को इटली डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया जा चुका है. सेराल मुर्मू के इस कामयाबी से उनके माता-पिता के साथ पाथोरगोडा गांव के ग्रामीणों भी काफी उत्साहित हैं. उन लोगों का कहना है कि मुसाबनी जैसे ग्रामीण क्षेत्र के युवा आज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अपनी छाप रख रहे हैं, यह मुसाबनी क्षेत्र और हमारे गांव की के लिए गर्व की बात है.

जमशेदपुर: ढाका इंटरनेशनल यूथ फिल्म फेस्टिवल में घाटशिला के मुसाबनी स्थित पाथोरगोड़ा गांव के सेराल मुर्मू की फिल्म 'सोंधायनी' को बेस्ट स्क्रिप्ट का ज्वाइंट अवार्ड मिला है. फिल्म के निर्देशक सेराल ने बताया कि सोंधायनी को इससे पहले भी देश के विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया जा चुका है. 25 मिनट की संताली शॉर्ट फिल्म फिक्शन पर आधारित है.

लोक कथा से जोड़ती है फिल्म

फिल्म की कहानी आदिवासी बहुल इलाके की संस्कृति और समस्याओं को उजागर करती है. नवंबर में सोंधायनी कनाडा में आयोजित इमेजिनेटिव इंडिजिनस फिल्म फेस्टिवल में स्क्रिंनिंग किया जायेगा. इस फिल्म की स्क्रिप्ट लोक कथा से जोड़ती है. सोंधायनी की कहानी गांव की संस्कृति और लोक कथाओं से जोड़ती है. जहां घर की दीवारों पर बनी कलाकृति से कहानी को जीवंत किया गया है. कहानी वाचक वृद्धि महिला एक यात्री को गांव के जंगल में पहुंची जियोलॉजिस्ट की टीम और चिड़ियां की ओर से लिये गये अपने बदले की कहानी सुनाती है. कैसे एक चिड़िया के मरने से उसकी साथी चिड़िया जियोलॉजिस्ट की टीम से बदला लेती है. सेराल ने बताया कि फिल्म को ग्रामीण परिवेश में रखकर आदिवासी समाज की समस्याओं को दिखाने की कोशिश की गयी है. साथ ही 'लोग प्रकृति के मालिक नहीं, प्रकृति लोगों की मालिक है' का संदेश देने की कोशिश की गई है.

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FTII पुणे में रहते हुए बनाई फिल्म

सेराल मुर्मू साल 2019 में ही फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे से पासआउट हैं. सोंधायनी को डिप्लोमा फिल्म के रूप में यानी पासआउट के समय तैयार किया था. बिजू टोप्पो और मेघनाथ को असिस्ट कर चुके हैं. सोंधायनी के अलावा सिराल शॉर्ट फिल्म- लाह डहर, देयर इज नथिंग न्यू इन दिस फिल्म, रिमेन्स, झुमरीतिलैया से, मराठी डॉक्यूमेंटरी उड़ूस तैयार कर चुके हैं. उड़ूस को इटली डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन किया जा चुका है. सेराल मुर्मू के इस कामयाबी से उनके माता-पिता के साथ पाथोरगोडा गांव के ग्रामीणों भी काफी उत्साहित हैं. उन लोगों का कहना है कि मुसाबनी जैसे ग्रामीण क्षेत्र के युवा आज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में अपनी छाप रख रहे हैं, यह मुसाबनी क्षेत्र और हमारे गांव की के लिए गर्व की बात है.

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