जमशेदपुर: शहर में लॉकडाउन के कारण नाई समाज के लोगों का धंधा बंद पड़ा है. जिससे उनके सामने आर्थिक तंगी आ गयी है और उनके सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. वे अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं.
नहीं आ रहा पूर्वजों से सीखा हुआ काम
जमशेदपुर में छोटी सी दुकान में काम करने वाले अजीत का दुकान बंद होने से खाने की समस्या खड़ी हो गई है. कोविड-19 महामारी संक्रमण के चलते इनके जीवन में तालाबंदी है. अजीत का कहना है कि पूर्वजों से सीखा हुआ काम आज उनके काम नहीं आ रहा है. जिससे वे अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब से लॉकडाउन की शुरुआत की गई है. तब से सभी नाई दुकान बंद है. दुकान बंद होने से लोगों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है.
सैलून से चलती है पांच हजार लोगों की जीविका
बता दें कि जमशेदपुर के शहरी क्षेत्र में तकरीबन पांच सौ से अधिक छोटी-बड़ी सैलून है. इन दुकानों से तकरीबन पांच हजार लोगों की जीविका चलती है, लेकिन लॉकडाउन में नाई समाज के लोगों पर आर्थिक संकट गहरा गया है.
क्या है सैलून व्यवसायियों का कहना
सैलून व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद जब बाजार पटरी पर आएगा. तब काफी कुछ बदल चुका होगा. सैलून में ज्यादा लोग एक साथ नहीं आएंगे. हेयर स्टाइल, फेस मसाज जैसी चीजों पर ग्राहक ज्यादा ध्यान नहीं देंगे. इसके कारण ज्यादा होने वाली कमाई में कमी आएगी. वे कहते हैं कि लॉकडाउन के पहले लोग अपने बाल, दाढ़ी बनाने और सजने सवरने में ज्यादा खर्च करते थे, लेकिन मौजूदा हालत में लोग अपने जेब अनुसार ही खर्च करेंगे. नाई समाज के लोगों ने कहा कि अगर सरकार नाई की दुकानों को खोलने की अनुमति देती है तो नाई समाज सरकार के दिशा-निर्देशों का पूरा पालन करेगी ताकि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से खुद भी बचे और दूसरों को भी इस संक्रमण से बचाया जा सके.
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सरकार पर कसा तंज
नाई समाज के लोगों ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा शराब दुकानों को खोलने की इजाजत दी जा सकती है तो आखिर नाई समाज के लोगों को सैलून की दुकान खोलने की इजाजत क्यों नहीं दी जा रही है.