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जमशेदपुर में आर्टिफिशियल फ्लावर की बढ़ी डिमांड, घरों और ऑफिस की बढ़ा रहे हैं शोभा

खुशबूदार फूलों की जगह अब कृत्रिम फूल-पत्तियां लेने लगी हैं. शहर में लगभग सभी सरकारी, प्राइवेट ऑफिस और घरों में लोग कृत्रिम फूलों की सजावट कर रौनक बढ़ा रहे हैं. आजकल के समय में बाजार में कृत्रिम फूल-पत्तियों की मांग बढ़ गई है. पचास रुपए से लेकर हजार रुपए तक के फूल मार्केट में उपलब्ध हैं. विशेष समारोह में भी कृत्रिम फूलों की मांग बढ़ने लगी है, मार्केट में कई तरह के फूल उपलब्ध हैं.

जमशेदपुर में आर्टिफिशियल फ्लावर की बढ़ी डिमांड
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Published : Mar 24, 2019, 5:05 PM IST

जमशेदपुर: लौहनगरी में खुशबूदार फूलों की जगह अब कृत्रिम फूल-पत्तियां लेने लगी हैं. शहर में लगभग सभी सरकारी, प्राइवेट ऑफिस और घरों में लोग कृत्रिम फूलों की सजावट कर रौनक बढ़ा रहे हैं.

जमशेदपुर में आर्टिफिशियल फ्लावर की बढ़ी डिमांड

प्राकृतिक फूल-पत्तियों की खुशबू एक दिन में खत्म हो जाती है, और यह आज के समय में काफी महंगा हो गया है. प्राकृतिक फूल-पत्तियों को तैयार करने में उसके अनुरूप मिट्टी पानी की आवश्यकता होती है. कृत्रिम फूल-पत्तियों में मिट्टी पानी की दरकार नहीं होती है, और ये टिकते भी बहुत दिनों तक हैं.
आजकल के समय में बाजार में कृत्रिम फूल-पत्तियों की मांग बढ़ गई है. पचास रुपए से लेकर हजार रुपए तक के फूल मार्केट में उपलब्ध हैं. विशेष समारोह में भी कृत्रिम फूलों की मांग बढ़ने लगी है, मार्केट में कई तरह के फूल उपलब्ध हैं.

मार्केट में हमेशा प्राकृतिक फूल-पत्तियां उपलब्ध नहीं होती है, साथ ही यह बहुत जल्दी मुरझा जाते हैं, इसलिए लोग अपने घरों की सजावट करने में ज्यादातर कृत्रिम फूलों का उपयोग करने लगे हैं.

जमशेदपुर: लौहनगरी में खुशबूदार फूलों की जगह अब कृत्रिम फूल-पत्तियां लेने लगी हैं. शहर में लगभग सभी सरकारी, प्राइवेट ऑफिस और घरों में लोग कृत्रिम फूलों की सजावट कर रौनक बढ़ा रहे हैं.

जमशेदपुर में आर्टिफिशियल फ्लावर की बढ़ी डिमांड

प्राकृतिक फूल-पत्तियों की खुशबू एक दिन में खत्म हो जाती है, और यह आज के समय में काफी महंगा हो गया है. प्राकृतिक फूल-पत्तियों को तैयार करने में उसके अनुरूप मिट्टी पानी की आवश्यकता होती है. कृत्रिम फूल-पत्तियों में मिट्टी पानी की दरकार नहीं होती है, और ये टिकते भी बहुत दिनों तक हैं.
आजकल के समय में बाजार में कृत्रिम फूल-पत्तियों की मांग बढ़ गई है. पचास रुपए से लेकर हजार रुपए तक के फूल मार्केट में उपलब्ध हैं. विशेष समारोह में भी कृत्रिम फूलों की मांग बढ़ने लगी है, मार्केट में कई तरह के फूल उपलब्ध हैं.

मार्केट में हमेशा प्राकृतिक फूल-पत्तियां उपलब्ध नहीं होती है, साथ ही यह बहुत जल्दी मुरझा जाते हैं, इसलिए लोग अपने घरों की सजावट करने में ज्यादातर कृत्रिम फूलों का उपयोग करने लगे हैं.

Intro:एंकर-- खुशबूदार फूलों की जगह कृत्रिम फूल- पत्ती घरों और कार्यालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं.लौहनगरी वासी खुशबूदार फूलों की जगह कृत्रिम फूल--पत्तियों के शौकीन हो रहे हैं।देखिए एक रिपोर्ट


Body:वीओ1-- फूल गुलाब का लाखों में हजारों में गाना अपने जरूर सुना होगा.फूलों की महक लगता है अब बीते दिनों की बात हो गई है.लेकिन अब उनके आशिक उनसे दूर होने लगे हैं।महक की चाहत तो बरकरार है लेकिन लंबी चमक के फेर में सुगन्धित फूलों की जगह अब कृत्रिम फूल--पत्ती दिख जाएँगे। प्राकृतिक फूल पौधे एक दिन में खत्म हो जाते हैं. यह ज्यादातर महंगे भी होते हैं. इसके अनुरूप मिट्टी पानी की आवश्यकता होती है.कृत्रिम फूल पत्ती वाले पौधों को एक बार लगाने के बाद मिट्टी पानी की दरकार नहीं होती है.इससे घर भी हरा-भरा सा लगता है. इससे व्यक्तियों को सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव भी होता है. इसलिए आज के दरमियां बाजार में कृत्रिम फुल--पत्तियों की मांग बढ़ गई है.पचास रुपए से लेकर छः सौ रुपए तक के फूल उपलब्ध है। इसमें छोटे पेड़ भी एक हज़ार से लेकर चार हज़ार तक के उपलब्ध है। विशेष समारोह में आज भी ज्यादत्तर फ्रेश फूल पत्तियों की माँग है.पर हर दिन ज्यादा रकम खर्च करके यह मुमकिन नहीं है। खुशबूदार फूलों के लिए अन्य विकल्प बाजार में उपलब्ध है.इन पौधों में इत्रों से खुशबू बिखेरी जाती है.इसे भी लोग प्रयोग में लाते हैं।पहले के समय एक अभिजात वर्ग के लोगों के घरों में फूलों की बागबानी दिखती थी. वर्तमान में सभी लोगों के घरों में कृत्रिम फुल पौधे दिखते हैं।
बाइट--किशोर कुमार(फूल--पत्तियों के जानकार)
वीओ2-- घरों में जगह की कमी तथा समय की कमी होने के कारण लोगों को कृत्रिम पौधे ज्यादा भा रहे हैं।हाल के समय में इसकी महत्वता भी बढ़ी है ।बाजार में यह पौधे पाँच सौ से लेकर हज़ार रुपए तक उपलब्ध है।
बाइट--अंकित कुमार(दुकानदार)



Conclusion:कम लागत और समय की बचत के साथ बेहतरीन चमक पाने की होड़ में लोग प्राकृतिक फूलों से दूरी बनाने लगे हैं।अब घरों और कार्यलयों में कृत्रिम फूल ही शोभा बढ़ा रहे हैं
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