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टाटा मोटर्स झेल रहा मंदी की मार, 16-17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा

जमशेदपुर के टाटा मोटर्स कंपनी को मंदी की मार से गुजरना पड़ रहा है. इस वजह से कंपनी ने एक बार फिर ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की है. इस दौरान सभी मजदूरों का आधा वेतन काट लिया जाता है. जिससे मजदूरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

टाटा मोटर्स
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Published : Aug 16, 2019, 3:37 PM IST

Updated : Aug 16, 2019, 4:49 PM IST

जमशेदपुरः ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी. टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है.

देखें पूरी खबर

आमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा कंपनी प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थी. टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है. इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाएगा. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाती है. अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर संकट भी मंडराने लगा है.

ये भी पढ़ें- शिबू सोरेन ने JMM ऑफिस में फहराया झंडा, धारा 370 पर बोलने से बचे हेमंत सोरेन

5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. 4 दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी 2 दिनों का पैसा देती है. 2 दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें आधे तौर पर कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है.

जमशेदपुरः ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी. टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है.

देखें पूरी खबर

आमतौर पर 13 से 15 हजार वाहन प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स, आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा कंपनी प्रति महीने कभी 15 हजार से ज्यादा गाड़ियां बनाती थी. टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है. इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों की पर्सनल लिव का 50 फीसदी हिस्सा कंपनी की ओर से काटा जाएगा. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाती है. अस्थायी मजदूरों के भविष्य पर संकट भी मंडराने लगा है.

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5 से 6 सालों के अंतराल में छोटी-बड़ी मंदी आती है. 4 दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी 2 दिनों का पैसा देती है. 2 दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें आधे तौर पर कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है. औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए मंदी का दौर चल रहा है.

Intro:एंकर-- ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है। एक बार फिर टाटा मोटर्स में 16 और 17 अगस्त को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 19 अगस्त को खुलेगी टाटा मोटर्स में जुलाई से लेकर अब तक कई बार ब्लॉक क्लोजर हो चुका है। आमतौर पर 13 से 15 हज़ार तक प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स अब आज कल तीन से चार हज़ार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं।


Body:वीओ1-- टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है।साल-दरसाल टाटा कम्पनी प्रति महीने कभी पंद्रह हजार से ज्यादा गाड़ियाँ बनाती थी.टाटा मोटर्स में अगस्त महीने में तीसरी बार ब्लॉक क्लोजर की गई है.इस क्लोजर के दौरान कर्मचारियों का पर्सनल लिव का पचास फीसदी हिस्सा कंपनी की और से काटा जाएगा.टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाता है.हालांकि अस्थायी मजदूरों के भविष्य का संकट भी मंडराने लगा है.
पाँच स छः सालों के अंतराल में छोटी-मोटी मंदी आती है.चार दिन के ब्लॉक क्लोजर में कम्पनी दो दिनों का पैसा देती है.और दो दिनों की छुट्टी काटती है.इसमें आधे तौर पर कम्पनी व मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है.
बाइट--शिव कुमार(टाटा मोटर्स कर्मचारि)
वीओ2--औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है.इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है.कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है.
बाइट--रविन्द्र पांडेय(टाटा मोटर्स कर्मचारी)







Conclusion:बरहाल औद्योगिक घरानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए वक्त मंदी का दौर है. जरूरत है सरकार इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए जिससे इन मजदूरों के घरों में खुशियां लौट सकें.
Last Updated : Aug 16, 2019, 4:49 PM IST
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