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सिक्कों की दुनिया की सैर, मुगल काल से लेकर ब्रिटिश काल तक के सिक्कें लोगों को कर रहे आकर्षित

इतिहास की जानकारी सिक्कों से भी होती है. जमशेदपुर में क्वाइन एग्जीबिशन में ब्रिटिश से लेकर मुगल काल के सिक्के लोगों को आकर्षित कर रहे है.एक्जीबिशन में तिहाड़ जेल में कैदियों को दिया जाने वाला टोकन भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

coins collection in exhibition
सिक्कों का कलेक्शन
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Published : Dec 13, 2019, 11:43 AM IST

जमशेदपुरः सिक्कों की अलग दुनिया है, इतिहास से लेकर वर्तमान में नए-नए रूप में इसे प्रस्तुत किया गया है. जमशेदपुर के तुलसी भवन में आयोजित क्वाइन एग्जीबिशन में एक छत के नीचे इतिहास से वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे सिक्कों को देखने और समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. सिक्कों के संग्रहकर्ता ने बताया कि मिस्र काल से अब तक सिक्कों में हुए बदलाव को यादगार बनाने के लिए आज देश की एक बड़ी आबादी सिक्कों की दुनिया से जुड़े हुए है. ब्रिटिश काल के ढाई रुपए की कीमत आज करोड़ों में है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मुगल से लेकर ब्रिटिश काल के सिक्के
क्वाइन एग्जीबिशन में देश के विभिन्न प्रदेश से आए क्वाइन कलेक्टर के संग्रहित सिक्कों को देखने और उनके इतिहास को समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. मुगल काल से ब्रिटिश काल तक के सिक्के धरोहर बन गए है, जिन्हें सिक्कों के संग्रहकर्ता के जरिए वर्तमान पीढ़ी को समझने का मौका मिलता है. एक्जीबिशन में 1964 में बना सबसे हल्का एक पैसा का सिक्का और वर्तमान में जारी 500 के सिक्के के साथ आजाद देश के पहले गवर्नर सीडी देशमुख के जारी किए 10 रुपए का नोट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. एक्जीबिशन में स्कूल के छात्रों ने भी अपने कलेशन को प्रस्तुत किया है.

ये भी पढ़ें-चतरा में दो बच्चियों की मौत मामले में दुष्कर्म की आशंका, रिम्स में चल रहा घायल बच्चे का इलाज

तिहाड़ जेल का टोकन
सिक्के के संग्रहकर्ता का कहना है सिक्के या नोट के प्रिंटिग में कुछ भी कमी रह जाने से वह रियर हो जाता है. जिसकी कीमत बढ़ जाती है. एक्जीबिशन में तिहाड़ जेल में कैदियों को दिया जाने वाला टोकन भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बचपन से अलग-अलग सिक्कों को संग्रह करने वाले दिलीप कुमार ने बताया कि सिक्कों की एक अलग दुनिया है. देश की एक बड़ी आबादी सिक्का और करेंसी के शौकीन है, जो दुर्लभ से दुर्लभ सिक्का और करेंसी को आज संग्रह किए हुए हैं.

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सिक्के जमा करना बना हॉबी
दिलीप कुमार बताते हैं कि ऐसे प्रदर्शन के जरिए वर्तमान पीढ़ी को इतिहास में सिक्कों और करेंसी में बदलाव की जानकारी मिलती है. इसे समझने का मौका मिलता है. कुछ लोग पुराने धरोहर के शौकीन भी होते हैं, जो अधिक कीमत पर उसे खरीद लेते है. अब लोगों में दुर्लभ सिक्का या करेंसी जमा करना हॉबी बनता जा रहा है. वहीं, ऑन लाइन पेमेंट करने वाली वर्तमान पीढ़ी के लिए इस यह एक्जीबिशन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

जमशेदपुरः सिक्कों की अलग दुनिया है, इतिहास से लेकर वर्तमान में नए-नए रूप में इसे प्रस्तुत किया गया है. जमशेदपुर के तुलसी भवन में आयोजित क्वाइन एग्जीबिशन में एक छत के नीचे इतिहास से वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे सिक्कों को देखने और समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. सिक्कों के संग्रहकर्ता ने बताया कि मिस्र काल से अब तक सिक्कों में हुए बदलाव को यादगार बनाने के लिए आज देश की एक बड़ी आबादी सिक्कों की दुनिया से जुड़े हुए है. ब्रिटिश काल के ढाई रुपए की कीमत आज करोड़ों में है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

मुगल से लेकर ब्रिटिश काल के सिक्के
क्वाइन एग्जीबिशन में देश के विभिन्न प्रदेश से आए क्वाइन कलेक्टर के संग्रहित सिक्कों को देखने और उनके इतिहास को समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. मुगल काल से ब्रिटिश काल तक के सिक्के धरोहर बन गए है, जिन्हें सिक्कों के संग्रहकर्ता के जरिए वर्तमान पीढ़ी को समझने का मौका मिलता है. एक्जीबिशन में 1964 में बना सबसे हल्का एक पैसा का सिक्का और वर्तमान में जारी 500 के सिक्के के साथ आजाद देश के पहले गवर्नर सीडी देशमुख के जारी किए 10 रुपए का नोट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. एक्जीबिशन में स्कूल के छात्रों ने भी अपने कलेशन को प्रस्तुत किया है.

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तिहाड़ जेल का टोकन
सिक्के के संग्रहकर्ता का कहना है सिक्के या नोट के प्रिंटिग में कुछ भी कमी रह जाने से वह रियर हो जाता है. जिसकी कीमत बढ़ जाती है. एक्जीबिशन में तिहाड़ जेल में कैदियों को दिया जाने वाला टोकन भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बचपन से अलग-अलग सिक्कों को संग्रह करने वाले दिलीप कुमार ने बताया कि सिक्कों की एक अलग दुनिया है. देश की एक बड़ी आबादी सिक्का और करेंसी के शौकीन है, जो दुर्लभ से दुर्लभ सिक्का और करेंसी को आज संग्रह किए हुए हैं.

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सिक्के जमा करना बना हॉबी
दिलीप कुमार बताते हैं कि ऐसे प्रदर्शन के जरिए वर्तमान पीढ़ी को इतिहास में सिक्कों और करेंसी में बदलाव की जानकारी मिलती है. इसे समझने का मौका मिलता है. कुछ लोग पुराने धरोहर के शौकीन भी होते हैं, जो अधिक कीमत पर उसे खरीद लेते है. अब लोगों में दुर्लभ सिक्का या करेंसी जमा करना हॉबी बनता जा रहा है. वहीं, ऑन लाइन पेमेंट करने वाली वर्तमान पीढ़ी के लिए इस यह एक्जीबिशन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Intro:जमशेदपुर ।


जमशेदपुर के तुलसी भवन में आयोजित क्वाइन एग्जीबिशन में एक छत के नीचे इतिहास के अतीत से वर्तमान समय में इस्तेमाल किए जा रहे सिक्कों को देखने और समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है ।सिक्कों के संग्रहकर्ता ने बताया कि मिस्र काल से अब तक सिक्कों में हुए बदलाव को यादगार बनाने के लिए आज देश की एक बड़ी आबादी सिक्कों की दुनिया से जुड़े हुए है ब्रिटिश काल का ढाई रुपये की कीमत आज करोड़ों में है।


Body:जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन में क्वाइन कलेक्टर द्वारा क्वाइन एग्जीबिशन का आयोजन किया गया है जिसमें देश के विभिन्न प्रदेश से आए क्वाइन कलेक्टर द्वारा संग्रहित सिक्कों को देखने और उनके इतिहास को समझने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है ।
सिक्कों की अलग दुनिया है इतिहास के अतीत से लेकर वर्तमान में नए-नए रूप में इसे प्रस्तुत किया गया है। मुगल काल से ब्रिटिश काल तक के सिक्के आज धरोहर बन गए है जिन्हें सिक्कों के संग्रहकर्ता के जरिए वर्तमान पीढ़ी समझने का मौका मिलता है ।
एक्जीबिशन में 1964 में बना सबसे हल्का एक पैसा का सिक्का और वर्तमान में जारी 500 का सिक्का के साथ आज़ाद देश के पहले गवर्नर सीडी देशमुख द्वारा जारी किया गया 10 रुपये का नोट आकर्षण का केंद्र बना हुआ है ।
एक्जीबिशन में स्कूल के छात्रों ने भी अपने कलेशन को प्रस्तुत किया है।
सिक्का संग्रहकर्ता का कहना है सिक्का या नोट के प्रिंटिग में कुछ भी कमी रह जाने से वह रियर हो जाता है और जिसकी कीमत बढ़ जाती है।एक्जीबिशन में तिहाड़ जेल में कैदियों को दिया जाने वाला टोकन भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
बचपन से अलग अलग सिक्कों को संग्रह करने वाले दिलीप कुमार ने बताया कि सिक्कों की एक अलग दुनिया है देश की एक बड़ी आबादी सिक्का और करेंसी के शौकीन है जो दुर्लभ से दुर्लभ सिक्का और करेंसी को आज संग्रह किए हुए हैं उन्होंने बताया कि ऐसे प्रदर्शन के जरिए वर्तमान पीढ़ी को इतिहास में सिक्कों और करेंसी में बदलाव की जानकारी मिलती है और समझने का मौका मिलता है। कुछ लोग पुराने धरोहर के शौकीन भी होते है जो अधिक कीमत पर उसे खरीद लेते है ।अब लोगों में दुर्लभ सिक्का या करेंसी जमा करना हॉबी बनता जा रहा है ।
बाईट दिलीप कुमार सिक्का संग्रहकर्ता




Conclusion:वहीं ऑन लाइन पेमेंट करने वाली वर्तमान पीढ़ी के लिए इस यह एक्जीबिशन आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वो भी मानते हैं कि ऐसे आयोजन से उन्हें अपने इतिहास को समझने का अच्छा मौका मिलता है
बाईट भावना झा
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