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कार्तिक अमावस्या की काली रात में श्मशान में होती है साधना, अघोरी काली पूजा कर पाते हैं तंत्र शक्ति

कार्तिक मास की अमावस्या की रात को मां लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ मां काली की भी पूजा की जाती है. काली पूजा की पूरी रात श्मशान में तांत्रिक साधना की जाती है. श्मशान में काली रात का नजारा कुछ खास होता है. जमशेदपुर में इसका अलग नजारा होता है. Kali Puja at Parvati shamshan Ghat in Jamshedpur

Kali Puja at Parvati shamshan Ghat
Kali Puja at Parvati shamshan Ghat
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 13, 2023, 2:10 PM IST

Updated : Nov 13, 2023, 4:06 PM IST

जमशेदपुर में श्मशान में काली पूजा

जमशेदपुर: कार्तिक मास की अमावस्या की रात को घरों और दुकानों में लक्ष्मी की पूजा की जाती है. अमावस्या की इस रात को काली रात भी कहा जाता है. पूरी रात मां काली की पूजा भी की जाती है. जमशेदपुर के पार्वती घाट (श्मशान घाट) पर अमावस्या की रात का नजारा कुछ अलग ही होता है. एक तरफ जहां श्मशान घाट में मंत्रोच्चारण के साथ मां काली की पूजा की जाती है. वहीं दूसरी ओर तांत्रिक अघोरी जहां चिता जलती है, वहां इस काली रात में साधना करते हैं. इस दौरान उनके आसपास लोग भी मौजूद रहते हैं.

यह भी पढ़ें: दिवाली और काली पूजा के मौके पर पूरी रात खुला रहा मां छिन्नमस्तिका का दरबार, श्रद्धालुओं का लगा रहा ताता

श्मशान में मां काली की विशेष पूजा की जाती है. शहर के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं. इस दौरान श्मशान घाट में एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. सौ साल पुराने पार्वती घाट (श्मशान घाट) पर 100 साल से अमावस्या की रात को काली पूजा की जाती है. लाल वस्त्र पहने पुजारी मां की पूजा करते हैं, जो आधी रात से शुरू होकर सुबह तक होती है.

अमावस्या की इस अंधेरी रात को साधना की रात भी कहा जाता है. डमरू बजाकर साधना करने वाले अघोरी राजेंद्र शर्मा बताते हैं कि इस दिन सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और महाकाल की भी पूजा की जाती है. तंत्र की शक्ति मां की शक्ति से प्राप्त होती है. तंत्र साधना से लोगों की समस्याओं का समाधान होता है. उनका कहना है कि श्मशान घाट गंगा से भी पवित्र है.

अलग-अलग वेश भूषा में हर कोई आता है नजर: श्मशान का नाम लेने से भी मन में भय उत्पन्न हो जाता है, लेकिन अमावस्या की इस अंधेरी रात में हर जगह साधक ही नजर आते हैं. हर किसी की वेश भूषा अलग-अलग होता है, कोई काले कपड़े में नजर आता है तो कोई लाल रंग के चोले में नजर आता है. वर्षों से श्मशान में साधना कर रहे अघोरी ज्वाला बाबा का कहना है कि वह महाकाल की आराधना करते हैं. महाकाल से बड़ा कोई नहीं. साधना करने वालों पर लोगों का विश्वास होता है. उनमें इतनी ताकत है कि वो कुछ भी कर सकते हैं. यहां डरने की कोई बात नहीं है. हालांकि, जो लोग काली पूजा की रात श्मशान में आते हैं वे अघोरी तांत्रिक का आशीर्वाद भी लेते हैं. लोगों को उन पर भरोसा है.

श्मशान का रहस्य अभी भी अधूरा: काली की पूजा करने वाले संदीप का कहना है कि इस श्मशान का पूरा रहस्य अभी भी अधूरा है. श्मशान के पास दक्षिण से उत्तर की ओर एक नदी बहती है जिसके कारण उसका प्रभाव अलग होता है. यह एक महान श्मशान है. यहां वर्षों से कार्तिक माह की अमावस्या की रात को मां काली की पूजा की जाती है और दूर-दूर से भक्त यहां ध्यान करने आते हैं. उनकी साधना भी माता की शक्ति से ही सम्पन्न होती है.

जमशेदपुर में श्मशान में काली पूजा

जमशेदपुर: कार्तिक मास की अमावस्या की रात को घरों और दुकानों में लक्ष्मी की पूजा की जाती है. अमावस्या की इस रात को काली रात भी कहा जाता है. पूरी रात मां काली की पूजा भी की जाती है. जमशेदपुर के पार्वती घाट (श्मशान घाट) पर अमावस्या की रात का नजारा कुछ अलग ही होता है. एक तरफ जहां श्मशान घाट में मंत्रोच्चारण के साथ मां काली की पूजा की जाती है. वहीं दूसरी ओर तांत्रिक अघोरी जहां चिता जलती है, वहां इस काली रात में साधना करते हैं. इस दौरान उनके आसपास लोग भी मौजूद रहते हैं.

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श्मशान में मां काली की विशेष पूजा की जाती है. शहर के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं. इस दौरान श्मशान घाट में एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. सौ साल पुराने पार्वती घाट (श्मशान घाट) पर 100 साल से अमावस्या की रात को काली पूजा की जाती है. लाल वस्त्र पहने पुजारी मां की पूजा करते हैं, जो आधी रात से शुरू होकर सुबह तक होती है.

अमावस्या की इस अंधेरी रात को साधना की रात भी कहा जाता है. डमरू बजाकर साधना करने वाले अघोरी राजेंद्र शर्मा बताते हैं कि इस दिन सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और महाकाल की भी पूजा की जाती है. तंत्र की शक्ति मां की शक्ति से प्राप्त होती है. तंत्र साधना से लोगों की समस्याओं का समाधान होता है. उनका कहना है कि श्मशान घाट गंगा से भी पवित्र है.

अलग-अलग वेश भूषा में हर कोई आता है नजर: श्मशान का नाम लेने से भी मन में भय उत्पन्न हो जाता है, लेकिन अमावस्या की इस अंधेरी रात में हर जगह साधक ही नजर आते हैं. हर किसी की वेश भूषा अलग-अलग होता है, कोई काले कपड़े में नजर आता है तो कोई लाल रंग के चोले में नजर आता है. वर्षों से श्मशान में साधना कर रहे अघोरी ज्वाला बाबा का कहना है कि वह महाकाल की आराधना करते हैं. महाकाल से बड़ा कोई नहीं. साधना करने वालों पर लोगों का विश्वास होता है. उनमें इतनी ताकत है कि वो कुछ भी कर सकते हैं. यहां डरने की कोई बात नहीं है. हालांकि, जो लोग काली पूजा की रात श्मशान में आते हैं वे अघोरी तांत्रिक का आशीर्वाद भी लेते हैं. लोगों को उन पर भरोसा है.

श्मशान का रहस्य अभी भी अधूरा: काली की पूजा करने वाले संदीप का कहना है कि इस श्मशान का पूरा रहस्य अभी भी अधूरा है. श्मशान के पास दक्षिण से उत्तर की ओर एक नदी बहती है जिसके कारण उसका प्रभाव अलग होता है. यह एक महान श्मशान है. यहां वर्षों से कार्तिक माह की अमावस्या की रात को मां काली की पूजा की जाती है और दूर-दूर से भक्त यहां ध्यान करने आते हैं. उनकी साधना भी माता की शक्ति से ही सम्पन्न होती है.

Last Updated : Nov 13, 2023, 4:06 PM IST
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